Monday, January 30, 2012

How mango might have got its names आम का नामकरण कैसे हुआ होगा



Travel in time a machine with Rajendra Gupta to the time when our ancestors are eating and naming mango for the first time. चलिये टाइम मशीन में राजेंद्र गुप्ता के साथ एक और यात्रा पर, और देखिये-सुनिए पुरखों को पहली बार आम खाते हुए और उसका नामकरण करते हुए।....
 
Are you ready? Let’s go in the time machine. Today, we shall meet our ancestors at a place where they are eating sweet-juicy mangoes for the first time and are naming it. There are several children with us today. So let me narrate a story to ease out the stress of the journey. I am reading from “Our Trees” by RPN Sinha (Publication Division, Government of India, 1968, pp. 3-4). “About a century ago, the Amir of Kabul is said to have sent an emissary to bring him mangoes from India. The emissary came to Patna where he collected several baskets of mangoes and returned to Kabul. But those were the days of slow moving vehicles and the mangoes rotted before he could reach Kabul. When the Amir enquired of the emissary about the result of his mission, the latter promptly called for large quantity of sugar; dissolving it in water and dipping his flowing beard into the syrup. He told Amir, “here, my lord, is the mango". The Amir was aghast. The emissary then recounted what had happened on the way and then all had a hearty laugh.”
Although there are many other mango stories to be told but we have reached our destination. Hear the music. The ancestors are dancing in excitement. Ever since the birth of our very first ancestor in the jungles of Africa, no one has eaten such a sweet and juicy fruit as this one. They are singing in chorus:
madhur, madhur madhur
(madhur means sweet in Sanskrit)
Once in a while, someone also utters the word: rasal (=juicy in Sanskrit). We request for a complete description. The reply is:
“Sweet and juicy.”          
Showing the long fibers on seed with a lot of pulp sticking on it, someone interrupts: “it is hairy too!”
The chorus continues: 
madhur, madhur madhur…
My my! It is the same as in the story. The emissary telling the Amir of Kabul: sweet, juicy, hairy! 
This is what our ancestors have named mango:
MADHUR (sweet), RASAL (juicy), KESHARI (hairy). Let’s return to our times and hear the names changing on the way….    
आप तैयार हैं? चलिये चलें, फिर से टाइम मशीन में। आज पुरखों से मिलने वहाँ चलेंगे जहां वे पहली बार मीठे-रसीले आम खाने का मज़ा ले रहें हैं, और आम का नामकरण कर रहें हैं। आज कई बच्चे साथ हैं। रास्ता ठीक से कट जाए इसलिए मैं सुनाता हूँ, एक कहानी। मेरे सामने है, श्री राजेश्वर नारायण सिंह की पुस्तक “हमारे वृक्ष” (प्रकाशन विभाग, भारत सरकार, 1968; पृ॰3): “कहते हैं कि कई सौ बरस पहले एक बार काबुल के अमीर ने अपने एक वज़ीर को आम लाने के लिए हिंदुस्तान भेजा। वह यहाँ तब पहुँचा, जब आम का मौसम समाप्त हो चुका था। केवल सुकुल (आम की एक प्रजाति) बच रहे थे, जो पटना में उसे मिले। इसमें रेशे बहुत होते हैं, पर रस शर्बत-जैसा मीठा होता है। वह इन्हें ले कर लौटा। उन दिनों कोई तेज सवारी तो थी नहीं, सो काबुल पहुँचते-पहुँचते आम सड़ गए और वह खाली हाथ ही वापस लौट आया। दरबार में उसकी बुलाहट हुई। अमीर ने पूछा—“आम लाए?” वज़ीर ने कहा– “जी हाँ, पानी और चीनी मँगवाई जाए, तो उन्हें पेशे-नज़र करुँ।” पानी और चीनी आई। फिर उसने पानी में काफी चीनी डाल कर उसमें अपनी लंबी दाढ़ी भिगो दी और कहा की यही हिंदुस्तान का आम है। रेशे और रस से भरे हुए सुकुल आम से उसका मतलब था। और फिर, उसने अमीर को सुकुल का वर्णन सुनाया और कहा कि आम रास्ते में सड़ गए, पर होते ऐसे ही हैं। अमीर और दरबारी यह सुन कर खूब हंसे।”   

