Once again
in the time machine with Rajendra Gupta. This time our ancestors have found a
woody hard fruit to crack. What will they call it and why….
राजेंद्र
गुप्ता के साथ फिर से टाइम मशीन में। इस बार पुरखों को मिला है लकड़ी जैसा सख्त फल।
देखते हैं कि वे इसे क्या नाम देते हैं, और क्यों ..
Once again in the time machine. Back
with the ancestors. By now, they have crafted new Sanskrit words KATH काठ and KASHTHA काष्ठ from
the sound of striking wood on the ground. They call every hard thing as
KATHIN or KATHOR…
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टाइम मशीन में
फिर आ पहुँचे हम, पुरखों के
साथ। अब तक वे लकड़ी को धरती पर फटकने से कठ-कठ / की आवाज से लकड़ी के लिए काठ /
काष्ठ जैसे शब्दों को तराश चुके हैं। किसी भी सख्त वस्तु को वे अब काष्ठ की उपमा
देते हैं । कठिन और कठोर शब्द भी इसी परंपरा में बन चुके हैं...
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KATH KATH / THAK THAK
KATH काठ is the
word for wood
KATH काठ = wood
KATHAK
KATHACH
KATHASH
KASHTHA = wood
KATH> KATHIN
कठिन
= hard
KATH> KATHOR
कठोर
= hard
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कठ-कठ / ठक-ठक
काठ
काठक
काठच
काठश
काष्ठ
काठ > कठिन
काठ > कठोर
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Today our ancestors have found a new
fruit. It is dry outside but full of milky water and cream, It is not easy to
eat, because of its woody cover with thick hair/ fibres. The ancestors are
pondering: What should be its name?....
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आज पुरखों के
सामने एक नया फल है। बाहर से सूखा है, पर अंदर पानी, दूध और मलाई। इसे खाना
बहुत कठिन हैं, क्योंकि इसके
चारों ओर लकड़ी जैसा कठिन आवरण है और उसके ऊपर घने बाल या केश उगे हैं। पुरखे सोच
रहें हैं: क्या नाम दें इसे?..
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“KATHIN (hard)
should be O.K., KATHOR will also do. May be KESHARI (hirsute).”
Let’s see what
changes have occurred over thousands of years in these putative original words
for coconut…
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‘कठिन’ ही ठीक रहेगा। ‘कठोर’ भी चलेगा। केश वाला
है, ‘केशरी’ भी कह सकते हैं।
चलिये देखते हैं
कि हज़ारों वर्षों की यात्रा में इस ‘कठिन-फल’ या ‘केशरी- फल’ के नामों में कैसे-कैसे
परिवर्तन आ रहे हैं...
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Direction 1
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दिशा
1
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KATHIN (= hard in Sanskrit)
KATHIN KATHIN
THINAKA
TINAKA
TINKA
TINKAYA
TENKAYA (Telgu)
TENKAI (Tamil)
TENGAI
THENGAI
THENGA (Malayalam)>TENGU >
(Kanada)
THENJA
THENYA
THENNA (Malyalam)
TENNAI (Tamil)
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कठिन
कठिन कठिन
ठिनका
टिनका
टिंका
टिंकाया
टेंकाया (तेलुगू))
टेंकाई
(तमिल)
टेंगई
थेंगई
थेंगा
(मलयालम)> तेंगु (कन्नड़ा)
थेंजा
थेन्या
थेन्ना
(मलयालम)
तेन्नाई (तमिल)
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**
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**
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Direction
2
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दिशा
2
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KATHIN (= hard in Sanskrit)
NATHIK (reverse of KATHIN)> NUT
NATHIKAL
NADIKAL
NADHIKEL
NARIKEL (Sanskrit, Bengali)
NARIKELAM (Malyalam)
NARIKELAMU (Telugu)
NARICHEL
NARIJEL
NARIYEL >NAREL/
NARAL (Marathi)
NARIYAL (Hindi, Punjabi)
NARHIAA (Odiya)
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कठिन
नठीक (कठिन का
उलटा)> नट
नठिकल
नडिकल
नाड़ीकेल
नारिकेल (संस्कृत, बांग्ला)
नारिकेलम (मलयालम)
नारिकेलमु (तेलगु)
नारिचेल
नारिजेल
नारीयेल> नारेल/ नारल
(मराठी)
नारियल
(हिन्दी, पंजाबी)
नाड़ीआ (ओडिया)
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**
|
**
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Direction
3
|
दिशा
3
|
KATHIN (=hard)
KAKATHIN
KAKANITH
KOKONITH
KOKONODO >KOKONDO
(Basque)
KOKONUT
COCONUT (English)
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कठिन
ककठिन
ककनिठ
कोकोनिठ
कोकोनोडो> कोकोंडो (बास्क्ये, उ॰ पू॰ स्पेन, द॰ फ्रांस)
कोकोनट (अँग्रेजी)
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**
|
**
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Direction 4 (branch of direction
3)
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दिशा
4 (दिशा 3 से बदला रास्ता)
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KOKONODO
KOKODONO
KOKODOLO
KOKODORO
KOKOTORO
COKOTERO
(Spanish)
COCOJERO
COCOYERO
COQUEIRO
(Portuguese)
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कोकोनोडो
कोकोडोनो
कोकोडोलो
कोकोडोरों
कोकोटोरो
कोकोटेरो
(स्पेनी)
कोकोजेरो
कोकोयेरो
कोक्येरो
(पुर्तगाली)
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..may be this way…
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.. या फिर इस
तरह...
