Thursday, October 18, 2012

लेटिन कानूनी शब्द 'सुओ मोतु' की संस्कृत में रिश्तेदारी Sanskrit Relationship of Latin Legal Term 'Suo Motu / Moto '

Note: The English Version of this article is given at the end of the article in Hindi 

अन्याय से भरपूर इस जगत में एक नियम सभी देशों में लागू है कि जब तक कोई व्यक्ति अन्याय की शिकायत नहीं करता, तब तक आरोपी पर न्यायालय में मुकदमा नहीं चल सकता। हम सभी जानते हैं कि आजकल भारत में भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के कार्यकर्ता मुकदमे चला कर न्याय पाने के लिए के लिए कितना संघर्ष  कर रहें हैं। लेकिन कभी-कभी ऐसा भी हो जाता है कि शिकायत के बिना ही मुकदमा चल जाता है, या बिना मुकदमे के ही न्यायधीश आदेश सुना देते हैं। ऐसा तब होता है जब अपराध की किसी संगीन घटना से न्यायधीश इतना विचलित हो जाते हैं कि उन्हें लगता है कि शिकायत किए जाने की प्रतीक्षा करना भी भारी अन्याय होगा। उदाहरण के लिए, अभी पिछले सप्ताह, दिल्ली उच्च न्यायालय ने अखबार में छपी एक खबर का बिना शिकायत के ही संज्ञान लिया। खबर थी कि दिल्ली के लोधी उद्यान में बहुत से घूँस (मोटे चूहे) उद्यान को हानि पहुँचा रहे हैं। चूहों के साथ ही, न्यायालय ने बिना किसी छपी खबर के ही अपनी ओर से लोधी उद्यान में आवारा कुत्तों की आवारगी का भी संज्ञान लिया और नई दिल्ली नगर पालिका को चूहों और कुत्तों के खिलाफ आदेश दे डाला। वह और बात है कि श्रीमति मानेका गांधी के हस्तक्षेप के बाद न्यायालय ने प्यारे आवारा कुत्तों के खिलाफ क्रूरता-भरा आदेश एक सप्ताह बाद वापिस भी ले लिया। 


न्यायालय या किसी अन्य अधिकारी द्वारा इस तरह घटना का स्वयं ही संज्ञान लेने को कानूनी भाषा में 'सुओ मोतु' या 'सुओ मोतो' (suo motu/ moto) कहते हैं। 'सुओ मोतु' लेटिन भाषा का शब्द हैं जिसका शाब्दिक अर्थ है 'अपने आप करना'। 

एक मत के अनुसार संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है, लेटिन की भी। तो फिर संस्कृत में 'सुओ मोतु, के लिए क्या शब्द है? स्व = अपना, और  मति = बुद्धि, चेतना। अतः  मुझे लगता है कि न्यायधीश का 'स्व मति' द्वारा निर्णय को ही लेटिन में उच्चारण भेद के चलते 'सुओ मोतु' कहते हैं। 

 आप क्या सोचते हैं?    


Sanskrit Relationship of Latin Legal Term 'Suo Motu / Moto'

In this world full of injustice, a rule is observed universally that a law suit cannot commence in  a court of law unless someone makes a formal complaint.  We all know about the struggle of India's anti-corruption activists to file anti-corruption cases in courts. However, do you know that occasionally, trial may take place and the judgement announced even without anyone making any complaint. This may happen when a judge is overwhelmed by the gravity of a crime that he/she feels it unnecessary to wait for filing of formal complaint. He/shes takes the cognizance of the event and initiates proceedings on his/her own. For example, last week, the Delhi High Court took cognizance of a news report about damage to Delhi's Lodhi Gardens by the bandicoots (a type of big rats). The court on its own also took cognizance of the menace of stray dogs in Lodi Gardens and ordered the New Delhi Municipal Committee to take steps against dogs and bandicoots. (However, within a week, the animal rights activists Mrs. Maneka Gandhi intervened on behalf of the very dear stray dogs, and the high Court withdrew its (cruel) order against the dogs. 

When a court or any other authority takes cognizance of an event on its own, it is called "Suo Motu / Moto' in legal terms. "Suo Motu is a Latin term that literally means 'on its own motion'. 


According to one theory Sanskrit is the mother of all languages including Latin. What would be the Sanskrit equivalent of Latin 'suo motu'? 


The Sanskrit words SWA स्व + MATI   मति foot the bill. SWA स्व mean self and MATI मति  means wisdom or consciousness. Thus SWA MATI  स्व मति of Sanskrit seem to the 'suo motu' of Latin with minor variations of pronunciation. 


