DNA of Words शब्दों का डीएनए
A linguistic fiction: Searching for the mother tongue of our first-ancestors, and trying for a grand-unification of all language-families भाषा-वैज्ञानिक कल्पना: हम सभी के प्रथम-पुरखों की मातृभाषा की खोज, और सभी भाषा-परिवारों के महा-मिलन का प्रयास
Sunday, June 30, 2024
Saturday, June 29, 2024
Wednesday, June 26, 2024
अग्रेज़ी शब्दों earth (अर्थ) और terra (टेरा) का संस्कृत DNA डीएन
लेखक – राजेन्द्र गुप्ता
अंग्रेजी भाषा ने वर्ष 1605-1615 ई. के आसपास लैटिन से terra
(टेरा) शब्द उधार लिया था।
इसका उच्चारण ter-uh (टेरह्) के रूप में किया जाता है। इसका अर्थ है पृथ्वी। कोई
भी इस लैटिन शब्द की उत्पत्ति के बारे में नहीं जानता। रोचक बात यह है कि सभी
यूरोपीय भाषाओं के अधिकांश शब्दों की तरह, terra (टेरा) में
भी संस्कृत का DNA (डीएनए) है। संस्कृत में पृथ्वी के एक पर्यायवाची
शब्द ‘धरा’ है। धरा के उच्चारण में गलती से ही लैटिन का terra (टेरह्) बना ! धरा > टरा > टेरा > टेरह् terra.
धरा शब्द की उत्पत्ति संस्कृत धातु ‘धृ’ से हुई है
जिसका अर्थ है -- पकड़ना, संभालना, सहारा
देना, पालना। पृथ्वी के लिए इसके उपयुक्त शब्द और क्या हो सकता
है ! जब यूरोप ने संस्कृत से ‘धरा’ शब्द लिया, तो उस प्राचीन
काल में किसी एक जनसमूह ने इस संस्कृत शब्द धरा का उल्टा उच्चारण किया -- धरा नहीं
अरध बोला। इस भूल के कारण अनेक यूरोपियन शब्दों की उत्पत्ति हुई जैसे जर्मन में Erde अर्डे, पुरानी अंग्रेज़ी में eorthe ओर्थे; , मध्य अंग्रेज़ी में erthe अर्थे, आधुनिक अँग्रेज़ी में earth
अर्थ (पहली बार 950 ई. से पहले दर्ज किया गया), डच में aarde आर्डे, गोथिक में airtha ऐर्थ ।
धरा के
उल्टे शब्द अरध के उच्चारण में और भी बदलाव हुए। अ से य फिर और य से ज। इसके कारण कुछ और शब्द बने, जैसे पुरानी नॉर्स में jǫrth जोर्थ
(arth अर्थ >
yarth यर्थ >
jarth जर्थ > jorth जोर्थ) और डेनिश में jord जोर्ड ।
आपको अग्रेज़ी शब्दों earth (अर्थ) और terra (टेरा) का संस्कृत DNA डीएनए की खोज कैसी लगी। कृपया बताइए। इसका ब्लॉग का अँग्रेज़ी पाठ भी ब्लॉग पर उपलब्ध है।
The Sanskrit DNA of the words earth and terra
The English language borrowed the word ‘terra’ (= earth) from Latin around the years 1605-1615 CE. It is pronounced as ter-uh. But nobody knows the origin of this Latin word. Interestingly, like most of the words in all European languages, terra also has Sanskrit DNA in it. It is a formed just by difference in pronouncing one of the Sanskrit words for earth dharA धरा !
dharA धरा
>
TarA टरा
>
tera
टेरा
>
terra
टेरह्
The Sanskrit word dharA धरा has
its origin in the root dhRi धृ which
means to hold, to handle, to support, to nurture. When Europe borrowed dhaRA धरा from
Sanskrit, some population group in ancient past seems to have made a blunder by
pronouncing a reverse sound image of the Sanskrit word dhaRA धरा
as
ardha अर्ध.
