‘ख़लीफ़ा’ अरबी भाषा का शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ उत्तराधिकारी
या वारिस माना जाता है। किन्तु इस शब्द का प्रयोग केवल ‘पैग़म्बर
मोहम्मद के उत्तराधिकारी’ के लिए किया जाता है। मोहम्मद साहब के देहांत के
बाद हज़रत अबु बक्र अरब के पहले ख़लीफ़ा बने। बाद में, बगदाद (1258 ई॰ तक) और तुर्की (1571 ई॰ से 1924
ई॰ तक) के शासक भी ख़लीफ़ा कहलाए। ख़लीफ़ा के कई अन्य अर्थ भी प्रचलित हो गए, जैसे
उप-राजा, राज्यपाल, प्रतिनिधि, कार्यवाहक, प्रजापालक।
कुरान मजीद में पहली बार सूरा 2/30 में अल्लाह द्वारा ख़लीफ़ा नियुक्त करने की इच्छा का वर्णन है। इसलिए
कुछ लोग ख़लीफ़ा को अल्लाह का वारिस या उत्तराधिकारी भी मानने की भूल करने लगे। भक्तों
को विश्वास हैं कि अल्लाह को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त करने की आवश्यकता नहीं हो
सकती क्योंकि अल्लाह की सत्ता हर समय और हर जगह है। यूं भी किसी भी मानव में अल्लाह
के प्रतिनिधि होने की योग्यता का पाया जाना असंभव है। मोहम्मद साहब भी अल्लाह के
केवल प्रवक्ता थे, कोई उत्तराधिकारी या प्रतिनिधि नहीं। प्रथम ख़लीफ़ा हज़रत
अबु बक्र भी स्वयं को अल्लाह या पैग़म्बर का उत्तराधिकारी या प्रतिनिधि न मान कर,
केवल प्रजापालक मानते थे। अतः ख़लीफ़ा शब्द का उचित भावनात्मक अर्थ ‘प्रजापालक’
ही है। इसमें पालन करने का कर्तव्य निहित है,
सत्ता का अधिकार नहीं। यह इस्लाम की समता-मूलक समाज की मूल कल्पना के अनुरूप है।
लेकिन यह अरबी शब्द ख़लीफ़ा आख़िर
कहाँ से आया? भाषाविद् अरबी और संस्कृत में कोई संबंध नहीं मानते। किन्तु अगर हम ‘संस्कृत
सभी भाषाओं की जननी’ के सिद्धान्त पर विचार करना चाहें तो हमें ख़लीफ़ा शब्द से मिलता-जुलता
और समान अर्थ वाला शब्द संस्कृत में खोजना होगा। अगर ख़लीफ़ा शब्द का मूल रूप,
अर्थ और भाव ‘पालक’ रहा होगा तब तो संभव है कि पालक शब्द उच्चारण भेद
से फ़ालक और फ़ालख़ बन गया होगा; और
शब्द की मोतीमाला बिखर कर फिर जुड़ने से फ़ालख़
का ख़लफ़ा और उससे ख़लीफ़ा बन गया होगा।
पालक >
फ़ालक > फ़ालख़
> ख़लफ़ा >
ख़लीफ़ा।
लेकिन, अगर ख़लीफ़ा शब्द को केवल वारिस के अर्थ में देखें, तब
संस्कृत शब्द ‘कुलदीप’ इसके अधिक निकट बैठता है:
कुलदीप >
खलदीफ़ > खलजीफ
> खलयीफ >
ख़लीफ़ा।
(संस्कृत में द से ज और ज से य में बदलाव के अनेक उदाहरण हैं; जैसे
द्युति
>ज्योति , प्रद्योत>प्रज्योत; राजा > राया
|
The word Caliph is derived from the Arabic word
khalifa. It literally means successor or heir. However, in practice, the word
Caliph is used only for successors of the Prophet Mohammed. Hazrat Abu Bakr became the first caliph of
Arabia after the death of Prophet Mohammed. Later, the rulers of Baghdad (until
1258 AD) and Turkey (from 1571 until 1924) were also called the caliph. Some
more meanings got associated with the word Caliph, e.g. viceroy, governor, representative,
officiating, and guardian of the people. Allah’s wish
to appoint a caliph is mentioned for the first time in the holy Koran in Sura
2/30. Therefore, some people make the mistake of believing the Caliph to be the
successor to God. The faithful believe that the God doesn’t need to appoint His
successor because He is present everywhere and at all times. Moreover, no
human being can possess the merit to qualify as His representative or successor.
Even the Prophet Mohammed was only a spokesperson rather than a successor or
representative of Allah. Hazrat Abu Bakr, the first caliph, considered
himself to be a guardian of the people rather than a successor or
representative of Allah or the Prophet. The word ‘guardian’ conveys the most
appropriate sentiment of the word Caliph as it conveys a sense of duty but
not of power. This concept is in conformation with the original concept of an
egalitarian society envisaged in Islam.
Let us consider the origin of the Arabic word khalifa.
The linguists don’t believe in any relationship between Arabic and Sanskrit. However,
if we consider the theory that Sanskrit is the mother of all languages, we
will have to search for a similar sounding Sanskrit synonym of khalipha. If the
Arabic word khalipha was meant to convey the sense of a guardian, we may
consider its Sanskrit equivalent ‘paalak’ as a potential candidate. Paalak
may have mutated to phaalak and phaalakh that may have changed to khaalaph
to khalipha by change of sequence of letters.
paalak > phaalakh > khalaph > khalipha
However, looking at ‘khalipha’ strictly in terms
of its meaning as a successor, this word is nearer to the Sanskrit word ‘kuladeep’
(literally light of the family, meaning thereby the son who is a successor).
kuladeep > khalajeeph > khalayeeph >
khalipha.
