Thursday, February 15, 2024

देवी सरस्वती रंग-रूप से सूरजमुखी (albino ऐल्बाइनो) थीं। इसी में उनके नाम का रहस्य छुपा है।

Devi Sarasvati was an albino and that is the secret behind her name.  
लेखक – राजेन्द्र गुप्ता (ब्लॉगस्पॉट पर “शब्दों का डी.एन.ए. /
DNA of Words)

देवी सरस्वती Devi Sarasvati/ Saraswati भारतीय सभ्यता और संस्कृति की प्रमुख वैदिक एवं पौराणिक देवियों में से एक हैं। वह विद्या, वाणी और संगीत की देवी हैं। अगस्त्य मुनि रचित  सरस्वती स्तोत्र में देवी को कुन्द (चमेली) के फूल, चंद्रमा, हिम और मोती की तरह सफेद रंग का बताया गया है।

"या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।”

(अर्थ : जो कुन्द के फूल, चंद्रमा, हिम और मोती के हार की तरह धवल वर्ण की हैं)

इस वंदना में बताये सरस्वती देवी के रंग-रूप से यह आभास होता है की देवी एक सूरजमुखी या ऐल्बाइनो (albino) थीं। सूरजमुखी लोगों की त्वचा, बाल और आँखों में मिलेनिन वर्णक (pigment पिगमेंट ) पूरी तरह या आंशिक रूप से नहीं पाया जाता। जिसके कारण उनके शरीर का रंग हिम की तरह सफेद होता है। मन में जिज्ञासा उठी कि इस सरस्वती वंदना के आधार पर सरस्वती जी कैसी दिखती होंगी। मैंने माइक्रोसॉफ्ट की AI विधा अथवा कृत्रिम बुद्धि / आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के द्वारा देवी सरस्वती का चित्र बनाने का प्रयास किया। मैंने कंप्यूटर को कहा एक सफेद कमल के फूल पर विराजमान, सफेद वस्त्र पहने हुए एक भारतीय देवी का चित्र बनाओ जो ऐल्बाइनो हैं और वीणा-वादन कर रहीं हैं। AI द्वारा चित्रण के प्रयास में बने सरस्वती जी का चित्र आपके सामने है। 



मेरा मानना है कि वैदिक और पौराणिक साहित्य में हमें सभ्यता के उस युग की झलक मिलती है जब मानव वनवासी शिकारी-घुमंतू जीवन छोड़ कर कृषि अपना रहा था और गाँव बसा रहा था। निश्चय ही उस युग में देवी सरस्वती के वस्त्र और आभूषण वैसे नहीं रहे होंगे जैसे के चित्रों में दिखाए जाते हैं। प्रयास करूँगा कि इस विधा को अच्छी तरह से सीखा जाए ताकि एक संतोषजनक चित्र बन सके।

मेरी दूसरी जिज्ञासा थी कि सरस्वती जी के नाम का अर्थ क्या है। पारंपरिक रूप से भाषाविदों का यह मानना है कि देवी सरस्वती का नाम वैदिक काल की सरस्वती नदी (जो अब लुप्त हो चुकी है) के नाम पर किया गया। लेकिन क्यों ? सरस्वती देवी और सरस्वती नदी में क्या संबंध है ?

भाषाविदों के अनुसार सरस्वती नदी को सरस्वती इसलिए कहा गया क्योंकि उसमें अनेक बड़े सरोवर (और द्वीप) बने हुए थे।

सरस् [संस्कृत] = सरोवर, झील, तालाब

+ वती= स्त्री वाचक शब्दों में लगाए जाने वाला एक प्रत्यय जिसमें स्वत्व या स्वामित्व का भाव है जैसे कि गर्भवती, पुत्रवती, तेजोवती, सौभाग्यवती, प्रभावती आदि।

= सरस्वती [संस्कृत] = सरोवरों वाली, झीलों वाली  

अतः नदी का नामकरण तार्किक और सार्थक है किंतु देवी सरस्वती के संदर्भ में यह बहुत अटपटा और अतार्किक है।

सरस्वती देवी का एक नाम सावित्री भी है जिसका शाब्दिक अर्थ सूर्य-किरण है। अतः मेरा प्रस्ताव है कि सरस्वती नाम का संबंध देवी के सूर्यमुखी रंग-रूप के कारण है।  

सवितृ [संस्कृत]= सूर्य

> सावित्र [संस्कृत] = सूर्य से संबंधित

> सावित्री [संस्कृत = सूर्य-किरण, सरस्वती

सूर्य से संबंध के लिए सरस्वती शब्द से सबसे अधिक ध्वनि साम्यता वाला संस्कृत शब्द सूर्यवती है। संभवतः यह सूर्यवती शब्द ही अपभ्रंश होकर सरस्वती हो गया।

सूर्य [संस्कृत] = सूरज 

+ वत् / वती [संस्कृत] = एक प्रत्यय जो समानता और सादृश्य अर्थ को प्रकट करने के लिए संज्ञा या विशेषण शब्दों के साथ जोड़ दिया जाता है।

= सूर्यवती [संस्कृत का लुप्त शब्द?]= सूरज जैसी, सूरजमुखी

> सूरयवती

> सूरजवती

> सूरसवती

> सरस्वती Saraswati / Sarasvati [संस्कृत]

निष्कर्ष : सरस्वती देवी ऐल्बाइनो / सूरजमुखी थीं। अतः उनका मूल नाम सूर्यवती रहा होगा जो बिगड़ कर सरस्वती हो गया।

पहेली : एक प्रमुख भगवान भी सुरजमुखी थे। पहचानो कौन?

संकेत : भगवान की स्तुति में ही उनके रंग-रूप का वर्णन है।

2 comments:

  1. अधबुध लेखन, आपका विचार अति उत्तम है । मुझे यह भी खुशी है कि आपने साथ ही AI का प्रयोग भी किया। कृपया आप इसी तरह लिखते रहे। बहुत ही सुन्दर।
    अंकुर

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