आम की कहानियाँ तो बहुत हैं पर हमारी मंज़िल आ गयी है। सुनिए कितना हल्ला मच रहा है। पुरखे आनंद से झूम रहें हैं। जबसे सबसे पहले पुरखे अफ्रीका के जंगलों में पैदा हुए थे तब से आज तक किसी ने कभी इतना मीठा और रसीला फल कभी नहीं खाया था। वे वृंद गान कर रहे हैं: 
मधुर, मधुर, मधुर मधुर !
मधुर, मधुर, मधुर मधुर !
मधुर, मधुर, मधुर मधुर !
बीच-बीच में कोई रस-रसल भी बोलता है। हम पूछते हैं: "आम का पूरा वर्णन?"
उत्तर मिलता है: “मधुर, रसाल”।
लेकिन इतने में कोई गुठली पर उगे रेशों को दिखाता कर वर्णन को पूरा करता है:  “केशरी” (केश/ बालों वाला, रेशे वाला)
लेकिन पूरा समूह फल के केशों को महत्व नहीं दे रहा।
वृंद गान जारी है:
मधुर, मधुर, मधुर मधुर !
क्या बात है! आम का जो वर्णन कहानी में वज़ीर ने काबुल के अमीर को दिया वही तो हमारे पूर्वज भी हमें बता रहें हैं:
मधुर, रसाल और रेशेदार! और यही हैं पूर्वजों द्वारा आम का नामकरण!  मुख्य नाम: मधुर, पर रसल और केशरी भी।     
चलिये अब लौट चलें। और वापस अपने काल में लौटते हुए सुनें कि आम के यह नाम किस तरह बदल रहें हैं           


Direction 1
दिशा 1
MADHUR (sweet in Sanskrit, also a Sanskrit word for mango)
मधुर (संस्कृत में मीठा, आम)
MADHUR > MADHUL> MADHULI (Sanskrit)
मधुर >मधुल> मधुली (संस्कृत)
MAJUR
मजुर
MAYUR
मयुर
YUMRA
यूम्र
AMRA (Sanskrit)
आम्र (संस्कृत)
AMRA> AMRI (Guajarati)
आम्री (गुजराती)
AMRA > AMRAM (Malyalam)
आम्र >आम्रम (मलयालम)
AMYA
आम्य
AYM
आय्म
AAM (Hindi, Assamese, Bengali)
आम (हिन्दी, असमिया, बांग्ला) 
AMMA
अम्म
AMB (Odiya, Punjabi, Marathi, Hindi)
अम्ब (ओडिया, पंजाबी, मराठी,हिन्दी)
EMBE (Swahili)
एम्बे (स्वाहिली)
EMBE EMBE
एम्बे एम्बे
EMVE EMBE
एमवे एमबे
EMVEMBE
एमवेम्बे
MWEMBE (Swahili)
मवेम्बे (स्वाहिली)
**

Direction 2
दिशा 2
MADHUR
मधुर
MAJUR
मजुर
MAJUY
मजुय
MAJI
माजी
MAYI
मायी
MAVI (Telugu)
मावी (तेलुगू)
MAVU (Kannnada, Malyalam)
मावु (कन्नड़ा, मलयालम)
MAU (Tamil)
माउ (तमिल)
**

Direction 3 (branching midway from direction 2)
दिशा 3 (दिशा 2 के बीच से रास्ता)
MAJI
माजी
MAJI MAJI
माजी माजी
MAMAJIJI 
मामजीजी
MAMADIDI
ममदीदी
MAMIDI (Telugu)
ममदी (तेलुगू)
**

