भड़ता / भुड़ता/ भुर्ता / भरता एक स्वादिष्ट भाजी / सालन / चोखा है जो बैंगन को भूनकर तथा मसलकर बनाई जाती है या बनाया जाता है। कुछ लोग आलू का भड़ता भी बनाते हैं । देखते है कि यह भड़ता / भुड़ता/ भुर्ता / भरता / शब्द कहाँ से आया ?
भड़ता शब्द का रहस्य भड़ता बनाने की क्रिया में बैंगन का आग में भूने जाने में छिपा है।
संस्कृत में आग के अनेक पर्यायवाची शब्द हैं, जैसे अग्नि, पेरु, पारू, यज्ञ, ज्वाल, दहयु आदि।
पारु
शब्द को लेते हैं। पारु में उच्चारण की गलती से ही अँग्रेज़ी का फायर fire
शब्द बना (पारु > फारु > फ़ाउर > फ़ाय्र fire)। इसी तरह पारु में
उच्चारण की गलती से ही पारु बदल कर भाड़ बन गया –
पारु
> पाड़ु > भाड़ु > भाड़
हिन्दी
में भाड़ उस भट्टी को कहते हैं जिसमें बालू को आग पर गरम किया जाता है और उसमें अन्न अथवा अन्य खाद्य सामग्री को भूना जाता है। अतः जो वस्तु भाड़ में भूनी
गई उसे भाड़ित कहा जा सकता है वैसे ही जैसे अँग्रेज़ी में फायर यानी आग में भूनी गई वस्तु
फायर्ड fired कहलाती है। किन्तु यह प्रयोग हिन्दी में नहीं मिलता।
इस तरह
यह स्पष्ट है कि भाड़ में भुनी वस्तु ही भड़ता कहलाई।
भाड़ >
भाड़ित > भड़ता > भुड़ता > भुर्ता
> भरता
बैगन का भड़ता मेरा प्रिय व्यंजन है। आशा है की आपको भी भड़ता पसंद है और भड़ता की यह व्युत्पत्ति भी ।
अगर आजकल आप दिल्ली में है और तपती दोपहर में घर से बाहर निकलना पड़ रहा है तो आपको यह कार्टून भी पसंद आयेगा।
-- राजेन्द्र गुप्ता
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