The mutation from d > j and j > y is common
in Sanskrit, e.g. dyuti> jyoti, pradyot > prajyot; raja > raya.
|
यह लेख भास्कर समूह की पत्रिका ‘अहा!
ज़िंदगी’ के अप्रैल 2005 अंक में छपे मेरे पुरस्कृत लेख का ही संवर्धित
रूप है।
|
This write up is based on a prize winning article
by me published in the April 2005 issue of the magazine ‘AHA! ZINDAGI’ of the
Dainik Bhaskar Group.
|
A linguistic fiction: Searching for the mother tongue of our first-ancestors, and trying for a grand-unification of all language-families भाषा-वैज्ञानिक कल्पना: हम सभी के प्रथम-पुरखों की मातृभाषा की खोज, और सभी भाषा-परिवारों के महा-मिलन का प्रयास
Sunday, March 17, 2013
ख़लीफ़ा शब्द का संस्कृत समानार्थी The Sanskrit Synonym of the Word ‘Caliph’
Thursday, October 18, 2012
लेटिन कानूनी शब्द 'सुओ मोतु' की संस्कृत में रिश्तेदारी Sanskrit Relationship of Latin Legal Term 'Suo Motu / Moto '
Note: The English Version of this article is given at the end of the article in Hindi
अन्याय से भरपूर इस जगत में एक नियम सभी देशों में लागू है कि जब तक कोई व्यक्ति अन्याय की शिकायत नहीं करता, तब तक आरोपी पर न्यायालय में मुकदमा नहीं चल सकता। हम सभी जानते हैं कि आजकल भारत में भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के कार्यकर्ता मुकदमे चला कर न्याय पाने के लिए के लिए कितना संघर्ष कर रहें हैं। लेकिन कभी-कभी ऐसा भी हो जाता है कि शिकायत के बिना ही मुकदमा चल जाता है, या बिना मुकदमे के ही न्यायधीश आदेश सुना देते हैं। ऐसा तब होता है जब अपराध की किसी संगीन घटना से न्यायधीश इतना विचलित हो जाते हैं कि उन्हें लगता है कि शिकायत किए जाने की प्रतीक्षा करना भी भारी अन्याय होगा। उदाहरण के लिए, अभी पिछले सप्ताह, दिल्ली उच्च न्यायालय ने अखबार में छपी एक खबर का बिना शिकायत के ही संज्ञान लिया। खबर थी कि दिल्ली के लोधी उद्यान में बहुत से घूँस (मोटे चूहे) उद्यान को हानि पहुँचा रहे हैं। चूहों के साथ ही, न्यायालय ने बिना किसी छपी खबर के ही अपनी ओर से लोधी उद्यान में आवारा कुत्तों की आवारगी का भी संज्ञान लिया और नई दिल्ली नगर पालिका को चूहों और कुत्तों के खिलाफ आदेश दे डाला। वह और बात है कि श्रीमति मानेका गांधी के हस्तक्षेप के बाद न्यायालय ने प्यारे आवारा कुत्तों के खिलाफ क्रूरता-भरा आदेश एक सप्ताह बाद वापिस भी ले लिया।
न्यायालय या किसी अन्य अधिकारी द्वारा इस तरह घटना का स्वयं ही संज्ञान लेने को कानूनी भाषा में 'सुओ मोतु' या 'सुओ मोतो' (suo motu/ moto) कहते हैं। 'सुओ मोतु' लेटिन भाषा का शब्द हैं जिसका शाब्दिक अर्थ है 'अपने आप करना'।
एक मत के अनुसार संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है, लेटिन की भी। तो फिर संस्कृत में 'सुओ मोतु, के लिए क्या शब्द है? स्व = अपना, और मति = बुद्धि, चेतना। अतः मुझे लगता है कि न्यायधीश का 'स्व मति' द्वारा निर्णय को ही लेटिन में उच्चारण भेद के चलते 'सुओ मोतु' कहते हैं।
आप क्या सोचते हैं?
In this world full of injustice, a rule is observed universally that a law suit cannot commence in a court of law unless someone makes a formal complaint. We all know about the struggle of India's anti-corruption activists to file anti-corruption cases in courts. However, do you know that occasionally, trial may take place and the judgement announced even without anyone making any complaint. This may happen when a judge is overwhelmed by the gravity of a crime that he/she feels it unnecessary to wait for filing of formal complaint. He/shes takes the cognizance of the event and initiates proceedings on his/her own. For example, last week, the Delhi High Court took cognizance of a news report about damage to Delhi's Lodhi Gardens by the bandicoots (a type of big rats). The court on its own also took cognizance of the menace of stray dogs in Lodi Gardens and ordered the New Delhi Municipal Committee to take steps against dogs and bandicoots. (However, within a week, the animal rights activists Mrs. Maneka Gandhi intervened on behalf of the very dear stray dogs, and the high Court withdrew its (cruel) order against the dogs.
When a court or any other authority takes cognizance of an event on its own, it is called "Suo Motu / Moto' in legal terms. "Suo Motu is a Latin term that literally means 'on its own motion'.
According to one theory Sanskrit is the mother of all languages including Latin. What would be the Sanskrit equivalent of Latin 'suo motu'?