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Monday, October 15, 2012

मैंगो पीपुल, आम आदमी, और कामन मैन Mango People, AAM AADAMI, and Common Man


Note: The English Version of this article is given at the end of the article in Hindi 

कुछ दिन पहले, सोनिया जी के दामाद राबर्ट वाड्रा ने अपने फेसबुक स्टेटस पर लिखा: 'मैंगो पीपुल इन अ बनाना कंट्री' (mango people in a banana country).  इससे उपजे विवाद के कारण यह अभिव्यक्ति 'मैंगो पीपुल' भारत में हर किसी की जुबान पर है। कौन जाने, 'मैंगो पीपुल' को,  इसके बढ़ते हुए प्रयोग के कारणजल्दी ही 'ऑक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी' में 'कॉमन मैन' के पर्यायवाची के रूप में शामिल कर लिया जाए! 

पर यह 'मैंगो पीपुल" कहाँ से आया? सबसे पहले इसका प्रयोग किसने किया? इन प्रश्नों का उत्तर देने के लिए अभी और रिसर्च करनी होगी। किन्तु एक बात तो पक्की है कि आम आदमी के लिए 'मैंगो पीपुल' की अभिव्यक्ति राबर्ट वाड्रा के दिमाग की उपज नहीं है। लेकिन हाँ, 'मैंगो पीपुल' से उनकी कुछ रिश्तेदारी जरूर बनती है।

कई वर्षों से, राबर्ट की सासू-माँ सोनिया जी की पार्टी, चुनाव के समय उनकी फोटो के साथ एक नारा लगाती आयी है: "कांग्रेस का हाथ, आम आदमी के साथ"।  देश में बहुत लोगों को यह नारा विश्वसनीय नहीं लगता। वे अपने तरीके से इसका विरोध करते आए हैं। आजकलजब अरविंद केजरीवाल कॉंग्रेस सरकार का विरोध करते हैं, तब,  टोपी पर "मैं हूँ आम आदमी" लिख कर निकलते हैं। इसमें उनका साफ उद्देश्य होता है -- कॉंग्रेस के आम-आदमी वाले नारे की खिल्ली उड़ाना। इंटरनैट पर भी कॉंग्रेस के इस नारे की खिल्ली उड़ाने वाले लेखों और कार्टूनों की कोई कमी नहीं है। इनमें से कई लोग आम आदमी को 'मैंगो मैन' ही कहते हैं। अपने आप को भी 'मैंगो मैन' कहने वाले कई लोग साइबर दुनियाँ में कई वर्षों से मौजूद हैं। लेकिन केजरीवाल द्वारा लगाए भ्रष्टाचार के आरोपों से तिलमिलयाए हुए राबर्ट वाड्रा जब फेसबुक पर तिरस्कार से भरा 'मैंगो पीपुल लिख रहे थे, तब साफ तौर से उनका निशाना 'मैं हूँ आम आदमी' वाली टोपी पहने अरविंद केजरीवाल ही थे। 

यह कहने की कोई आवश्यकता नहीं हैं कि हिन्दी शब्द 'आम' दो अर्थों में जाना जाता है: 1. अरबी भाषा से हिन्दी में आया शब्द आम = साधारण, मामूली, जनसाधारण, जनता; अँग्रेज़ी में कॉमन common; 2. हिन्दी का मूल शब्द आम = फलों का राजा आम, जिसे अँग्रेज़ी में मैंगो mango कहते हैं; और यह भी कि 'मैंगो पीपुल' कह कर मज़ाक बनाने वालों ने आम के पहले अर्थ के स्थान पर दूसरे अर्थ का अँग्रेज़ी अनुवाद किया था। इस ब्लॉग में आप आम के दूसरे अर्थ यानी 'फलों का राजा आम' पर एक लेख पहले ही पढ़ चुके हैं (How mango might have got its names आम का नामकरण कैसे हुआ होगा)आज हम चर्चा करेंगे पहले अर्थ की, और उसी अर्थ लिए हुए अँग्रेज़ी शब्द कॉमन common की। 

मेरे विचार से, संस्कृत शब्द 'सम' पहले अरबी भाषा में गया होगा और बिगड़ कर 'आम' बना होगा। फिर लौट कर, उसी बिगड़े हुए रूप में फारसी, उर्दू के रास्ते हिन्दी में शामिल हो गया! संस्कृत में सम का अर्थ है: एक जैसा, समान, सामान्य, मामूली। संस्कृत वर्ण श/ष/स/ फारसी, अरबी, तुर्की में बदल कर '' हो जाते हैं। ग्रीक/यूनानी तक पहुँचते हुए यही स से ह हुई आवाज आ या ई में बदल जाती है।  इस परिवर्तन का सबसे जाना पहचाना उदाहरण है: सिंधु> हिन्दू > इन्दु> इंडिया; या सिंधु > इंडस। अतः,  सम के आम में बिगड़ने की क्रिया कुछ इस तरह रही होगी: सम >साम> हाम > आम।

