Friday, October 10, 2025

तमिल शब्द ‘अरट्टई’ (அரட்டை arattai) में संस्कृत शब्द ‘वार्ता’ का डी.एन.ए. है !

लेखक -- राजेन्द्र गुप्ता 

The Tamil word 'arattai' (அரட்டை) has the DNA of the Sanskrit word ‘vArtA’ !  

एक इन्स्टेन्ट मैसेजिंग ऐप (instant messaging app) अथवा त्वरित संदेश ऐप भारत में वायरल सनसनी बन कर धूम मचा रहा है। इसमें व्हाट्सएप जैसी ही विशेषताएं हैं और यह उपयोगकर्ताओं को संदेश भेजने तथा वॉयस और वीडियो कॉल करने की सुविधा देता है। इस कारण इसमें व्हाट्सएप को टक्कर देने की संभावना है। इस ऐप को भारत में तमिलनाडु स्थित ज़ोहो कॉर्पोरेशन द्वारा विकसित किया गया है। जोहो के संस्थापक श्री श्रीधर वेम्बु ने इसका ऐप का नाम ‘अरट्टई’ रखा है। अरट्टई’ (அரட்டை) एक  तमिल शब्द है। इसका अर्थ है ‘चैट’ या ‘बातचीत’। जैसा नाम वैसा काम। अतः यह नाम बहुत ही उपयुक्त है।

आज हम अरट्टई (அரட்டை arattai) शब्द के डी.एन.ए. की जाँच करेंगे।   

भाषाविद् मानते है कि तमिल और संस्कृत का कोई आपसी सम्बन्ध नहीं है। किन्तु मेरे पाठक जानते हैं  कि मैं सभी भाषाओं के मूलभूत जैविक सम्बन्ध में विश्वास रखता हूँ।

लीजिए यह है ‘अरट्टई’ (அரட்டை arattai) की संस्कृत से तमिल में परिवर्तन की संभावित यात्रा।   

वार्ता [संस्कृत] = बातचीत [हिन्दी] = chat, conversation [अँग्रेज़ी]    

> वार्त्ता

> वारत्ता  

> वारट्टा

> यारट्टा

> आरट्टा

> अरट्टई அரட்டை arattai [तमिल] = बातचीत  

‘अरट्टई’ அரட்டை के इस संस्कृत डी.एन.ए. पर आप क्या सोचते हैं,  कृपया बताइए।    

#Arattai #அரட்டை #WhatsApp #Sridhar_Vembu #ZOHO #Sanskrit_Tamil #DNA_Of_Words

The Tamil word 'arattai' (அரட்டை arattai) has DNA of the Sanskrit word 'vArtA' (वार्ता) !

Author -- Rajendra Gupta

तमिल शब्द ‘अरट्टई’ (அரட்டை arattai) में संस्कृत शब्द ‘वार्ता’ का डी.एन.ए. है!

An instant messaging app has become a viral sensation in India. It has similar features to WhatsApp and allows users to send messages and make voice and video calls. This gives it the potential to compete with WhatsApp. The app was developed by Zoho Corporation, based in Tamil Nadu, India. Zoho's founder, Mr Sridhar Vembu, named the app 'arattai' (அரட்டை). It is a Tamil word that means 'chat' or 'conversation.' The name is quite apt.

Today we will examine the DNA of the word arattai (அரட்டை arattai).

Linguists believe that Tamil and Sanskrit have no mutual connection. But my readers know that I believe in the fundamental biological relationship of all languages.

Here, I present possible mutations in the Sanskrit word vArtA वार्ता that transformed it into the Tamil word arattai' (அரட்டை).  

vArtA वार्ता [Sanskrit] = conversation [Hindi] = chat, conversation [English]

> vArattA वारत्ता

> vArattA वारट्टा

> yArattA यारट्टा

> arattA आरट्टा

> arattai अरट्टई அரட்டை[Tamil] = chat, conversation

Now please tell me, what do you think  about this Sanskrit DNA of 'arattai' (அரட்டை)?  

