लेखक -- राजेन्द्र गुप्ता
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आपने पढ़ा कि संस्कृत में विजेता के लिए जयेन शब्द भी है। उसी से श्येन शब्द निकला
जिसका प्रयोग बाज पक्षी के लिए हुआ। संस्कृत में एक विशेष प्रकार के घोड़े को भी
श्येन कहते हैं। किन्तु घोड़े और बाज के लिए एक ही शब्द का प्रयोग यही
नहीं रुकता। संस्कृत में बाजि शब्द का प्रयोग घोड़े के लिए भी होता है। शायद बाजि शब्द का उत्स गति के
लिए वाज शब्द में है। वाज और बाज लगभग एक समान शब्द हैं।
वाज / बाज शब्द भी
वेग अर्थात गति का तद्भव रूप हो सकता है।
वेग > वेज > वाज > बाज
संस्कृत में श्येन।
बाज को वेगिन् भी कहते हैं।
वेग > वेगिन् । अतः वेगिन
का अर्थ हुआ गतिमान।
प्राणियों में तीव्र
गति के लिए प्रसिद्ध घोड़े को संस्कृत में वाजिन् भी कहते हैं। घोड़े के लिए वाजिन
और बाज के लिए वेगिन, दोनों शब्द सगे संबंधी है!
वेगिन् > वागिन > वाजिन
बाजि - तुलसीदास जी
ने रामचारित मानस में अनेक स्थानों पर घोड़े के लिए बाजि शब्द का प्रयोग किया है।
बाजि भी बाज, वेगिन और वाजिन का संबंधी है।
संस्कृत में बाज का
एक और पर्यायवाची शब्द पाजिक है। यह भी वेग पर ही आधारित है। जैसे वेग से वेगिन,
वैसे ही वेग से
वेगिक। वेगिक > बेजिक > बाजिक > पाजिक।
या फिर बाज > बाजिक > पाजिक
बाज के लिए अंग्रेजी
का हॉक hawk भी वेग का ही बिगड़ा रूप लगता है।
वेग > वेक > एवक > हवक > ह्वाक
वेग > वेक > एवक > हवक > ह्वाक
या फिर वेग > ह्वेग > ह्वेक > ह्वाक > हॉक hawk
शिकारी पक्षी होने
के कारण बाज को शिकरा भी कहते हैं।
शिकारी > शिकारा > शिकरा
संस्कृत में श्येन /
बाज के लिए अनेक अन्य शब्द भी हैं जो अपनी कहानी स्वयं कहते हैं, जैसे मारक (मारने
वाला), खगान्तक
(पक्षियों का अंत करने वाला), कपोतारि (कबूतरों का शत्रु) तथा शशघ्नी (खरगोश
मारने वाला)।
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