The Sanskrit words SWA स्व + MATI मति foot the bill. SWA स्व mean self and MATI मति means wisdom or consciousness. Thus SWA MATI स्व मति of Sanskrit seem to the 'suo motu' of Latin with minor variations of pronunciation.
What do you think?
अन्याय से भरपूर इस जगत में एक नियम सभी देशों में लागू है कि जब तक कोई व्यक्ति अन्याय की शिकायत नहीं करता, तब तक आरोपी पर न्यायालय में मुकदमा नहीं चल सकता। हम सभी जानते हैं कि आजकल भारत में भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के कार्यकर्ता मुकदमे चला कर न्याय पाने के लिए के लिए कितना संघर्ष कर रहें हैं। लेकिन कभी-कभी ऐसा भी हो जाता है कि शिकायत के बिना ही मुकदमा चल जाता है, या बिना मुकदमे के ही न्यायधीश आदेश सुना देते हैं। ऐसा तब होता है जब अपराध की किसी संगीन घटना से न्यायधीश इतना विचलित हो जाते हैं कि उन्हें लगता है कि शिकायत किए जाने की प्रतीक्षा करना भी भारी अन्याय होगा। उदाहरण के लिए, अभी पिछले सप्ताह, दिल्ली उच्च न्यायालय ने अखबार में छपी एक खबर का बिना शिकायत के ही संज्ञान लिया। खबर थी कि दिल्ली के लोधी उद्यान में बहुत से घूँस (मोटे चूहे) उद्यान को हानि पहुँचा रहे हैं। चूहों के साथ ही, न्यायालय ने बिना किसी छपी खबर के ही अपनी ओर से लोधी उद्यान में आवारा कुत्तों की आवारगी का भी संज्ञान लिया और नई दिल्ली नगर पालिका को चूहों और कुत्तों के खिलाफ आदेश दे डाला। वह और बात है कि श्रीमति मानेका गांधी के हस्तक्षेप के बाद न्यायालय ने प्यारे आवारा कुत्तों के खिलाफ क्रूरता-भरा आदेश एक सप्ताह बाद वापिस भी ले लिया।
न्यायालय या किसी अन्य अधिकारी द्वारा इस तरह घटना का स्वयं ही संज्ञान लेने को कानूनी भाषा में 'सुओ मोतु' या 'सुओ मोतो' (suo motu/ moto) कहते हैं। 'सुओ मोतु' लेटिन भाषा का शब्द हैं जिसका शाब्दिक अर्थ है 'अपने आप करना'।
एक मत के अनुसार संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है, लेटिन की भी। तो फिर संस्कृत में 'सुओ मोतु, के लिए क्या शब्द है? स्व = अपना, और मति = बुद्धि, चेतना। अतः मुझे लगता है कि न्यायधीश का 'स्व मति' द्वारा निर्णय को ही लेटिन में उच्चारण भेद के चलते 'सुओ मोतु' कहते हैं।
आप क्या सोचते हैं?
Sanskrit Relationship of Latin Legal Term 'Suo Motu / Moto'
When a court or any other authority takes cognizance of an event on its own, it is called "Suo Motu / Moto' in legal terms. "Suo Motu is a Latin term that literally means 'on its own motion'.
According to one theory Sanskrit is the mother of all languages including Latin. What would be the Sanskrit equivalent of Latin 'suo motu'?
The Sanskrit words SWA स्व + MATI मति foot the bill. SWA स्व mean self and MATI मति means wisdom or consciousness. Thus SWA MATI स्व मति of Sanskrit seem to the 'suo motu' of Latin with minor variations of pronunciation.
What do you think?
Monday, October 15, 2012
मैंगो पीपुल, आम आदमी, और कामन मैन Mango People, AAM AADAMI, and Common Man
Note: The English Version of this article is given at the end of the article in Hindi
कुछ दिन पहले, सोनिया जी के दामाद राबर्ट वाड्रा ने
अपने फेसबुक स्टेटस पर लिखा: 'मैंगो पीपुल इन अ बनाना कंट्री'
(mango people in a banana country). इससे उपजे विवाद के कारण यह अभिव्यक्ति 'मैंगो पीपुल' भारत
में हर किसी की जुबान पर है। कौन जाने, 'मैंगो पीपुल'
को, इसके बढ़ते हुए प्रयोग के कारण, जल्दी ही 'ऑक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी' में 'कॉमन मैन' के पर्यायवाची
के रूप में शामिल कर लिया जाए!