#Arattai #அரட்டை #WhatsApp #Sridhar_Vembu #ZOHO #Sanskrit_Tamil #DNA_Of_Words

Friday, February 07, 2025

स्वर्ग के राजा इन्द्र को जापानी में ताइशाकुतेन क्यों कहते हैं ? क्या है संस्कृत से सम्बन्ध ? Why is the King of Heaven Indra called Taishakuten in Japanese? What is the Sanskrit connection of the Japaneese word?

भारतीय परंपरा में स्वर्ग का राजा इन्द्र है। उनकी पत्नी का नाम शची है। अतः इन्द्र को शचीन्द्र भी कहा जाता है। जापानी परंपरा में स्वर्ग का राजा ताइशाकुतेन हैं। दोनों का वाहन हाथी है। इस लेख में दिखाया गया है कि ताइशाकुतेन संस्कृत के 'देव शचीन्द्र' का बदला हुआ रूप है।

इन्द्र और उसकी पत्नी शची का चित्र भारत में कर्नाटक के सोमनाथपुरा के चेन्नकेशव मंदिर से है।


















ताइशाकुतेन 帝釈天 Taishakuten का चित्र एक जापानी कलाकृति से है।

देव [संस्कृत] = देवता.
+ शची [संस्कृत] = इन्द्र की पत्नी का नाम
+ इन्द्र [संस्कृत] = स्वामी
= देव शचीन्द्र Dev Shachindra [संस्कृत] = देवता जो शची का स्वामी है अर्थात इन्द्र ।
> तेव शचीन्द Tev Shachind
> ताय शकीन्द Tay Shakind
> ताइ शकुन्त Tai Shakunt
> ताइ शाकुतेन Tai Shakuten
> ताइशाकुतेन 帝釈天 Taishakuten [जापानी]

एक और संभावना भी है । ताइशाकुतेन संस्कृत शब्द शचीनाथ का रूपांतर भी हो सकता है।

देव [संस्कृत] = देवता
+ शची [संस्कृत] = इन्द्र की पत्नी का नाम
+ नाथ [संस्कृत] = स्वामी, पति
= देव शचीनाथ Dev Shachinaath [संस्कृत] = देवता जो शची का स्वामी है अर्थात इन्द्र ।
> तेव शकीनात Tev Shakinat
> तेय शकीतान Tey Shakitan
> ताय शकुतान Tay Shakutan
> ताइ शाकुतेन Tai Shakuten
> ताइशाकुतेन 帝釈天 Taishakuten [जापानी]

-- राजेन्द्र गुप्ता (शब्दों का डीएनए DNA of Words dnaofwords dot blogspot dot com)

Thursday, January 30, 2025

The ancient Greeks took the name of the second brightest star from India प्राचीन यूनानियों ने दूसरे सबसे चमकीले तारे का नाम भारत से लिया

Rajendra Gupta (DNA of Words dnaofwords dot blogspot dot com)

Canopus is the second brightest star visible in the night sky. It is eight times as massive as the Sun. It has a luminosity over 10,000 times the luminosity of the Sun. The name Canopus is recorded as Κάνωβος/Kanôbos by Ptolemy (c.150 AD). The spelling Canopus is a Latinisation of the Greek name Kanôbos. Linguists believe that Canopus is named after pilot of a ship during the ancient Tojan war. But there is a twist in this story. The ancient Indians had known Canopus as Agastya and it was named after an important Vedic rishi. Interestingly, Agastya is also called Kumbhaj in Sanskrit literature. The Sanskrit word Kumbhaj and the Greek word Kanobus have uncanny similarity.

Kumbhaj कुम्भज > Kunbhaj कुन्भज > Kanubaj कनुबज > Kanabuj कनबुज > Kanobus कनोबस > Canopus कनोपस.

