Monday, February 13, 2012

The origin of the words ‘hello’ and ‘hi’ ‘हैलो’ और ‘हाइ’ शब्द कहाँ से आए


Halā Shakuntale! हला शकुंतले ! 

Dogs say bho, cats say meon and sparrows say chi. What did the first speaking humans say to each other? Travel in time machine with Rajendra Gupta to find that our ancestors are saying hi, hello to each other…
कुत्ते बोले भों, बिल्ली बोली म्याऊँ, चिड़िया बोली चीं। सबसे पहले मनुष्यों ने एक दूसरे को क्या बोला होगा? राजेन्द्र गुप्ता के साथ टाइम मशीन में चलिये जहां हमारे पुरखे एक दूसरे को हाइ, हैलो बोल रहे हैं:...   
     


Thousands of years ago, a mutation in our genes changed human from a non-speaking to a speaking animal. The rest is history.
Human speech is an outcome of a well-coordinated movement of muscles. It involves intricate co-ordination between brain, larynx, tongue, lips, and even hands that are involved in gestures and the face that expresses feelings.
हज़ारों वर्ष पूर्व हमारे शरीर के एक जीन में एक म्यूटेशन (परिवर्तन) होने से हम मनुष्यों में बोलने की शक्ति आ गयी और फिर एक इतिहास रच गया।

हमारी बोली अनेक मांस-पेशियों के समन्वित संचालन से उत्पन्न होती है। इसमें मस्तिष्क द्वारा गले, जीभ, ओंठों, और यहाँ तक की हाथों के संचालन और चेहरे के भावों का भी समन्वय होता है।
What must have been the first words? Naturally, any sound whose production would involve minimum use of muscles and hence least consumption of energy, would have been the first word. It wouldn’t have involved tongue and lips. Sounds that are generated directly from throat fit the bill. First sounds of infants may be a good clue to the first words of our ancestors. Much before they start speaking ba or ma, or pa, the infants effortlessly make guttural sounds such as a, aa, e, ee, u, oo, ae, ai, ha, hi, hoo, he, hai, ya, yi, yoo etc. They use these sounds to attract attention. No wonder that even after thousands of years of having attained the capacity to speak; we still make use of these primordial guttural sounds to attract attention. Let’s now get into the time machine and find our ancestors speaking their first words… 
हमारे मुँह से निकलने वाले पहले बोल क्या रहे होंगे? स्वाभाविक है कि पहले बोल वही रहे होंगे जिन्हें बोलने में हमारी कम से कम मांस-पेशियों का उपयोग हुआ होगा, और कम से कम ऊर्जा खर्च हुई होगी। अतः इसमें जीभ या ओंठों का प्रयोग तो नहीं ही हुआ होगा। ध्वनि सीधे ही गले से निकली होगी। नवजात शिशु की बोली से शायद हम अपने पूर्वजों के पहले शब्दों का अंदाज़ लगा सकते हैं। जब शिशु बोलना शुरू करता है तब माँ या बा या पा बोलने से भी पहले वह आसानी से केवल गले से निकलने वाली आवाज़ें  निकालता है, जैसे: अ,,,,,,,, हा, ही,हू, हि, ही, हो, है,, यू, यइ, आदि। शिशु इन आवाज़ों से ही हमारा ध्यान आकर्षित करते हैं। कोई आश्चर्य  की बात नहीं हैं कि बोलने की शक्ति पा जाने के हज़ारों वर्षों बाद भी हम किसी का ध्यान आकर्षित करने के लिए उन्हीं आदिम कंठ ध्वनियों का उपयोग करते आ रहे हैं।

चलिये अब चलते हैं टाइम मशीन में और सुने कि पुरखे पहले-पहल क्या शब्द बोल रहे हैं...           
a..a..a..
अ अ अ
aa…ya….ha…
आ या हा
ha  
हा
he
हे
hi
हाइ
Hey
हे
hehe
हेहे
heho
हेहो
Henho /hanho
हेंहों/ हंहों
Hu hu
हु हु
Hur hurr
हुर हुर्र
Hul hul
हुल हूल
hulo
हुलो
Helo
हेलो
hello
हैलो 


