राजेन्द्र गुप्ता (शब्दों का डीएनए DNA of Words dnaofwords dot blogspot dot com)
अगस्त्य एक वैदिक ऋषि थे। उनका वर्णन रामायण में भी आता है। वह राम जी के गुरु वसिष्ठ के बड़े भाई थे। वनवास में श्री राम उनके आश्रम गए थे जहाँ ऋषि ने उन्हें रावण को मारने के लिए दिव्य अस्त्र-शस्त्र दिए थे। ऋषि अगस्त्य को तमिल भाषा का पहला वैयाकरण और केरल के मार्शल आर्ट कलरीपायट्टु का आदि गुरु माना जाता है। ऋषि अगस्त्य दक्षिणी भारत की चिकित्सा पद्धति 'सिद्ध वैद्यम्' के भी जनक भी हैं। ऋषि के स्मृति में भारत के आकाश में सबसे चमकीले तारे का नाम अगस्त्य रखा गया है। इस तारे को अँग्रेज़ी में कनोपस Canopus कहते हैं।
ऋषि अगस्त्य का दूसरा नाम कुम्भज भी है। कुम्भज का शाब्दिक अर्थ है जिसका जन्म कुम्भ या घड़े से हुआ। अतः अगस्त्य को कुम्भजन्मनः, कुम्भयोनिः, कुम्भसम्भवः, घटयोनि, घटसम्भवः आदि भी कहा गया है । अगस्त्य के कुम्भजन्म की एक विचित्र कथा पुराणों में मिलती है। वरुण और मित्र देवता हैं। वह दोनों नदियों और समुद्र के अधिपति देवता हैं। एक बार उन्होंने उर्वशी नाम की एक अप्सरा को देखा। उन दोनों ने उर्वशी पर मोहित हो कर अपना वीर्य एक कुम्भ में स्थापित कर दिया, जिससे वसिष्ठ और अगस्त्य ऋषियों का जन्म हुआ। कोई भी तार्किक मन या जिसने भी विज्ञान पढ़ा है वह इस शुद्ध गप्प को तुरंत अस्वीकार कर देगा। किन्तु हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि सभी पौराणिक गप्पों के पीछे कुछ महा सत्य छिपे हुए हैं। यह सत्य हम तक नहीं पहुंचे है क्योंकि संस्कृत के प्राचीन ग्रंथों का प्रायः व्यापक रूप से भ्रामक अनुवाद और भावानुवाद हुआ है। इसे ध्यान रखते हुए आइये हम अगस्त्य की जन्म कथा में आए शब्दों के वैकल्पिक अर्थों को खोजते हैं और फिर उनका प्रयोग करके कथा का पुनर्पाठ करते हैं।
1. उर्वशी वेद पुराणों में एक अप्सरा का नाम है। किन्तु ध्यान रहे कि उर्वशी
का शाब्दिक अर्थ है -- व्यापक रूप से विस्तारित (भूमि)। उर्वी का अर्थ है --
विस्तृत प्रदेश, भूमि, पृथ्वी, धरती, खुली जगह, मैदान।
उपजाऊ भूमि को उर्वरा कहते हैं। उर्वशी कि कल्पना भोर के मानवीकरण के रूप में भी
की गई है।
2. वीर्य का सबसे प्रचलित अर्थ है – शुक्र, अर्थात
पुरुष के शरीर का वह तरल पदार्थ जिसके स्त्री शरीर में अंडे से मिलन से सन्तान
उत्पन्न होती है। किन्तु वीर्य के अन्य अर्थ भी
हैं, जैसे शूरवीरता, पराक्रम, बहादुरी, बल, सामर्थ्य,
ऊर्जा, दृढ़ता, साहस, शक्ति, क्षमता,
आभा, कान्ति, गौरव, महिमा।
3. कुम्भ का अर्थ है घड़ा। किन्तु कुम्भ एक राशि भी है। पौराणिक समुद्र मंथन
में निकले अमृत कुम्भ की स्मृति में 12 वर्ष में पवित्र नदियों के किनारे मनाया
वाला पारंपरिक पर्व भी कुम्भ कहलाता है।
अब हम वैकल्पिक अर्थों के आलोक में
प्राचीन कथा का पुनर्पाठ करते हैं और नए अर्थों का प्रयोग करते हैं।
1 मूल कथा -- वरुण और मित्र
ने उर्वशी (अप्सरा) को देखा और उस पर मोहित हो गए।
पुनर्पाठ -- वरुण और मित्र ने उर्वशी
(व्यापक रूप से विस्तारित भूमि) को देखा और उस पर मोहित हो गए।
2. मूल कथा -- उन दोनों ने
अपना वीर्य (संतान उत्पत्ति के लिए पुरुष का तरल पदार्थ) एक कुम्भ (घड़ा / पात्र) में स्थापित कर दिया,
पुनर्पाठ -- उन दोनों ने अपने वीर्य (बल, सामर्थ्य, ऊर्जा, दृढ़ता, साहस, शक्ति, क्षमता,
आभा, कान्ति, गौरव, महिमा आदि) को कुम्भ राशि में पवित्र नदी के किनारे होने वाले उस पर्व में
स्थापित कर दिया जिसे समुद्र मंथन में निकले अमृत कुम्भ की स्मृति में मनाया जाना
था।
3. मूल कथा -- कुम्भ से
वसिष्ठ और अगस्त्य ऋषियों का जन्म हुआ।
पुनर्पाठ -- कुम्भ राशि में कुम्भ
पर्व में वसिष्ठ और अगस्त्य ऋषियों का जन्म हुआ।
अंत में निचोड़ ..
जल के देवताओं वरुण और मित्र ने पवित्र
नदी के किनारे व्यापक रूप से विस्तारित भूमि को देखा और वह उस पर मोहित हो गए। उन
दोनों ने कुम्भ राशि में नदी के किनारे समुद्र मंथन में निकले अमृत कुम्भ की
स्मृति में एक पर्व का योजन किया जिसमें अपना बल, सामर्थ्य, ऊर्जा, दृढ़ता, साहस, शक्ति, क्षमता,
आभा, कान्ति, गौरव, महिमा स्थापित कर दिये। इसी कुम्भ पर्व में वसिष्ठ और अगस्त्य ऋषियों का
जन्म हुआ। अतः वह कुम्भज कहलाए।
एक पौराणिक कथा का यह पुनर्पाठ आपको कैसा लगा? कृपया बताइए।
No comments:
Post a Comment