पर यह 'मैंगो पीपुल" कहाँ से आया? सबसे पहले इसका
प्रयोग किसने किया? इन प्रश्नों का उत्तर देने के लिए अभी और
रिसर्च करनी होगी। किन्तु एक बात तो पक्की है कि आम आदमी के लिए 'मैंगो पीपुल' की अभिव्यक्ति राबर्ट वाड्रा के दिमाग
की उपज नहीं है। लेकिन हाँ, 'मैंगो पीपुल' से उनकी कुछ रिश्तेदारी जरूर बनती है।


यह कहने
की कोई आवश्यकता नहीं हैं कि हिन्दी शब्द 'आम' दो अर्थों में जाना जाता है: 1. अरबी भाषा से हिन्दी
में आया शब्द आम = साधारण, मामूली, जनसाधारण,
जनता; अँग्रेज़ी में कॉमन common; 2. हिन्दी का मूल शब्द आम = फलों का राजा आम, जिसे अँग्रेज़ी
में मैंगो mango कहते हैं; और यह भी कि
'मैंगो पीपुल' कह कर मज़ाक बनाने वालों
ने आम के पहले अर्थ के स्थान पर दूसरे अर्थ का अँग्रेज़ी अनुवाद किया था। इस ब्लॉग
में आप आम के दूसरे अर्थ यानी 'फलों का राजा आम' पर एक लेख पहले ही पढ़ चुके हैं (How mango might have
got its names आम का नामकरण कैसे हुआ होगा)। आज हम चर्चा करेंगे पहले अर्थ की, और उसी अर्थ लिए हुए अँग्रेज़ी शब्द कॉमन common की।
मेरे
विचार से, संस्कृत शब्द 'सम' पहले अरबी
भाषा में गया होगा और बिगड़ कर 'आम' बना
होगा। फिर लौट कर, उसी बिगड़े हुए रूप में फारसी, उर्दू के रास्ते हिन्दी में शामिल हो गया! संस्कृत में सम का अर्थ है: एक
जैसा, समान, सामान्य, मामूली। संस्कृत वर्ण श/ष/स/ फारसी, अरबी, तुर्की में बदल कर 'ह' हो जाते
हैं। ग्रीक/यूनानी तक पहुँचते हुए यही स से ह हुई आवाज आ या ई में बदल जाती
है। इस परिवर्तन का सबसे जाना पहचाना
उदाहरण है: सिंधु> हिन्दू
> इन्दु> इंडिया; या
सिंधु > इंडस। अतः,
सम के आम में बिगड़ने की क्रिया कुछ इस तरह रही होगी: सम >साम> हाम
> आम।
अब
देखें कि अँग्रेज़ी में कॉमन शब्द कहाँ से आया? भाषाविदों के
अनुसार समान या सामान्य के लिए लेटिन शब्द कोम्युनिस है। उसी से फ़्रेंच शब्द
कोम्युन बना। जिससे 1250-1300 ई॰ के आसपास अँग्रेज़ी
शब्द कोमुन बना, जिसे हम आज कॉमन के रूप में जानते है।
लेकिन, क्यों न हम लेटिन शब्द कोम्युनिस और उससे बने अँग्रेजी शब्द कॉमन का उत्स
संस्कृत के शब्दों सम/ समान/ सामान्य में ही खोजें ? संस्कृत
की 'स' ध्वनि यूरोपियाई भाषों में अनेक
बार 'क' में बदल जाती है, जैसे सह > को; समिति > कमेटी। अतः सम से कॉमन की यात्रा कुछ इस रही होगी:
सम > समान > सामान्य > चामान्य
> कामान्य > कामान्ज >कामन्स > कामानीज़ communis (Latin)। फिर लेटिन से अँग्रेजी की यात्रा तो हम देख ही चुके हैं।
आप क्या सोचते हैं?
शायद आप यह लेख पढ़ना चाहेंगे:
How mango might have got its names आम का नामकरण कैसे हुआ होगा
Mango People, AAM AADAMI, and Common Man
Some
days ago, Mrs Sonia Gandhi’s son-in-law Robert Vadra wrote
on his Facebook status: “Mango people in a banana country”. The use of the
expression ‘mango people’ by Vadra caused a huge controversy. Consequently, the
expression 'mango people’ is gaining currency in India. Who knows, 'mango people'
may soon find its place in the Oxford English Dictionary as synonym for the
'common man'!
What is
the origin of the phrase "mango people" and who coined it? There is
no answer to these questions right now and it will require some more will
research. But one thing is certain that the usage of 'mango people’ for common men
is not a product of Robert Vadra’s brain. But yeah, Vadra has some relationship
with the origin of 'mango people'.


For many years, at the time of elections, Robert's mother-in-law Mrs Sonia Gandhi and her Congress party have been using her photo with a slogan: "CONGRESS KA HAATH, AAM AADAMI KE SAATH (hand of congress is with the common man). This slogan does not seem credible to many people in the country. They oppose it in their own way. Nowadays, when Arvind Kejriwal comes out on streets to oppose the congress party, he is seen wearing a cap with the words: "MAIN HOON EK AAM AADAMI”, i.e. I am the common man". And by doing this Kejriwal is obviously ridiculing the AAM ADAMI slogan of Sonia ji. There is no dearth of articles and cartoons ridiculing the AAM ADAMI slogan on the Internet. Some authors and cartoonists call the common man as the ‘mango people’. In fact, for many years now, several people in the cyberspace have been calling themselves as ‘mango man’. When stung by corruption charges against him, Robert Vadra wrote the scornful line on the Facebook, “mango people in banana republic", he was clearly targeting Arvind Kejriwal wearing a AAM ADAMI cap.
The
Hindi/ Urdu word AAM used in AAM ADAMI has two meaning, (1) used in the sense
of common, simple, modest, masses, the word AAM is a borrowing from Arabic. The
word came to India with the invading Arabs and Iranians in medieval times. (2)
the mango fruit is known as AAM in Hindi, Urdu, Bengali, Asamese, Punjabi. The
origin of the word mango and AAM was discussed earlier in another article in
this blog (How mango might have
got its names आम का नामकरण कैसे हुआ होगा). Today we discuss the origin of the word AAM in
the sense of its usage for ‘common’.
In my opinion,
the Sanskrit word 'SAMA' 'सम' (= similar, simple, modest,
common) transformed into the Arabic AAM through degeneration, and returned to
Hindi, Urdu and other Indian languages in its new acquired form. It is well
known that the Sanskrit characters sha श/ Sha ष/ sa स transform into ‘ha ह'
in Persian, Arabic and Turkish. It changes further into a, or i in Greek. The
most familiar example of this transformation is: Sindhu > Hindu> Indu>
India; and Sindhu > Indus. Therefore, the process of evolution of AAM आम from SAMA सम may have been: SAMA>
HAMA > AAMA > AAM.