अब देखें कि अँग्रेज़ी में कॉमन शब्द कहाँ से आया? भाषाविदों के अनुसार समान या सामान्य के लिए लेटिन शब्द कोम्युनिस है। उसी से फ़्रेंच शब्द कोम्युन बना। जिससे 1250-1300 ई॰  के आसपास अँग्रेज़ी शब्द कोमुन बना, जिसे हम आज कॉमन के रूप में जानते है।

लेकिन, क्यों न हम लेटिन शब्द कोम्युनिस और उससे बने अँग्रेजी शब्द कॉमन का उत्स संस्कृत के शब्दों सम/ समान/ सामान्य में ही खोजें ? संस्कृत की '' ध्वनि यूरोपियाई भाषों में अनेक बार '' में बदल जाती है, जैसे  सह > को; समिति > कमेटी। अतः सम से कॉमन की यात्रा कुछ इस रही होगी: 
सम > समान > सामान्य > चामान्य > कामान्य > कामान्ज >कामन्स > कामानीज़ communis (Latin)। फिर लेटिन से अँग्रेजी की यात्रा तो हम देख ही चुके हैं।

आप क्या सोचते हैं?
शायद आप यह लेख पढ़ना चाहेंगे: 
How mango might have got its names आम का नामकरण कैसे हुआ होगा        

Mango People, AAM AADAMI, and Common Man  

Some days ago, Mrs Sonia Gandhi’s son-in-law Robert Vadra wrote on his Facebook status: “Mango people in a banana country”. The use of the expression ‘mango people’ by Vadra caused a huge controversy. Consequently, the expression 'mango people’ is gaining currency in India. Who knows, 'mango people' may soon find its place in the Oxford English Dictionary as synonym for the 'common man'!

What is the origin of the phrase "mango people" and who coined it? There is no answer to these questions right now and it will require some more will research. But one thing is certain that the usage of 'mango people’ for common men is not a product of Robert Vadra’s brain. But yeah, Vadra has some relationship with the origin of 'mango people'.


For many years, at the time of elections, Robert's mother-in-law Mrs Sonia Gandhi and her Congress party have been using her photo with a slogan: "CONGRESS KA HAATH, AAM AADAMI KE SAATH (hand of congress is with the common man). This slogan does not seem credible to many people in the country. They oppose it in their own way. Nowadays, when Arvind Kejriwal comes out on streets to oppose the congress party, he is seen wearing a cap with the words: "MAIN HOON EK AAM AADAMI”, i.e. I am the common man".  And by doing this Kejriwal is obviously ridiculing the AAM ADAMI slogan of Sonia ji. There is no dearth of articles and cartoons ridiculing the AAM ADAMI slogan on the Internet. Some authors and cartoonists call the common man as the ‘mango people’.  In fact, for many years now, several people in the cyberspace have been calling themselves as ‘mango man’. When stung by corruption charges against him, Robert Vadra wrote the scornful line on the Facebook, “mango people in banana republic", he was clearly targeting Arvind Kejriwal wearing a AAM ADAMI cap.

The Hindi/ Urdu word AAM used in AAM ADAMI has two meaning, (1) used in the sense of common, simple, modest, masses, the word AAM is a borrowing from Arabic. The word came to India with the invading Arabs and Iranians in medieval times. (2) the mango fruit is known as AAM in Hindi, Urdu, Bengali, Asamese, Punjabi. The origin of the word mango and AAM was discussed earlier in another article in this blog (How mango might have got its names आम का नामकरण कैसे हुआ होगा).  Today we discuss the origin of the word AAM in the sense of its usage for ‘common’.

In my opinion, the Sanskrit word 'SAMA' 'सम' (= similar, simple, modest, common) transformed into the Arabic AAM through degeneration, and returned to Hindi, Urdu and other Indian languages in its new acquired form. It is well known that the Sanskrit characters sha / Sha ष/ sa transform into ‘ha ' in Persian, Arabic and Turkish. It changes further into a, or i in Greek. The most familiar example of this transformation is: Sindhu > Hindu> Indu> India; and Sindhu > Indus. Therefore, the process of evolution of AAM आम from SAMA सम may have been: SAMA> HAMA > AAMA > AAM.