This sharp similarity cannot be accidental. Thus, it looks like that the Sanskrit word Kumbhaj is the origin of Greek word Kanôbos. This story also sheds light on the ancient astronomical relations between India and Greece.   

 

प्राचीन यूनानियों ने दूसरे सबसे चमकीले तारे का नाम भारत से लिया 

राजेन्द्र गुप्ता (शब्दों का डीएनए DNA of Words dnaofwords dot blogspot dot com)

कनोपस रात्रि आकाश में दिखाई देने वाला दूसरा सबसे चमकीला तारा है। यह सूर्य से आठ गुना अधिक विशाल है। इसकी चमक सूर्य की चमक से 10,000 गुना अधिक है। कनोपस नाम टॉलेमी (सी.150 ईस्वी) द्वारा कनोबोस  (Κάνωβος/Kanôbos) के रूप में दर्ज किया गया था। कनोपस (Canopus) की अँग्रेज़ी वर्तनी ग्रीक नाम कनोबोस (Kanôbos) का लैटिन रूप है। भाषाविदों का मानना ​​​​है कि कनोपस का नाम प्राचीन ट्रॉय युद्ध के दौरान एक जहाज के पायलट के नाम पर रखा गया है। किन्तु इसका एक दूसरा पक्ष भी है। प्राचीन भारतीय कनोपस को अगस्त्य के नाम से जानते थे। संस्कृत साहित्य में अगस्त्य को कुंभज भी कहा गया है। कुंभज और कनोबस शब्दों में अद्भुत समानता है।

कुम्भज Kumbhaj > कुन्भज Kunbhaj > कनुबज kanubaj > कनबुज kanabuj > कनोबस Kanobus > कनोपस Canopus

यह तीखी समानता आकस्मिक नहीं हो सकती। अतः ऐसा लगता है कि ग्रीक शब्द कनोबस संस्कृत शब्द कुंभज से निकला है। शब्दों की यह कहानी प्राचीन संसार में भारत और यूनान के खगोल विद्या संबंधों पर भी प्रकाश डालती है।

Wednesday, January 29, 2025

अगस्त्य ऋषि का जन्म कुम्भ (घड़ा) से हुआ अथवा उनका जन्म कुम्भ पर्व में हुआ था? -- एक और पौराणिक गप्प की भाषिक पड़ताल

राजेन्द्र गुप्ता (शब्दों का डीएनए DNA of Words dnaofwords dot blogspot dot com)

अगस्त्य एक वैदिक ऋषि थे। उनका वर्णन रामायण में भी आता है। वह राम जी के गुरु वसिष्ठ के बड़े भाई थे। वनवास में श्री राम उनके आश्रम गए थे जहाँ ऋषि ने उन्हें रावण को मारने के लिए दिव्य अस्त्र-शस्त्र दिए थे। ऋषि अगस्त्य को तमिल भाषा का पहला वैयाकरण और केरल के मार्शल आर्ट कलरीपायट्टु  का आदि गुरु माना जाता है। ऋषि अगस्त्य दक्षिणी भारत की चिकित्सा पद्धति 'सिद्ध वैद्यम्के भी जनक भी हैं। ऋषि के स्मृति में भारत के आकाश में सबसे चमकीले तारे का नाम अगस्त्य रखा गया है। इस तारे को अँग्रेज़ी में कनोपस Canopus कहते हैं।