Direction 4 (midway in direction 2)
दिशा 4 (दिशा 2 के बीच से)
MAJI
माजी
MANJI
माँजी
MANGI
मांगी
MANGAI  (Tamil)
मांगई (तमिल)
MANGGA  (Malayalam)
मङ्ग्गा (मलयालम)
MAANGAS (Tamil)
मङ्ग्गास (तमिल)
MANAGGA  (Indonesisan, Malay)
मङ्ग्गा (इंडोनेशियन, मलय)
**

Direction 5 (Midway from Direction 4)
दिशा 5 (दिशा 4 के बीच से)
MANGAI (Tamil)
मांगई (तमिल)
MANGA (Portuguese) > Manja (Dutch)
मांगा (पुर्तगाली) > माँजा (डच)
MANGA>  MANGUEIRA (Portuguese)
मांगा >मंगुएयरा (पुर्तगाली)
MANAG (Italian)
मानग (इटालियन)
MANGO (English,Spanish, German, Italian)
मैंगो (अँग्रेजी, स्पेनिश, जर्मन, इटालियन) 
MANGO > MANGUE,  MANGUIER (French)
मैंगो >मंगुय >मंगुएयर (फ्रेंच)
MANGO > MANGOT (French)
मैंगो > मैंगोत (फ़्रेंच)
MANGOU, OR MANGORO (African Languages)
माइंगौ, मैंगोरो (अफीकी भाषाएँ) 
MÁNGGUǑ (Chinese)
मैंग्गुओ (चीनी)
MÁNGU, MÁNJU (Arabic)
मंगु ,मंजु (अरबी)
MANGI + BHAR (Skt. bearing)
माँगी + भार
MANGIBHAR
मांजीभार
MANGI.FAR
मांजीफर
MANGIFERA (Latin, mango bearing tree)
माइंजीफेरा (लैटिन)
**

words based on MISHTHA, a synonym for MADHUR
मधुर के पर्यायवाची 'मिष्ठ' पर आधारित शब्द
MISHTHA (sweet in Sanskrit)
मिष्ठ  (संस्कृत में मीठा)
SHAMITH
शमिठ
SHABITH
शबीठ 
SHAVITH
शविट
SWEET (a lost word for mango?)
स्वीट (आम के लिए लुप्त शब्द?)
SYEET
स्यीत
CHYEET
च्यीत
CHUT Mango In Sanskrit)
चूतः (संस्कृत)
KUTA
कूत  
KOOTAM
कूतम
KUTAM (Malayalam)
कूटम / कूतम (मलयालम)


KESHARI (= hairy in Sanskrit) putative original word
केशरी (संस्कृत, बालों वाला), आम के लिए अनुमानित मूल शब्द)
KEHRI
केहरी
KEYRI
केयरी
KAIRI (Hindi for raw mango)
कैरी (कच्चे आम के लिए हिन्दी)
KERI (Gujarati)
केरी (गुजराती)



RASAL (juicy or mango in Sanskrit) No change
रसाल (संस्कृत में रस वाला/ आम) यह शब्द नहीं बदला  

Friday, January 27, 2012

How the rice plant might have got its names चावल के पौधे का नामकरण कैसे हुआ होगा

 