Let’s now examine the origin of the word ‘common’. According to linguists, the Latin word commūnis gave rise to the English word common: Latin commūnis common> Old French comun > Anglo-French comun > Middle English comun> English common ~ 1250-1300;
But then, what is the origin of the Latin word commūnis? The DNA of commūnis shows its strong homology to Sanskrit words for common SAMA सम and SAMANA समान. The sound of 's' in Sanskrit words changes to sh /k / ch in many European words, e.g. SAHA सह > co, and SAMITI समिति > committee.  Therefore the etymology of common should be redefined as follows: SAMA (Sanskrit) = common > SAMANA (Sanskrit) = common > SAMANYA (Sanskrit) = common > CHAMANAYA > KAMANYA > KAMANZ > KOMONIS> communis Latin > comun (French) > common (English).

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How mango might have got its names आम का नामकरण कैसे हुआ होगा    




Friday, October 12, 2012

मौन, मोयान और मो यान -- हिन्दी और चीनी में एक अर्थ और ध्वनि वाले दो शब्द





साहित्य के लिए 2012 का नोबेल चीनी साहित्यकार श्री मो यान दिया जायेगा। उनका असली नाम गुआन मोये है, लेकिन वह छद्म नाम मो यान से लिखते हैं। चीनी में मो यान का अर्थ है खामोशी या मौन। मो यान चीन में रहने वाले दूसरे व्यक्ति हैं, जिन्हे नोबेल पुरस्कार मिलेगा। पहले पुरस्कार विजेता हैं: मानवाधिकार कार्यकर्ता श्री लियू क्षियाबो। किन्तु सरकार-नियंत्रित चीनी मीडिया ने कभी चीनियों को क्षियाबो के पुरस्कार की खबर नहीं दी। वे लगातार जेल में हैं। अब जबकि मो यान के लिए नोबेल पुरस्कार की खबर आई, तो एक चीनी टिप्पणीकार ने इंटरनेट पर लिखा, “पहला भी मोयान (खामोश/मौन) था, दूसरा भी मो यान है!"

क्या यह सिर्फ एक संयोग है कि संस्कृत, हिन्दी और अनेक भारतीय भाषाओं का शब्द मौन और उसका चीनी पर्यायवाची मोयान लगभग एक जैसी ध्वनि लिए हुए हैं? क्या मौन और मोयान का डीएनए एक ही है? 

संस्कृत शब्दों मन, मुनि और मौन में आपस का रिश्ता माना जाता है। मन का अभिप्राय हमारी चेतना, मस्तिष्क, या सहजबोध से है। मुनि का तात्पर्य उस साधक से है जो मन या अपनी अंतर-प्रेरणा से काम करे या फिर उस साधु से जिसने मौन व्रत लिया हो।  इस अर्थ में मौन और मोयान (चीनी) में चुप रहने का सक्रिय आत्म-निर्णय निहित है।

किसी बीमारी के कारण न बोल पाने या गूंगेपन के लिए संस्कृत और हिन्दी का शब्द मूक है। खामोशी के लिए मूक से मिलते-जुलते शब्द जापानी और कोरियन में भी मिलते हैं: जापानी में मोकुही 黙秘(mokuhi), और कोरियन में चिम्मुक 침묵  (chimmuk)। तो क्या कह दें: हिंदी-चीनी-जापानी-कोरियन  सब भाई-भाई या फिर बहन-बहन!

The Unity of Words for Silence in Hindi and Chinese -- Maun, Moyan and Mo Yan

हिन्दी में यह आलेख पढ़ें:  मौन, मोयान और मो यान -- हिन्दी और चीनी में एक अर्थ और ध्वनि वाले दो शब्द


Chinese author Mr Mo Yan has won the Nobel prize for literature 2012. His real name is Guan Moye but he writes under the pseudonym Mo Yan which means 'silence' in Chinese. Mo Yan is the second person living in China to win a Nobel Prize. The human rights activist Mr Liu Xiabo was the first. However, the government-controlled Chinese media never disclosed the news of Xiabo's prize to the Chinese public. Xiabo continues to be in jail. When the news came for a Nobel for Mo Yan, a Chinese commentator wrote on the Internet, “The first one was moyan [silent]. The second was still Mo Yan!”

Is it simply a coincidence that the Chinese word for silence ‘moyan’ sounds similar to the Sanskrit word 'maun' मौन having the same meaning? 

The Sanskrit word 'maun' मौन is considered to be related to the Sanskrit words ‘man' मन (pronounced as mun)  =  mind, thought, instinct; and muni मुनि =  anyone who is moved by inward impulse, or a hermit who has taken the vow of silence. Thus, 'maun' मौन implies conscious decision to observe silence. Another Sanskrit word 'mook' मूक (=dumb) implies pathological inability to speak. Similar sounding words mokuhi 黙秘 (Japanese) and chimmuk 침묵 (Korean) also mean silence.

Shall we say now, Hindi-Chini-Japani-Korean bhai-bhai or behan-behan! (Hindi, Chinese, Japanese and Korean are brothers or sisters!)