This blunder led to the making of its German cognate Erde अर्डे, Old English eorthe ओर्थे; Middle
English erthe अर्थे, Modern English earth अर्थ
(first recorded before 950
CE), Dutch aarde आर्डे, Gothic
airtha
ऐर्थ
etc.
Another change in pronouncing
a अ to ya य
to
ja ज led to the making of the Old Norse jǫrth जोर्थ
(arth
अर्थ
>
yarth यर्थ >
jarth जर्थ > jorth जोर्थ)
and Danish
jord जोर्ड
.
-- Rajendra Gupta
Sunday, June 23, 2024
कोफ़्ता शब्द कहाँ से आया ?
लेखक – राजेन्द्र गुप्ता
अनेक बच्चों, और बड़ों को भी, सब्जियाँ खाना पसंद नहीं है। लौकी, कद्दू, बैंगन, पालक आदि के नाम पर तो अनेक बच्चे नाक सुकेड़ते हैं और बड़े भौं सुकेड़ते हैं। जब पूरी कोशिशों के बाद भी कोई माँ बच्चों को सब्जियाँ नहीं खिला पाती तब उस समय के लिए उस माँ के पास कुछ गोपनीय पाक-विधि या सीक्रेट रेसिपीज होती हैं। उसे पता है कि बच्चों को गुप्त रूप से लौकी, कद्दू, बैंगन कैसे खिलाना है। वह सब्जियों को बारीक काट कर या कद्दू-कस करके बेसन के गाढ़े घोल में मिलाती है और फिर उसके पकोड़े बना कर उसकी सब्जी या सालन बनाती है। इस तरह नापसंद लौकी और कद्दू की सब्जी भी गुप्त रूप से बच्चों को खिला दी जाती है। बच्चे स्वाद से खाते है और दोबारा मांगते हैं।
बच्चों को लौकी, कद्दू, बैंगन, पालक आदि की सब्जी को गुप्त रूप से खिलाने को ही कोफ्ता खिलाना कहते हैं। क्या आपके दिमाग की बत्ती जली? आपने ठीक जाना। कोफ़्ता का नामकरण कुछ ऐसे हुआ --
गुप्त सब्जी > गुप्ता सब्जी > गोप्ता सब्जी > कोफ़्ता सब्जी > कोफ़्ता !
मेरे एक कश्मीरी मित्र मेरे नाम को गुप्ता नहीं गुफ़्ता बोलते हैं। मैं उनका धन्यवाद करता हूँ कि वह मुझे गुफ़्ता ही बोलते हैं, कोफ़्ता नहीं !!
अब एक और रोचक बात। अगर हम टी.वी. पर रसोई कार्यक्रम
वाले प्रसिद्ध भोजन ब्लॉगर और भोजन के बड़े इतिहासकार दाढ़ी वाले प्रोफेसर साहब की
माने तो प्रत्येक स्वादिष्ट व्यंजन की तरह कोफ्ते का आविष्कार भी मुग़ल बादशाह अकबर
ने किया था। फारसी में कोफ़्त का अर्थ है पीटना। अतः माँस को कोफ़्त कर अथवा पीट
कर बनाया गया व्यंजन कोफ़्ता कहलाया। अरे सर! माना कि आपके अकबर बादशाह कोफ्ता खाते
थे; किन्तु यह आवश्यक तो नहीं कि कोफ्ते का आविष्कार भी उनके बावर्चीखाने में
ही हुआ था। एक मांसाहारी मुग़ल बादशाह को गुप्त रूप से मीट खिलाने की क्या आवश्यकता थी? यह भी तो हो सकता है कि अकबर के हरम में उसकी अनेक हिन्दू शाकाहारी पत्नियों में से कोई उसके लिए गुप्त रूप से सब्जियाँ खिलाने के
चक्कर में गुप्ता / गोप्ता / कोफ़्ता बनाती रही हो!
आपको कोफ़्ता की यह व्युत्पत्ति कैसी लगी? मुझे बताइए।
Saturday, June 22, 2024
कुल्फी शब्द कहाँ से आया ?