Can there be any similarity between Barkha Dutt and a rice plant? Oh yes, the same Barkha Dutt! No, I’m not joking. In recent years the molecular biologists have shown that human and plants have a lot of genetic similarity. The DNA sequences of about 20% genes in humans and rice plant are similar. That means, not only Barkha but all of us are distantly related to the rice plant. But Barkha’s relationship is deeper. It is in the name. How? Let’s travel in the time-machine to thousands of years back, where our ancestors are naming the rice plant…. 
They eat tubers, roots and fruits. There is this plant without tubers, edible roots or fruits. Yet, it allures. It is a cereal plant. Ancestors don’t eat it. Haven’t tasted the grains yet.  But the plant attracts them because birds and animals are eating its seeds. How to name it? Listen attentively what the ancestors are saying:
It grows only in the rainy season. Hence: VARSHA or VARSHI (Sanskrit, = rain, rainy).
Seems as if an alien asks us the name of a plant that we don’t know about. We reply: “rainy plant”. The visitors returns and tells his people the “rainy” as the new name.  Interestingly, we in India love to name not only the plants but our kids as well after the words for seasons: Barkha Dutt, Varsha Usagaonkar, Sharda, Sharad Joshi, Shishir Bose, Hemant Kumar, Vasant Dev, Basanti, Greeshma.
Let’s now get back to our times and see how in the thousands of intervening years “VARSHA/ VARSHI” undergo changes in different parts of the world…. 
भला चावल के किसी पौधे और बरखा दत्त में कोई समानता हो सकती है? हाँ, हाँ, उसी बरखा दत्त में! नहीं, मैं मज़ाक नहीं कर रहा हूँ। पिछले कुछ वर्षों में मोलिक्युलर जीव-वैज्ञानिकों ने सिद्ध कर दिया है कि मनुष्य और पौधों के आनुवांशिक तत्वों में काफी समानता है। मनुष्य और चावल के आनुवांशिक जीनों के डीएनए-क्रम में लगभग 20% समानता पायी गयी है। यानी, बरखा दत्त ही नहीं, हम सब भी चावल के पौधे के बहुत दूर के रिश्तेदार हैं! पर बरखा का रिश्ता कुछ और गहरा है। यह रिश्ता है, नामकरण का। कैसे? चलिये, आज हम टाइम-मशीन में चलें, हजारों वर्ष पहले, जहां हमारे पुरखे चावल के पौधे का नामकरण कर रहें हैं .....

अभी, हमारे पुरखे कंद-मूल-फल ही खाते हैं। एक पौधा है जिसमे न कंद है, न मूल, न ही फल। फिर भी उन्हें बार-बार आकर्षित कर रहा है। यह अनाज का पौधा है। पुरखे अनाज नहीं खाते हैं। उन्होंने  इस पौधे के अन्न का स्वाद भी नहीं चखा है, किन्तु  यह पौधा उन्हें लुभाता है क्योंकि पशु-पक्षी इसके बीज खाते हैं। क्या नाम दें इसे? सुनिए ध्यान से, पुरखे क्या कह रहें हैं:

यह पौधा उगता है, केवल वर्षा ऋतु में। वर्षा में आया, अतः “वर्षा या वर्षी!”
यह तो कुछ ऐसी बात हुई कि कोई विदेशी हमसे किसी पौधे का नाम पूछे, हमें पता न हो तो और हम कह दें: 'बरसाती पौधा'; और विदेशी अपने देश में जा कर उस पौधे का नाम 'बरसाती' ही प्रचारित कर दे!  लेकिन मज़ेदार बात यह है कि हम आज तक अपने पुरखों की तरह ही अपने पौधे ही नहीं, बच्चों के नाम ऋतुओं पर रखते आ रहें हैं: बरखा दत्त, वर्षा उसागाओंकर, फाल्गुनी पाठक, शारदा, शरद जोशी, शिशिर बोस, हेमंत कुमार, वसंत देव, बसंती, ग्रीष्मा। 

चलिये लौट चले, अपने समय में और रास्ते में देखें कि इन हजारों वर्षों में यह "वर्षा / वर्षी" कहाँ कहाँ जा पहुंचा और इसके नाम कैसे बदल गए.....



Direction 1
दिशा 1
VARSHA (= rain, Sanskrit)
VARSHI (=rainy, Sanskrit)
putative original words for rice
वर्षा / वर्षी
(चावल के लिए संस्कृत में अनुमानित सबसे पहले शब्द)
VARHI
व्रही
VRIHI (= rice, Sanskrit)
व्रीही (=चावल, संस्कृत)
BRIHI
ब्रिही
BRIJI> VRIZE (Pashto)
ब्रिजी > वृजी (पश्तो)
BRIJI> BRIZI (Old Persian)
ब्रिजी > ब्रिज़ी (पुरानी फारसी)
BRINZI> BRNJ (Persian)
ब्रींजी > ब्रंज (फारसी)  
BRINJI
बृंजी
BRINCHI
बृंची
BRINC
बृंक
BIRINC (Kurdish)
बिरिंक (कुर्दिश)
PIRINC (Turkish)
पिरिंक (तुर्किश)
**