More than 5000 years ago, ancient Sanskrit authors use the address ‘he’ (हे). Valmiki ji writes  ‘He Ram’ हे राम in Ramayana.
5000 वर्षों से भी अधिक पूर्व, संस्कृत लेखक सम्बोधन के लिए हे शब्द का प्रयोग कर रहे हैं, वाल्मीकी जी रामायण में लिख रहें हैं: हे राम  


~ 100 AD, the great Sanskrit poet Kālidāsa (कालिदास) is writing dialogues for his classic play “ABHIGYAN SHAKUNTALAM, without realising that this dialogue is going become the first historic document of the use of word hala/hello. He repeatedly uses the ‘hala’ as a vocative particle; e.g. a friend attracts attention of the heroine:
‘Hala Shakuntale’ (हला शकुंतले).
~100 ई में महान कवि कालिदास अपने गौरवशाली नाटक अभिज्ञान शाकुंतलम के संवाद लिख रहे है। वे बार-बार संबोधन सूचक हलाका प्रयोग कर रहे हैं।  

सखी ने कहा: हला शकुंतले।

लेकिन कालिदास अभी यह नहीं जानते कि यह संवाद बाद के समय में हला या हैलो शब्द के उपयोग का पहला ऐतिहासिक दस्तावेज़ बन जाने वाला है।     



~500 AD, other Sanskrit writers are using similar words hamho / hanho (हंहों) as words for attracting attention in plays (e.g. Chandralok by Mudrarakshas).
~500 ई॰, अनेक संस्कृत लेखक सम्बोधन के लिए हंहों जैसे शब्दों का प्रयोग रहें हैं (मुद्राराक्षस: हंहों ब्राह्मण’)    


1542, Andrew Boorde uses the word 'hollo' in an English book.
1588, Shakespeare is using the word ‘hollo’
1542, एंड्रू बूर्डे ने एक अँग्रेजी पुस्तक में 'होल्लो' शब्द का प्रयोग किया।  
1588, शेक्सपियर ने होल्लो शब्द का प्रयोग किया


1883, inventor of telephone Alexander Graham Bell says on phone: ‘ahoy’
1883, टेलीफोन के आविष्कारक अलेक्ज़ेंडर ग्राहम बैल ने फोन पर कहा: आहोय 


1883, inventor Thomas Edison says on phone: ‘hello’
1883, आविष्कारक टामस एडिसन ने फोन पर कहा: हैलो ! 


The word hello becomes popular in telephonic talks
हैलो शब्द फोन पर बातचीत में लोकप्रिय होता चला गया। 


Similar words are used in almost all languages.
अन्य भाषाओं में भी हैलो जैसे शब्द आते गए।
Hola/ alo (Spanish)
होला /आलो (स्पेनी)
Hallo (German)
हाल्लो (जर्मन)
Hallom (Hungarian)
हल्लोम (हंगरियन)
Allo (Russian)
Haloo (Thai) 
आल्लो (रूसी)
हलू (थाई)


Added on 28 June 2016

Great 'Hello' Mystery Is Solved

5 comments:

  1. संसार के सबसे कॉमन ग्रीटिंग के उद्गम की जानकारी इतने विस्तार से देने का आभार!

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  2. धन्यवाद। पुरखों के साथ शब्दों के डीएनए की खोज में आपका स्वागत है।

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  3. The body of works of yours is amazing. You are speaking a language my coming generations might die for. Hope there are people who matter who are aware of your work.Its a case of the flight of imagination, well directed!
    Monday 7 January 2013

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  4. सनातन कालयात्री on Facebook 17 Sept 2014
    सौजन्य से: अमित शर्मा
    Hello का स्रोत: Lalit Kumar के लिये
    महाभाष्य:
    व्याकरणाध्ययनस्य इमानि अन्यानि प्रयोजनानि सन्ति-
    तेऽसुरा:।असुरा: ‘हेऽरय: हेऽरय:’ इत्यस्य स्थाने ‘हेलय: हेलय:’ इति उक्तवन्त:।अशुद्धोच्चारणेन देवेभ्य: ते पराभूता: इति अस्ति पुराकथा।एवमस्माकमपि पराभव: न भवेदिति अध्येयं व्याकरणम्।
    शतपथ ब्राह्मण:
    ते असुरा आत्त वचसो हे अलवो हे अलव इति

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