लेखक -- राजेन्द्र गुप्ता
कुल्फी रबड़ी जैसे गाढ़े
दूध को जमा कर बनायी गयी एक बर्फीली मिठाई है।
इसे
पारम्परिक भारतीय आइस-क्रीम भी कहा जाता है; किन्तु
आईस-क्रीम की तुलना में कुल्फी अधिक गाढ़ी और मलाईदार
होती है। भरी गरमी की दोपहर में ठंडी कुल्फी मिल जाए तो
और क्या चाहिए। आज देखते हैं कि यह कुल्फी शब्द कहाँ से आया।
संस्कृत शब्दकोशों में कुल्फी के लिए कोई शब्द नहीं है। किन्तु ध्यान रहे कि अनेक शब्द जनता में बोलचाल में प्रचलित होते हैं किन्तु शब्दकोश में नहीं होते।
एक संस्कृत कोश में आइस क्रीम के लिए एक शब्द है -- ‘पयोहिम’। यह पय और
हिम शब्दों के मेल से बना है। पय अर्थात दूध और हिम अर्थात बर्फ (स्नो snow। आइस ice)।
संस्कृत में दूध से बनी मीठी चीज जैसे रबड़ी या खीर को पायस कहते हैं। संस्कृत में ठंड को शीत कहते
हैं। ठंड से जमी वस्तु को शीताकुल कहते हैं। अतः ठंड से जमा हुआ दूध कहलायेगा
शीताकुलपय; और ठंड से जमी हुई रबड़ी कहलायेगी शीताकुलपायस।
ऐसा लगता है कि संस्कृत में कुल्फी के लिए यही शीताकुलपय और शीताकुलपायस शब्द प्रचलित रहे होंगे जो बिगड़ कर कुल्फी में बदल गए होंगे।
शीताकुलपय [संस्कृत का लुप्त शब्द] = ठंड से जमा हुआ दूध
> शीता कुलपय
> शीता कुलफय
> शीता कुलफी
> कुलफी / कुल्फी [हिन्दी]
> क़ुल्फ़ी [फ़ारसी]
> क़ुल्फ़ी [उर्दू]
या फिर
शीताकुलपायस [संस्कृत का
लुप्त शब्द] = रबड़ी से बनी बर्फीली मिठाई
> शीता कुलफायस
> शीता कुलफायह
> शीता कुलफीह
> शीता कुल्फी
> कुलफी / कुल्फी [हिन्दी]
> क़ुल्फ़ी [फ़ारसी]
> क़ुल्फ़ी [उर्दू]
अब एक रोचक बात
भोजन के इतिहास के एक जाने माने विद्वान हैं। वह फूड ब्लॉग लिखते हैं
और टीवी पर रसोई के एक चर्चित कार्यक्रम में जाने माने विशेषज्ञ हैं। उनकी मानें
तो उत्तर भारत का प्रत्येक स्वादिष्ट खाना और मिठाई मुग़लों की देन है। वह कहते हैं
कि कुल्फ़ी का आविष्कार भी भारत में 16 वीं सदी में मुग़ल बादशाह अकबर की रसोई में हुआ था ! उस समय कुल्फ़ी जमाने
के लिए सैकड़ों मील दूर हिमाचल प्रदेश के चूड-चाँदनी-धार पर्वत से बर्फ को आगरा लाया
जाता था। दूध से कुल्फ़ी बना कर उसे धातु
के बर्तनों में ताले में बंद कर दिया जाता था! क्योंकि इस्लाम के मूल स्थान अरब
देश की अरबी भाषा में धातु से बने ताले को क़ुफ़्ल (अथवा क़ुफ़ुल, क़फ़्ल,
क़ुफ़ल) कहते हैं, अतः ताले में बंद इस बर्फीली
मिठाई विशेष को क़ुफ़्ली (quflii•قُفْلی) कहा गया। यह क़ुफ़्ली शब्द बिगड़ कर क़ुल्फ़ी हो गया! इस तर्क दूर की कौड़ी भी नहीं कह सकते। विद्वान प्रोफेसर साहब
क्षमा करें क़ुफ़्ली (ताला-बंद) से कुल्फ़ी की व्युत्पत्ति निकालने को कहना होगा ‘अक्ल
पर ताला पड़ना’, क्योंकि इस कुतर्क के आधार पर किसी अन्य कोई मूल्यवान ताला-बंद वस्तु जैसे सोना, चांदी, हीरा आदि का नाम भी क़ुफ़्ल यानी ताला पर
आधारित होना चाहिए। भाषा विज्ञान में इस तरह तुक्के लगाने के हजारों अन्य उदाहरण
हैं। माना कि अकबर की रसोई में कुल्फ़ी अवश्य बनती होगी किन्तु इसका अर्थ यह नहीं
कि कुल्फ़ी का आविष्कार भी मुग़लों ने किया और नामकरण भी।
आपको ठंडी कुल्फ़ी का संस्कृत नामकरण कैसा लगा? मुझे बताइए।
Sunday, June 16, 2024
‘बैगन का भड़ता’ में भड़ता शब्द कहाँ से आया ?