Direction 2
दिशा 2
VARSHI > VRIHI (=rice, Sanskrit)
वर्षी > वृही (संस्कृत)
VIHI
विही
BIHI
बिही
BOHA
बोहा
POHA (beaten rice, Hindi)
पोहा (उबले कुटे हुए चावल के लिए हिन्दी में)
**

Direction 3
दिशा 3
VRIHI
वृही
VRIJI
वृजी
VRIDI (Telugu)
वृदी  (तेलुगू)
VADIRI
वादिरी
VADILI
वादिली
VADLU (Telugu)
वादलू (तेलुगू)
Direction 4
दिशा 4
VARSHA VARSHA
वर्षा वर्षा
SHAVAR > SHOWER
शावर
SHAVAL
शावल
CHAVAL > CHAYAL>      CHAL (Bengali)
चावल > चायल > चाल (बांग्ला)  
CHAVAL (HINDI)
चावल (हिन्दी)
CHAVAR
CHAUR, CHAUNR (Chattisgarhi)   
चावर
चाऊर, चंऊर (छत्तीसगढ़ी) 
CHARVA
चारवा 
CHIRHVA (beaten rice, Hindi)
चिड़वा (हिन्दी)
CHIVRHA (beaten rice, Hindi)
चिवड़ा (हिन्दी)
**

Direction 5
दिशा 5
VARSHA
वर्षा
VARSHA VARSHA
वर्षा वर्षा
SHAVAR/SHOWER
शावर
SHAYAL
शायल
SYALI (Sanskrit, Avadhi)
स्याली (संस्कृत, अवधी)
SALI (Avadhi)
साली (अवधी )
SELA (par-boiled rice, HINDI)
सेला (भूसे सहित उबाला गया चावल, हिन्दी में)
**

Direction 6
दिशा 6
VARSHA
वर्षा
YARSA
यरसा
YARISI
यारिसी
ARISI (Tamil)
आरिसी (तमिल)
ARIHI
आरीही
ARI (Malyalam)
अरी (मलयालम)
**

Direction 7
दिशा 7
VARSHI
वर्षी
YARSI
यरसी
ORASI/ ARISI (Tamil)
ओरसी / आरिसी (तमिल)
ORUZA (Greek)
ओरुजी (ग्रीक)
ORIZA (Latin)
ओराइज़ा (लैटिन)
OREZ (Romanian)
ओरेज (रोमानियन)
ARROZ (Portugese, Spanish)
अर्रोज (पुर्तगाली, स्पेनी)
RISO/ RISI (Italian)
रिसो/ रिसी (ईटालियन)
RIS (Old French)
रिस (पुरानी फ्रेंच)
REIS (Welsh, German)
रीअस (वेल्श, जर्मन)
RYZIAI (Lithuanaian)
रायजियाई (लिथुआनियन)
Riza (Serbian, Croatian)
रिजा (सर्ब, क्रोशोयन)
RYZ (Polish)
रायज (पोलिश)
RIJST (Dutch)
रिज्त (डच)
RYS (Middle English)
रयस (मध्य अङ्ग्रेज़ी)
RICE (English)
राइस (अङ्ग्रेज़ी)
**

Direction 8
दिशा 8
SYALI/ SELA/ SALI
(from Direction 5)
स्याली / सेला / साली ( दिशा 5 से)
SWALI
स्वाली
HWALI
हवाली
YWALI
यवली
WALI (SWAHILI)
वली (स्वाहिली)
**

Direction 9
दिशा 9
SYALI (from Direction 5)
स्याली (दिशा 5 से )
SSAL (Korean)
SHARI (Japanese word for flavoured rice used in Sushi)
स्सल (कोरियन)
शारी (सुशी में प्रयोग होने वाले सुगंधित चावल के लिए जापानी शब्द)
**

Direction 10
दिशा 10
SYALI (from Direction 5)
स्याली (दिशा 5 से)
CHYALI
च्याली
CAYALI
कयली
CAYLUA (Vietnamese)
कयुला (वियतनामी)
**