Let’s
now examine the origin of the word ‘common’. According to linguists, the Latin
word commūnis gave
rise to the English word common: Latin commūnis
common> Old French comun > Anglo-French comun > Middle
English comun> English common ~ 1250-1300;
But
then, what is the origin of the Latin word commūnis?
The DNA of commūnis shows
its strong homology to Sanskrit words for
common SAMA सम and SAMANA समान. The sound of 's' in
Sanskrit words changes to sh /k / ch in many European words, e.g. SAHA सह > co, and SAMITI समिति > committee. Therefore the etymology of common
should be redefined as follows: SAMA (Sanskrit) = common > SAMANA (Sanskrit)
= common > SAMANYA (Sanskrit) = common > CHAMANAYA > KAMANYA > KAMANZ
> KOMONIS> communis Latin > comun (French) > common (English).
What do
you think?
Related article:
How mango might have got its names आम का नामकरण कैसे हुआ होगा Friday, October 12, 2012
मौन, मोयान और मो यान -- हिन्दी और चीनी में एक अर्थ और ध्वनि वाले दो शब्द
साहित्य के लिए 2012 का नोबेल चीनी साहित्यकार श्री ‘मो
यान’ दिया जायेगा। उनका असली नाम गुआन मोये
है, लेकिन वह छद्म नाम ‘मो
यान’ से लिखते हैं। चीनी में ‘मो यान’ का अर्थ है खामोशी या मौन। मो
यान चीन में रहने वाले दूसरे व्यक्ति हैं, जिन्हे नोबेल पुरस्कार मिलेगा। पहले पुरस्कार विजेता हैं: मानवाधिकार कार्यकर्ता
श्री लियू क्षियाबो। किन्तु सरकार-नियंत्रित चीनी मीडिया ने कभी चीनियों को क्षियाबो
के पुरस्कार की खबर नहीं दी। वे लगातार जेल में हैं। अब जबकि मो यान के लिए नोबेल पुरस्कार
की खबर आई, तो एक चीनी टिप्पणीकार ने इंटरनेट
पर लिखा, “पहला भी ‘मोयान’ (खामोश/मौन) था, दूसरा भी ‘मो
यान’ है!"
क्या यह सिर्फ एक संयोग है कि संस्कृत, हिन्दी और अनेक भारतीय भाषाओं का शब्द मौन और उसका चीनी
पर्यायवाची मोयान लगभग एक जैसी ध्वनि लिए हुए हैं? क्या मौन और मोयान का डीएनए
एक ही है?
संस्कृत शब्दों मन,
मुनि और मौन में आपस का रिश्ता माना जाता है। मन का अभिप्राय हमारी चेतना, मस्तिष्क, या सहजबोध से है। मुनि का
तात्पर्य उस साधक से है जो मन या अपनी अंतर-प्रेरणा से काम करे या फिर उस साधु से
जिसने मौन व्रत लिया हो। इस अर्थ में मौन
और मोयान (चीनी) में चुप रहने का सक्रिय आत्म-निर्णय निहित है।
किसी बीमारी के कारण न बोल पाने
या गूंगेपन के लिए संस्कृत और हिन्दी का शब्द ‘मूक’ है। खामोशी के लिए ‘मूक’ से मिलते-जुलते शब्द जापानी और कोरियन में भी मिलते हैं: जापानी में ‘मोकुही’ 黙秘(mokuhi), और कोरियन में चिम्मुक 침묵 (chimmuk)। तो क्या कह
दें: हिंदी-चीनी-जापानी-कोरियन सब भाई-भाई
या फिर बहन-बहन!
Location:
New Delhi, Delhi, India
The Unity of Words for Silence in Hindi and Chinese -- Maun, Moyan and Mo Yan
हिन्दी में यह आलेख पढ़ें: मौन, मोयान और मो यान -- हिन्दी और चीनी में एक अर्थ और ध्वनि वाले दो शब्द


Chinese
author Mr Mo Yan has won the Nobel prize for literature 2012. His real name
is Guan Moye but he writes under the pseudonym Mo Yan which
means 'silence' in Chinese. Mo Yan is the second person living in China to
win a Nobel Prize. The human rights activist Mr Liu Xiabo was the first.
However, the government-controlled Chinese media never disclosed the news of
Xiabo's prize to the Chinese public. Xiabo continues to be in jail. When the
news came for a Nobel for Mo Yan, a Chinese commentator wrote on the Internet, “The
first one was moyan [silent]. The second was still Mo Yan!”
Is
it simply a coincidence that the Chinese word for silence ‘moyan’
sounds similar to the Sanskrit word 'maun' मौन having the same
meaning?
The
Sanskrit word 'maun' मौन is
considered to be related to the Sanskrit words ‘man' मन (pronounced as
mun) = mind, thought, instinct; and muni मुनि = anyone
who is moved by inward impulse, or a hermit who has taken the vow of
silence. Thus, 'maun' मौन implies
conscious decision to observe silence. Another Sanskrit word 'mook' मूक (=dumb) implies pathological
inability to speak. Similar sounding words mokuhi 黙秘 (Japanese) and chimmuk 침묵 (Korean) also mean silence.
Shall we say now, Hindi-Chini-Japani-Korean bhai-bhai or behan-behan! (Hindi, Chinese,
Japanese and Korean are brothers or sisters!)