भड़ता / भुड़ता/ भुर्ता / भरता एक स्वादिष्ट भाजी / सालन / चोखा है जो बैंगन को भूनकर तथा मसलकर बनाई जाती है या बनाया जाता है। कुछ लोग आलू का भड़ता भी बनाते हैं । देखते है कि यह भड़ता / भुड़ता/ भुर्ता / भरता / शब्द कहाँ से आया ?
भड़ता शब्द का रहस्य भड़ता बनाने की क्रिया में बैंगन का आग में भूने जाने में छिपा है।
संस्कृत में आग के अनेक पर्यायवाची शब्द हैं, जैसे अग्नि, पेरु, पारू, यज्ञ, ज्वाल, दहयु आदि।
पारु
शब्द को लेते हैं। पारु में उच्चारण की गलती से ही अँग्रेज़ी का फायर fire
शब्द बना (पारु > फारु > फ़ाउर > फ़ाय्र fire)। इसी तरह पारु में
उच्चारण की गलती से ही पारु बदल कर भाड़ बन गया –
पारु
> पाड़ु > भाड़ु > भाड़
हिन्दी
में भाड़ उस भट्टी को कहते हैं जिसमें बालू को आग पर गरम किया जाता है और उसमें अन्न अथवा अन्य खाद्य सामग्री को भूना जाता है। अतः जो वस्तु भाड़ में भूनी
गई उसे भाड़ित कहा जा सकता है वैसे ही जैसे अँग्रेज़ी में फायर यानी आग में भूनी गई वस्तु
फायर्ड fired कहलाती है। किन्तु यह प्रयोग हिन्दी में नहीं मिलता।
इस तरह
यह स्पष्ट है कि भाड़ में भुनी वस्तु ही भड़ता कहलाई।
भाड़ >
भाड़ित > भड़ता > भुड़ता > भुर्ता
> भरता
बैगन का भड़ता मेरा प्रिय व्यंजन है। आशा है की आपको भी भड़ता पसंद है और भड़ता की यह व्युत्पत्ति भी ।
अगर आजकल आप दिल्ली में है और तपती दोपहर में घर से बाहर निकलना पड़ रहा है तो आपको यह कार्टून भी पसंद आयेगा।
-- राजेन्द्र गुप्ता
Friday, June 14, 2024
गरम हवाओं के लिए 'लू' शब्द कहाँ से आया ?