Direction 11
दिशा 11
VARSHI
वर्षी
BARJI
बरजी
BARDI
बरदी
BADI
बयदी > बादी
BAD
बाद
BHAT (Marathi, Hindi)
भात (मराठी, हिन्दी)
BHATT (Kannada)
भात्त  (कन्नड़)
**

Direction 12
दिशा 12
VARSHI
वर्षी
BARSHI

बरशी
BRAS/ BERAS
(=milled rice, Austronesian)
ब्रास / बेरास  (आस्ट्रोनेशियन )
Direction 13
दिशा 13
BHAT (from Direction 11)
भात
PAT
पात
PAD
पैड
PADI (Indonesian, Austronesian)
पैडी (इंडोनेशियन, आस्ट्रोनेशियन)
PARHI
पैड़ी
PARAY (Austronesian)
पैरी (आस्ट्रोनेशियन)
**

Direction 14
दिशा 14
PADI (from Direction 13, Indonesian, Malasian, Austronesian)
पैडी (दिशा 13 से )
PADDY (English)
पैडी
PANDY
पैंदी  
PANDYN
पैंदीन
PANTUN (JAVANESE)
पैंतुन (जावानीस)
**

Direction 15
दिशा 15
VARSHI
वर्षी
BARSHI
बर्षी  
MARSHI
मर्षि
MAYSHI
मयशि
MESHI (JAPANESE)
मेषी (जापानी)
MEHI
(मेही)
MEYI
(मेयि)
MI (Japanese)
मी (जापानी)
**



We are back from the time machine. Let’s see what the dictionary says about what we saw in our journey.  

But before that: Barkha Dutt’s name is also derived from VARSHA > BARSHA> BARKHA.
अब हम टाइम मशीन में यात्रा से लौट आए हैं। अब देखते हैं की शब्दकोशों में क्या वह सब लिखा है जो हमने अपनी यात्रा में देखा–सुना? पर उससे पहले बता दूँ कि बरखा दत्त का नाम भी वर्षा से ही निकला है: वर्षा > बर्षा > बर्खा > बरखा।   
**
Word Origin & History
mid-13c., from O.Fr. ris, from It. riso, from L. oriza (cf. It. riso), from Gk. oryza "rice," via an Indo-Iranian language (cf. Pashto vrize, O.Pers. brizi), ultimately from Skt. vrihi-s "rice." The Greek word is the ultimate source of all European words (cf. Welsh reis, Ger. reis, Lith. rysai, Serbo-Cr. riza, Pol. ryż). Introduced 1647 in the Carolinas. Rice paper (1822) is made from a reed found in Taiwan.

Online Etymology Dictionary, © 2010 Douglas Harper 




This post is dedicated to my scientist friends who are working with DNA of rice.
AT UNIVERSITY OF DELHI: Prof. Akhilesh Tyagi, Prof. Jitendra Khurana, Prof Paramjit Khurana (International project on sequencing the rice DNA); Prof Anil Grover (altering DNA of rice to make plants that will not be dependent on rain). AT INDIAN COUNCIL OF AGRICULTURAL RESEARCH: Dr Neelamraju Sarla (uses DNA technology to identify varieties for rice breeding).  
यह ब्लॉग-पोस्ट चावल के डीएनए पर कार्यरत मेरे मित्रों को समर्पित है:
दिल्ली विश्वविद्यालय: प्रोफ़॰ अखिलेश त्यागी, प्रोफ॰ जितेंद्र खुराना, प्रोफ़ परमजीत खुराना (चावल के डीएनए की सीक्वेंसिंग/ क्रमण के अंतर्राष्ट्रीय प्रोजेक्ट में भागीदार); प्रोफ़॰ अनिल ग्रोवर (चावल के डीएनए में परिवर्तन करके उसे बिना वर्षा के भी उगाने लायक बना रहे हैं)। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की डा॰ नीलमराजू सरला (नई प्रजातियाँ बनाने के लिए डीएनए तकनीकी से चावल की उपयुक्त किस्मों का चुनाव करतीं हैं)।