Location:
New Delhi, Delhi, India
Friday, August 24, 2012
महर्षि वाल्मीकि-2: सीता जी का पिता रावण! सीता जी का भाई राम!!
महर्षि वाल्मीकि 7000 वर्षों के बाद
भारत-यात्रा पर आए। उन्हें पता चला कि इस बीच रामायण-गायकों के गलत उच्चारण के
कारण राम-कथा के कई गलत रूप भी प्रचलित हो गए हैं। विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जा
रहा है कि सीता रावण की पुत्री थी, और यह भी कि राम
और सीता भाई बहन थे। वाल्मीकि जी को यह जान कर दुःख हुआ कि उनकी रामायण को
काल्पनिक माना जा रहा है। पिछले अंक में आपने पढ़ा कि वाल्मीकि जी ने बताया कि उनका
नाम वाल्मीकि नहीं रामकवि है, उनके शरीर पर दीमक लगने
की कहानी झूठ है और यह भी कि उन्होने राम-राम का उल्टा जाप नहीं किया। अब आगे पढ़िए
कि राम सीता के भाई–बहन होने और सीता के रावण की पुत्री होने
की कथाएँ कैसे बनी...
महर्षि वाल्मीकि-1: शरीर पर दीमक और राम नाम का उल्टा जाप
“आपने हमारी आंखे खोल दीं, रामकवि,”
वाइस-चांसलर जी ने कहा, “हम समझ गए हैं कि
आपके छात्रों की शरारतों के कारण ही आपका नाम वाल्मीकि यानी दीमक वाला पड़ा। किन्तु
मेरा निवेदन है कि हम भारतवासी हज़ारों वर्षों से आपको वाल्मीकि नाम से ही जानते
हैं। अगर अब हम अपनी भूल सुधार कर लें और आपको आपकी उपाधि ‘रामकवि’ या आपके असली नाम से भी पुकारने लगें, तो अब आपके नाम और कृति के विषय में और भ्रम फैल सकता है। मेरा निवेदन है
कि आप हमें अनुमति दें कि हम भविष्य में भी आपके लिए वाल्मीकि नाम का ही उपयोग
करते रहें। इस वाल्मीकि नाम में भी हमारे मन में आपके
तप के प्रति श्रद्धा ही है।”
“जैसी आपकी इच्छा, कुलपति,”
वाल्मीकि जी ने कहा।
सभागार में तालियाँ बज उठीं।
तभी प्रोफ॰ पाउला रिचमान* अपनी सीट से उठीं।
“मैं हैरान हूँ, मैं अवाक हूँ। यह
एक अकादमिक सम्मेलन है या रामानंद सागर के टीवी सीरियल रामायण का सैट? नाटक की पोशाक पहने कोई कलाकार यहाँ आकर अपने को वाल्मीकि कहता है, चंद संवाद बोलता है और आप लोग उसे सच मान लेते हैं। रामानंद सागर की
रामायण देखते समय लोग टीवी को मंदिर मान लेते थे। टीवी पर फूल और पैसे चढ़ाते थे।
आज, आप लोग एक बहुरूपिये को वाल्मीकि मान रहे है! नाटक
के इस कलाकार के कहने से आप लोग वाल्मीकि रामायण को मूल रामायण मान रहे हैं!
वाल्मीकि की रामायण मूल रामायण नहीं हैं। यह तो बस सैकड़ों रामायणों में से एक है।
रामकथा कोई इतिहास नहीं है। आप कहाँ हैं प्रोफेसर रोमिला थापर? कहाँ हो रामानुजन? आप लोग बोलते क्यों नहीं? आप दोनों ने तो इस विषय पर बहुत लिखा है, और
बोला भी है।”
प्रोफेसर रोमिला थापर उठीं : “मैंने टीवी धारावाहिक
रामायण के प्रसारण के समय भी कहा था कि टीवी सीरियल से रामकथा की विविधता नष्ट हो
रही है। किन्तु टीवी के द्वारा समाज पर रामायण की एक कहानी विशेष को थोप दिया गया।
दूरदर्शन पर रामायण धारावाहिक का प्रसारण आधुनिक भारत के इतिहास की एक चिंताजनक और
खतरनाक घटना थी।”
अब प्रोफेसर रामानुजन ने मोर्चा सँभाला।
“अगर हम एक मिनट के लिए मान भी लें कि साधु की पोशाक पहने
हुए यह व्यक्ति वाल्मीकि ही है, तो फिर इससे यह सिद्ध
नहीं होता कि वाल्मीकि रामायण ही मूल और असली रामायण है। हाँ, हम ऐसा कह सकते हैं कि हजारों रामकथाओं में से एक कथा वाल्मीकि ने भी लिखी
थी। वैसे मैंने अपने लेख में ‘हज़ारों रामायण’ नहीं लिखा है। मैंने लिखा है
कि संसार में रामायण की 300 कथाएँ प्रचलित हैं, क्योंकि फ़ादर कामिल बुल्के ने रामकथा पर अपनी थीसिस में
ऐसा ही लिखा था। असली-नकली रामायण पर मैं एक उदाहरण
देता हूँ: प्राचीन यूनानी विद्वान अरस्तू ने एक बढ़ई से
पूछा कि तुमने लकड़ी काटने वाली आरी कब ली थी। बढ़ई ने कहा यह आरी उसके पास 30 साल
