साहित्य के लिए 2012 का नोबेल चीनी साहित्यकार श्री ‘मो
यान’ दिया जायेगा। उनका असली नाम गुआन मोये
है, लेकिन वह छद्म नाम ‘मो
यान’ से लिखते हैं। चीनी में ‘मो यान’ का अर्थ है खामोशी या मौन। मो
यान चीन में रहने वाले दूसरे व्यक्ति हैं, जिन्हे नोबेल पुरस्कार मिलेगा। पहले पुरस्कार विजेता हैं: मानवाधिकार कार्यकर्ता
श्री लियू क्षियाबो। किन्तु सरकार-नियंत्रित चीनी मीडिया ने कभी चीनियों को क्षियाबो
के पुरस्कार की खबर नहीं दी। वे लगातार जेल में हैं। अब जबकि मो यान के लिए नोबेल पुरस्कार
की खबर आई, तो एक चीनी टिप्पणीकार ने इंटरनेट
पर लिखा, “पहला भी ‘मोयान’ (खामोश/मौन) था, दूसरा भी ‘मो
यान’ है!"
क्या यह सिर्फ एक संयोग है कि संस्कृत, हिन्दी और अनेक भारतीय भाषाओं का शब्द मौन और उसका चीनी
पर्यायवाची मोयान लगभग एक जैसी ध्वनि लिए हुए हैं? क्या मौन और मोयान का डीएनए
एक ही है?
संस्कृत शब्दों मन,
मुनि और मौन में आपस का रिश्ता माना जाता है। मन का अभिप्राय हमारी चेतना, मस्तिष्क, या सहजबोध से है। मुनि का
तात्पर्य उस साधक से है जो मन या अपनी अंतर-प्रेरणा से काम करे या फिर उस साधु से
जिसने मौन व्रत लिया हो। इस अर्थ में मौन
और मोयान (चीनी) में चुप रहने का सक्रिय आत्म-निर्णय निहित है।
किसी बीमारी के कारण न बोल पाने
या गूंगेपन के लिए संस्कृत और हिन्दी का शब्द ‘मूक’ है। खामोशी के लिए ‘मूक’ से मिलते-जुलते शब्द जापानी और कोरियन में भी मिलते हैं: जापानी में ‘मोकुही’ 黙秘(mokuhi), और कोरियन में चिम्मुक 침묵 (chimmuk)। तो क्या कह
दें: हिंदी-चीनी-जापानी-कोरियन सब भाई-भाई
या फिर बहन-बहन!
आपने बहुत अच्छे ढंग से यहाँ भाषाओँ और शब्दों के मेल को बताने का प्रयास किया है..
ReplyDeleteधन्यवाद प्रभात। साथ बने रहिएगा।
Deleteदक्षिण एशिया की भाषाओं में अगर शब्दों का आदान प्रदान हो भी चुका हो तो कोई बड़ी बात नहीं। हो सकता है कुछ शब्द संस्कृत से वहां गए हों, तो कुछ वहां से आए हों...
ReplyDeleteबिलकुल ठीक कहा।
Deleteभाषाओँ का पारस्परिक लेन-देन सदा से चलता आया है ,यह भी संभव है कोई पुराना सूत्र हो जिससे आगे बढ़ने के क्रम में विभिन्न कारणों से ध्वनियों और रूपों में अंतर आते गये साथ ही काल-क्रम में नये शब्द जुड़ते चले गये.
ReplyDeleteएकदम सहमत।
Deleteअच्छी जानकारी मिली!
ReplyDeleteधन्यवाद। स्वागत।
Deleteon Facebook: sir turkish and hindi share so many words too..! they have dost, mohabbat and many more that are similir!
ReplyDeleteTurkish words such as mohabbat are categorized as VIDESHI in Hindi. What we shall see in this blog is that in the ultimate analysis words of Turkish and all other languages had a common origin. Sanskrit words evolved into words of other languages through a series of mutation, and are coming back to Indic languages in their new avatars. e.g. preetam > peetam > beetam> beetam > mabeet > mohabeet > mohabbat. linguists don't agree with this theory.
DeleteOk sir ... Now I get it ... Thr r wrds tht are videshi ... N some tht hv a pattern of evolution... I thought turkish n hindi had common wrds coz of usage as a result of introduction stemming from visits of turks in india fr business ...
Delete12 hours ago via mobile · Unlike · 1
You are right Priyanka. These words were indeed introduced by foreigners when they came to India. However, my theory is that the VIDESHI words originally evolved from Sanskrit or some other Indic language.
DeleteThe word Mandarin itself is from 'Mantrin' meaning ministers or chancellors to the royal court. Chinese was even written in an Indic script for quite some time.
ReplyDeleteYes, very right. Chinese and Indic languages have much more in common than is generally believed. It is believed by the linguists that words like Mandarin are 'exports'' to Chinese language. What needs to be explored is evolution of senso stricto Chinese words.
DeleteHmm...that will be an interesting premise.
Delete"प्रीतम" शब्द व्यक्ति के लिये है जबकि "मोहब्बत" मन का एक भाव है। मोहब्बत से मिलता जुलता एक और भाव वाचक शब्द है "मोहित" ...मोहित करने वाली बातें= मोह बात= मोहब्बत।
ReplyDelete:)
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