'लू' अर्थात गरमी के दिनों में चलने वाली तेज गरम या
तपी हुई हवा की लपट। गरमी के दिनों में हम लू चलना, लू लगना, लू
मारना आदि अभिव्यक्तियों बहुत प्रयोग करते
हैं । केवल एक अक्षर और एक मात्रा वाला 'लू' शब्द अनूठा भी है और रहस्यात्मक भी -- क्योंकि कोई नहीं जानता कि 'लू' शब्द कहाँ से आया ! चलिए इस रहस्य से पर्दा
हटाने का प्रयास करते हैं। क्योंकि संस्कृत ही हिन्दी भाषा की माता है, अतः
संस्कृत में तेज गरम और झुलसने वाले के भाव में शब्द खोजते हैं। संस्कृत में जल जाना, जल कर भस्म हो जाना, आग लगाना, आग जलाना, कष्ट
ग्रस्त होना आदि के
लिए शब्द है – ज्वल। और ज्वाला
का अर्थ है -- ज्योति,
लपट, अग्निशिखा।
और ज्वालिन् का अर्थ है बहुत गरम, गरमा-गरम। अतः मेरा अनुमान
है कि लू शब्द ज्वालिन् से इस तरह निकला होगा ---
ज्वालिन् वायु [संस्कृत] = गरमा-गरम वायु
> ज्वालि वायु > ज्वालू वाहु > जवालू हुवा > हवालू हवा > हवा लू हवा > लू
लू का यह संभावित उत्स आपको कैसा लगा?
आपके प्रदेश में या आपकी भाषा में लू को क्या कहते
है?
-- राजेन्द्र गुप्ता
Thursday, May 02, 2024
आम चुनाव नहीं महा चुनाव कहिए
लोकसभा के चुनाव को अँग्रेज़ी में General Election (जनरल इलेक्शन) कहते हैं। चुनाव आयोग की वेबसाइट पर इसे 'आम चुनाव' और 'साधारण चुनाव' लिखा गया है। हिन्दी समाचार जगत में एक अन्य अभिव्यक्ति 'सामान्य चुनाव' भी प्रचलित है। किन्तु यहाँ general (जनरल) का अर्थ आम, सामान्य या साधारण नहीं है। लोकसभा का चुनाव देश का सबसे बड़ा चुनाव है. It is the mother of all elections. अतः यहाँ general (जनरल) का अर्थ है -- बड़ा, महा, मुख्य, प्रमुख, प्रधान जैसे General/ जनरल = सेनापति; solicitor general / सोलिसिटर जनरल = महा न्यायभिकर्ता; advocate general ऐड्वकेट जनरल = महाधिवक्ता; accountant general / अ्कोउन्टेन्ट जनरल = महालेखापाल।
अतः लोकसभा के General Election / जनरल इलेक्शन के लिए उचित शब्द होगा --
मुख्य चुनाव / महा चुनाव / बड़ा चुनाव / प्रमुख चुनाव।
-- राजेन्द्र गुप्ता
#शब्दों_का_डीएनए #DNA_of_Words
Thursday, February 15, 2024
देवी सरस्वती रंग-रूप से सूरजमुखी (albino ऐल्बाइनो) थीं। इसी में उनके नाम का रहस्य छुपा है।
Devi Sarasvati was an albino and that is the secret behind her name.
लेखक
– राजेन्द्र गुप्ता (ब्लॉगस्पॉट पर “शब्दों का डी.एन.ए. / DNA of Words”)
देवी सरस्वती Devi Sarasvati/ Saraswati भारतीय
सभ्यता और संस्कृति की प्रमुख वैदिक एवं पौराणिक देवियों में से एक हैं। वह विद्या,
वाणी और संगीत की देवी हैं। अगस्त्य मुनि रचित सरस्वती स्तोत्र में देवी को कुन्द (चमेली) के
फूल, चंद्रमा, हिम और मोती की तरह सफेद रंग का बताया गया
है।
"या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।”
(अर्थ : जो
कुन्द के फूल, चंद्रमा, हिम और मोती के हार की तरह धवल वर्ण की हैं)