से है। “कई बार मैं इसका हत्था बदल चुका हूँ, और कई बार इसकी लोहे की दांती भी। लेकिन यह आरी तो वही 30 साल पुरानी है।
यही हाल रामायण का भी है। इसकी कथाएँ हज़ारों बार बदल चुकी हैं। अरस्तू के बढ़ई की
आरी की तरह रामायण का कोई भाग असली नहीं है। ये सभी काल्पनिक कथाएँ हैं। उनकी कहानी बार-बार बदल चुकी है। इन सभी रामायणों में
एक ही समानता है: सभी में मुख्य पात्रों के नाम राम, सीता, और रावण हैं। बौद्ध परंपरा में दशरथजातक नाम की एक रामकथा है। उसमें इसमे राम और सीता भाई बहन हैं। कन्नड़ लोक गायक तंबूरी दासय्या जो कथा गाते हैं, उसमे सीता
रावण की पुत्री है। इस कथा में रावण को रावुलु कहते हैं। रावुलु आम खा कर गर्भवान हो जाता है। रावुलू को छींक आती है और नाक के रास्ते उसके गर्भ से सीता पैदा होती है। सच तो यह है कि कन्नड़ में सीता का अर्थ ही है "वह छींका"! ये
मिस्टर वाल्मीकि, सीता और राम को पति-पत्नी बताते हैं। ये सीता को राजा जनक की पुत्री बताते हैं। अपनी रामायण को ही मूल रामायण बता रहे हैं।
यह नहीं हो सकता। कौन जाने सीता किसकी पुत्री थी? दशरथ
की, जनक की, रावण की या किसी
और की ? किसी एक कहानी का थोपा जाना हमें सहन नहीं
होगा। हम लोग इस सम्मेलन में यही बात ज़ोर से कहने के लिए आए हैं कि रामायण की कोई मूल कथा है ही नहीं।”
प्रोफेसर रिचमान और प्रोफेसर थापर ने प्रोफेसर रामानुजन का समर्थन किया।
वाल्मीकि जी अपनी सीट से उठे।
“महोदय मैं पूछना चाहता हूँ कि 300 रामकथाओं में से क्या कोई एक भी ऐसी है जिसके बारे में आप निर्विवाद रूप से यह कह सकें कि वह मेरी रामायण से पहले लिखी गई। प्रोफ. रामानुजन मेरी
रामायण को मूल कथा नहीं मानना चाहते तो उनकी इच्छा, किन्तु
वे एक ऐसी कहानी को मान्यता दे रहे हैं, जिसमें रावण
गर्भवती या गर्भवान हो कर नाक के रास्ते सीता को जन्म देता है! क्या आजकल पुरुष गर्भवान हो कर बच्चों को जन्म देने लगे हैं?”
सभा भवन में कुछ हलचल हुई।
वाल्मीकि जी कहते रहे, “कुश-लव गायकों की
लंबी परंपरा में हज़ारों वर्षों से मेरी रामायण का गायन हो रहा है। इस बीच नई
भाषाएँ और लोक–बोलियाँ भी विकसित हुई होंगी, और मेरी रामायण का उन नई बोलियों में भाष्यांतर भी हुआ होगा। इस बीच
गायकों द्वारा गलत अनुवाद अथवा गलत उच्चारण से कथा में बदलाव आ गए हों तो क्या
आश्चर्य? मित्रो मैं उदाहरण देना चाहता हूँ।
"अगर गायक बोले रावण गर्ववान था, और कोई गर्ववान को गर्बवान या गर्भवान समझने की बेतुकी गलती कर दे तो किसका दोष है?
“कोई बताए कि संस्कृत शब्द ‘क्षति’ का क्या अर्थ है?”
“क्षति का अर्थ है हानि-कारक।” संस्कृत
विभाग के मिश्रा जी ने कहा।
“और जनन?”
“जनन का अर्थ है जन्म, पैदा या
कारक”
“बिलकुल ठीक। इस तरह क्षति-जनन का अर्थ हुआ हानिकारक।
क्षति-जन्य या क्षति-जनक के भी लगभग यही अर्थ हुए। मैंने रामायण में लिखा था कि
रावण के अनेक सलाहकारों जैसे कि मारीच, माल्यवान, विभीषण, कुंभकरण और मंदोदिरी ने बार-बार रावण को चेताया था कि सीता का हरण रावण के लिए
क्षति-जनन है / क्षति-जन्य है/ क्षति-जनक है। यानी सीता रावण के लिए हानिकारक है।
“गाँव-गाँव, नगर-नगर रामायण गाते
हुए गायकों की एक टोली ने क्षति की जगह क्षुति या क्षौति बोलना शुरू कर दिया होगा।
क्या आप जानते है संस्कृत शब्द क्षुति या क्षौति के अर्थ? मैं बताता हूँ। क्षुति या क्षौति का अर्थ है छींक। अतः क्षति-जन्य के
स्थान पर क्षुति-जन्य बोलने से कथा ने रोचक मोड़ ले लिया प्रोफ. रामानुजन जी। मैंने
लिखा था कि लंका में सीता की उपस्थिति रावण के लिए हानिकारक थी। और आज सुन रहा हूँ कि लोक-गायक गा रहे
हैं कि सीता रावण की छींक से पैदा हुई थी!!!