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KATHOR: direction 1
|
कठोर:
दिशा 1
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KATHOR
KAKATHOR
KOKOTERO (Spanish)
KOKOJERO
KOKOYERO
COQUEIRO (Portuguese)
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कठोर
ककठोर
कोकोटेरो
(स्पेनी)
कोकोजेरो
कोकोयेरो
कोक्येरो
(पुर्तगाली)
|
**
|
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KATHOR: direction 2
|
कठोर:
दिशा 2
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KATHOR (= hard
in Sanskrit)
KADOR
KAJOR
KAYOR
KOYR
KOIR/
COIR/ (English) KEIR (Malyalam)
CHOIR
SHOIR
SHRI
SHRI + PHAL = SHRIPHAL (Sanskrit)
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कठोर
कदोर
कजोर
कयोर
कोय्र
कोइर
(अँग्रेजी) / केर (मलयालम)
चोईर
शोइर
श्री
श्री + फल = श्रीफल (संस्कृत)
|
**
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**
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KESHARI: direction 1
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केशरी: दिशा 1
|
KESHARI (= hairy in Sanskrit)
KEHRI
KEHRI
KEYR
COIR (English)/ KEIR (Malayalam)
CHOIR
SHOIR
SHRI
SHRI + PHAL = SHRIPHAL (Sanskrit)
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केशरी (= बालों वाला, संभावित नाम)
केहरी
केयरी
केय्र
कोइर
(अँग्रेजी) / केर (मलयालम)
चोईर
शोइर
श्री
श्री + फल > श्रीफल (संस्कृत)
|
**
|
|
KESHARI: direction 2
|
केशरी: दिशा 2
|
KESHARI> KEHRI> KEYRI
KEYAR
KERAY
KERAJ
KERAD
KARYDA (Greek)
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केशरी > केहरी >केयरी
केयर
केरय
केरज
केरद
कार्यद
(ग्रीक)
|
**
|
**
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KESHARI: direction 3
|
केशरी: दिशा 3
|
KEASHARI
KEHARI
KEHALI
CHAHALI
SHAHALI
SHAHALE
(MARATHI)
|
केशरी
केहरी
केहली
चहली
शहली
शहाले
(मराठी)
|
**
|
**
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The ancestors have
cracked the hard nut. Having taken the coconut water/ milk and the cream,
they haven’t thrown the woody covering. They are going to use it for drinking
water. What are they calling this first utensil:
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पुरखों ने कठोर
फल को तोड़ दिया है, उसका पानी पी
कर और उसकी मलाई खाने के बाद उन्होने उसके काठ को फेंका नहीं है। अब वे उसे पानी
पीने के लिए काम में लाने वाले हैं। क्या कह रहे है वे, अपने इस पहले बर्तन
को:
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“KATORA” because it is made of KATH (wood). Yes,
KATORA is the word for bowl in many Indic languages.
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कठोर से कठोरा
आज भी हम खाना
खाने के छोटे-गहरे बर्तन को हम कटोरा कहते हैं!
कठोरा > कटोरा
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And
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और
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KATH + PA = DRINKING
KATHAP
KHATHAP
KHAPATH
KHAPAD
KHAPADH
KHAPAR >KHOPRA
(=head, coconut)
KHAPPAR (= SKULL IN Sanskrit)
KHAPPAY
KHAPP
KAPP
KAP/ CUP!
|
काठ + प =
(पीना)
काठप
खाठप
खापठ
खापड
खापड़
खापर > खोपरा
खप्पर
खप्पय
खप्प
कप्प
कप !
|
**
|
**
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Let’s return from the past to the present
times and check the dictionaries for etymology of coconut and cup….
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आइये लौट चलें
अतीत से वर्तमान में, और देखें कि शब्दकोश में क्या लिखा है:
|
Word
Origin & History
coconut
|
1613,
from Sp./Port. coco
"grinning face,"
on resemblance
of the three holes at the base of the shell to a human face.
Online
Etymology Dictionary, © 2010 Douglas Harper
Word
Origin & History
cup
|
O.E.
cuppe, from L.L. cuppa, from L. cupa "tub,"
from PIE *keup- "a
hollow." The Ger. cognate Kopf now means exclusively "head"
(cf. Fr. tête, from
L. testa "potsherd"). Meaning
"part of
a bra
that holds a breast" is from 1938. [One's] cup of tea "what interests
one" (1932),
earlier used of persons
(1908), the sense being "what
is invigorating."
Online
Etymology Dictionary, © 2010 Douglas Harper
This blog post is
dedicated to my teacher Professor Holenarasipur Yoganarasimham Mohan Ram. I and
my class fellows haven’t forgotten his lectures on coconut, mango and other plants in
Economic Botany classes and his magical storytelling style even after more than
three decades.
यह ब्लॉग पोस्ट मेरे प्रोफेसर
होलेनरसीपुर योगनरसिंहम मोहन राम को सादर समर्पित है। तीन दशक से अधिक समय पहले, नारियल, आम और अन्य पौधों पर उनके एकनोमिक बॉटनी के व्याख्यान, जो उन्होने कथा वाचक की जादुई शैली में दिये थे, मुझे और मेरे सहपाठियों को आज भी याद हैं।
Beautiful
ReplyDeleteThank you
Deletewow
ReplyDelete:)
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