इस वंदना में बताये सरस्वती देवी के रंग-रूप से यह आभास होता है की देवी एक सूरजमुखी या ऐल्बाइनो (albino) थीं। सूरजमुखी लोगों की त्वचा, बाल और आँखों में मिलेनिन वर्णक (pigment पिगमेंट ) पूरी तरह या आंशिक रूप से नहीं पाया जाता। जिसके कारण उनके शरीर का रंग हिम की तरह सफेद होता है। मन में जिज्ञासा उठी कि इस सरस्वती वंदना के आधार पर सरस्वती जी कैसी दिखती होंगी। मैंने माइक्रोसॉफ्ट की AI विधा अथवा कृत्रिम बुद्धि / आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के द्वारा देवी सरस्वती का चित्र बनाने का प्रयास किया। मैंने कंप्यूटर को कहा एक सफेद कमल के फूल पर विराजमान, सफेद वस्त्र पहने हुए एक भारतीय देवी का चित्र बनाओ जो ऐल्बाइनो हैं और वीणा-वादन कर रहीं हैं। AI द्वारा चित्रण के प्रयास में बने सरस्वती जी का चित्र आपके सामने है।
मेरा मानना है कि वैदिक और पौराणिक साहित्य में हमें सभ्यता के उस युग की झलक मिलती है जब मानव वनवासी शिकारी-घुमंतू जीवन छोड़ कर कृषि अपना रहा था और गाँव बसा रहा था। निश्चय ही उस युग में देवी सरस्वती के वस्त्र और आभूषण वैसे नहीं रहे होंगे जैसे के चित्रों में दिखाए जाते हैं। प्रयास करूँगा कि इस विधा को अच्छी तरह से सीखा जाए ताकि एक संतोषजनक चित्र बन सके।
मेरी दूसरी जिज्ञासा थी
कि सरस्वती जी के नाम का अर्थ क्या है। पारंपरिक रूप से भाषाविदों का यह मानना है
कि देवी सरस्वती का नाम वैदिक काल की सरस्वती नदी (जो अब लुप्त हो चुकी है) के नाम
पर किया गया। लेकिन क्यों ? सरस्वती देवी और सरस्वती नदी में क्या संबंध है ?
भाषाविदों के अनुसार सरस्वती नदी को सरस्वती इसलिए
कहा गया क्योंकि उसमें अनेक बड़े सरोवर (और द्वीप) बने हुए थे।
सरस् [संस्कृत] = सरोवर, झील, तालाब
+ वती= स्त्री वाचक शब्दों में लगाए जाने वाला एक प्रत्यय जिसमें स्वत्व या
स्वामित्व का भाव है जैसे कि गर्भवती, पुत्रवती, तेजोवती, सौभाग्यवती, प्रभावती
आदि।
= सरस्वती [संस्कृत] = सरोवरों वाली, झीलों वाली
अतः नदी का नामकरण
तार्किक और सार्थक है किंतु देवी सरस्वती के संदर्भ में यह बहुत अटपटा और अतार्किक
है।
सरस्वती देवी
का एक नाम सावित्री भी है जिसका शाब्दिक अर्थ सूर्य-किरण है। अतः मेरा प्रस्ताव है कि सरस्वती नाम का संबंध देवी के
सूर्यमुखी रंग-रूप के कारण है।
सवितृ [संस्कृत]=
सूर्य
> सावित्र [संस्कृत] = सूर्य से संबंधित
> सावित्री [संस्कृत = सूर्य-किरण, सरस्वती
सूर्य से
संबंध के लिए सरस्वती शब्द से सबसे अधिक ध्वनि साम्यता वाला संस्कृत शब्द सूर्यवती
है। संभवतः यह सूर्यवती शब्द ही अपभ्रंश होकर सरस्वती हो गया।
सूर्य [संस्कृत] = सूरज
+ वत् / वती [संस्कृत] = एक प्रत्यय जो समानता और सादृश्य अर्थ को प्रकट करने के लिए
संज्ञा या विशेषण शब्दों के साथ जोड़ दिया जाता है।
= सूर्यवती [संस्कृत का लुप्त
शब्द?]= सूरज जैसी, सूरजमुखी
> सूरयवती
> सूरजवती
> सूरसवती
> सरस्वती Saraswati / Sarasvati [संस्कृत]
निष्कर्ष : सरस्वती
देवी ऐल्बाइनो / सूरजमुखी थीं। अतः उनका मूल नाम सूर्यवती रहा होगा जो बिगड़ कर सरस्वती
हो गया।
पहेली : एक प्रमुख
भगवान भी सुरजमुखी थे। पहचानो कौन?
संकेत : भगवान की स्तुति में ही उनके रंग-रूप का वर्णन है।