कन्नड़ में सीता का अर्थ अगर 'वह छींका' है तो कोई आश्चर्य नहीं है। संस्कृत में छींक के लिए शब्द है क्षुति। लोक-भाषा के विकास में यह क्षुति कुछ इस तरह बिगड़ गया होगा: क्षुति > शुति > सुति > सितु > सिता > सीता।
आप शब्दों से जैसा चाहें, अनेक प्रयोग कर सकते हैं। एक मात्रा बदलने से भी अर्थ बदलते जाएंगे।
रावण ने सीता को जाना
रावण ने सीता को जना
सीता रावण की मति में थी।
सीता रावण की माटो (पेट) में थी।
"आचार्यवर, इतनी बड़ी भूल को मान्यता दे कर, पूरी रामायण को ही काल्पनिक मान लेना कहाँ का न्याय है? अद्भुत बात है! उच्चारण में तो गलती हो सकती है, लेकिन समझ नहीं आता कि कोई यह समझने में कैसे गलती कर सकता है कि कोई
पुरुष कैसे गर्भवती, मेरा मतलब गर्भवान हो सकता है? और उसकी छींक के रास्ते बच्चे का जन्म कैसे हो सकता है? गर्भाशय और नाक के बीच कोई रास्ता होता है क्या? 7000 वर्ष पूर्व राम के समय में भारत में शरीर विज्ञान का अच्छा ज्ञान था।
कई बार गर्भ से शिशु का जन्म शल्यक्रिया द्वारा भी कराया जाता था। क्या भारत में
आज शरीर विज्ञान की पुरानी जानकारी का भी अभाव हो गया है ?
“अब यह भी सोचने का विषय है कि रामायण गाते हुए उच्चारण कि
किस गलती से सुनने वालों ने राम को सीता का भाई समझने की भारी गलती की होगी।
“संस्कृत में भाई के लिए शब्द हैं: भ्रात, भ्राता, भ्रातृ, भातृ
और पति के लिए शब्द हैं: भर्ता, भर्तृ। क्या इन शब्दों की ध्वनियाँ आपस में मिलती-जुलती नहीं हैं?
अगर रामायण गाने वाले ने बोला भर्ता, और सुनने वाले ने
सुना भ्राता!
गाने वाले ने बोला भर्तृ, सुनने वाले ने सुना
भातृ! इस तरह पति को भाई समझने में कितनी देर लगेगी? क्या
मैंने कुछ गलत कहा?” वाल्मीकि जी पूछ रहे थे।
उनका उत्तर संस्कृत के प्रख्यात शब्दकोशकार श्री वामन शिवराम आप्टे ने
दिया।
“वाल्मीकि जी आप बिलकुल ठीक कह रहे है। मैं यहाँ आपकी बात
में यह जोड़ना चाहता हूँ कि प्राचीन संस्कृत में बंधु शब्द भाई और पति दोनों के लिए
प्रयोग होता था। कालिदास ने रघुवंश के 14वे सर्ग के 33 वें श्लोक में श्री राम को
सीता का बंधु कहा है: ‘वैदेहि बंधोर्हृदयं विदद्रे’।
इसी तरह प्राचीन संस्कृत में भगिनी शब्द का अर्थ बहन और सौभाग्यवती स्त्री, दोनों हो सकता है।”
“साधु, साधु” वाल्मीकि जी ने कहा। “अब आप लोग समझ गए होंगे कि राम और सीता के भाई बहन होने की कहानी कैसे बनी होगी।”
श्रोताओं में से एक हाथ उठा।
"हाँ, कहिए" वाल्मीकि जी ने कहा।
"हमारे राजस्थान में पति को बींध कहते हैं। बींध और बंधु की ध्वनियों में काफी समानता है।"
“साधु, साधु” वाल्मीकि जी ने कहा। “अब आप लोग समझ गए होंगे कि राम और सीता के भाई बहन होने की कहानी कैसे बनी होगी।”
श्रोताओं में से एक हाथ उठा।
"हाँ, कहिए" वाल्मीकि जी ने कहा।
"हमारे राजस्थान में पति को बींध कहते हैं। बींध और बंधु की ध्वनियों में काफी समानता है।"
वाइस-चांसलर महोदय काफी देर से चुप थे। उन्होने माइक सँभाला और घोषणा की:
“मैं सम्मेलन के आज पूर्व-निर्धारित सभी कार्यक्रम स्थगित
करता हूँ। वाल्मीकि जी के सान्निध्य में यह चर्चा जारी रहेगी।”
इतिहास विभाग के अनेक प्रोफेसरों ने उठ कर विरोध किया:
“हम यहाँ प्रो. रामानुजन, प्रो. पाउला रिचमान, प्रोफेसर रोमिला थापर और प्रोफ. राम शरण शर्मा को सुनने आए हैं; वाल्मीकि को नहीं। मिस्टर वाइस –चांसलर आपका कदम
असंविधानिक है। सम्मेलन पूर्व-निर्धारित कार्यक्रम से ही चलेगा। हमने आपको केवल
उद्घाटन के लिए बुलाया था।"
इस बीच चाय का अवकाश हो चुका था। हॉल लगभग खाली हो गया था। पर वाल्मीकि जी
चारों ओर से जिज्ञासुओं से घिरे हुए थे।
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नोट: इस काल्पनिक कहानी में प्रोफ. रामानुजन, प्रोफ. रिचमैन तथा प्रोफ. थापर के कथन उनके छपे हुए लेखों या पुस्तकों पर आधारित हैं। प्रिन्सिपल वामन आप्टे का कथन उनके शब्दकोश में दिये गए बंधु शब्द की परिभाषा पर आधारित है।
पात्रों के अधिक परिचय के लिए निनलिखित लिंक देखिये:
प्रिन्सिपल वामन शिवराम आप्टे (1858-1892)
प्रोफ. अट्टीपाट कृष्णस्वामी रामानुजन (1929-1993)
प्रोफ. रोमिला थापर (1931-)
प्रोफ. पाउला रिचमैन
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