ऋषि अगस्त्य का दूसरा नाम कुम्भज भी है। कुम्भज का शाब्दिक अर्थ है जिसका जन्म कुम्भ या घड़े से हुआ। अतः अगस्त्य को कुम्भजन्मनः, कुम्भयोनिः, कुम्भसम्भवः, घटयोनि, घटसम्भवः आदि भी कहा गया है । अगस्त्य के कुम्भजन्म की एक विचित्र कथा पुराणों में मिलती है। वरुण और मित्र देवता हैं। वह दोनों  नदियों और समुद्र के अधिपति देवता हैं। एक बार उन्होंने उर्वशी नाम की एक अप्सरा को देखा। उन दोनों ने उर्वशी पर मोहित हो कर अपना वीर्य एक कुम्भ में स्थापित कर दिया, जिससे वसिष्ठ और अगस्त्य ऋषियों का जन्म हुआ। कोई भी तार्किक मन या जिसने भी विज्ञान पढ़ा है वह इस शुद्ध गप्प को तुरंत अस्वीकार कर देगा। किन्तु हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि सभी पौराणिक गप्पों के पीछे कुछ महा सत्य छिपे हुए हैं। यह सत्य हम तक नहीं पहुंचे है क्योंकि संस्कृत के प्राचीन ग्रंथों का प्रायः व्यापक रूप से भ्रामक अनुवाद और भावानुवाद हुआ है। इसे ध्यान रखते हुए आइये हम अगस्त्य की जन्म कथा में आए शब्दों के वैकल्पिक अर्थों को खोजते हैं और फिर उनका प्रयोग करके कथा का पुनर्पाठ करते हैं।

1.        उर्वशी वेद पुराणों में एक अप्सरा का नाम है। किन्तु ध्यान रहे कि उर्वशी का शाब्दिक अर्थ है -- व्यापक रूप से विस्तारित (भूमि)। उर्वी का अर्थ है -- विस्तृत प्रदेशभूमि, पृथ्वीधरती, खुली जगहमैदान। उपजाऊ भूमि को उर्वरा कहते हैं। उर्वशी कि कल्पना भोर के मानवीकरण के रूप में भी की गई है।

2.        वीर्य का सबसे प्रचलित अर्थ है – शुक्र, अर्थात पुरुष के शरीर का वह तरल पदार्थ जिसके स्त्री शरीर में अंडे से मिलन से सन्तान उत्पन्न होती है। किन्तु  वीर्य के अन्य अर्थ भी हैं, जैसे शूरवीरतापराक्रमबहादुरी, बलसामर्थ्य, ऊर्जादृढ़तासाहस, शक्तिक्षमता, आभाकान्ति, गौरवमहिमा।

3.        कुम्भ का अर्थ है घड़ा। किन्तु कुम्भ एक राशि भी है। पौराणिक समुद्र मंथन में निकले अमृत कुम्भ की स्मृति में 12 वर्ष में पवित्र नदियों के किनारे मनाया वाला पारंपरिक पर्व भी कुम्भ कहलाता है।  

अब हम वैकल्पिक अर्थों के आलोक में प्राचीन कथा का पुनर्पाठ करते हैं और नए अर्थों का प्रयोग करते हैं।     

मूल कथा -- वरुण और मित्र ने उर्वशी (अप्सरा) को देखा और उस पर मोहित हो गए।  

पुनर्पाठ -- वरुण और मित्र ने उर्वशी (व्यापक रूप से विस्तारित भूमि) को देखा और उस पर मोहित हो गए।

2. मूल कथा -- उन दोनों ने अपना वीर्य (संतान उत्पत्ति के लिए पुरुष का तरल पदार्थ) एक कुम्भ (घड़ा / पात्र)  में स्थापित कर दिया,

पुनर्पाठ -- उन दोनों ने अपने वीर्य (बलसामर्थ्य, ऊर्जादृढ़तासाहस, शक्तिक्षमता, आभाकान्ति, गौरवमहिमा आदि) को कुम्भ राशि में पवित्र नदी के किनारे होने वाले उस पर्व में स्थापित कर दिया जिसे समुद्र मंथन में निकले अमृत कुम्भ की स्मृति में मनाया जाना था।  

3. मूल कथा -- कुम्भ से वसिष्ठ और अगस्त्य ऋषियों का जन्म हुआ।

पुनर्पाठ -- कुम्भ राशि में कुम्भ पर्व में वसिष्ठ और अगस्त्य ऋषियों का जन्म हुआ।

 

अंत में निचोड़ ..

जल के देवताओं वरुण और मित्र ने पवित्र नदी के किनारे व्यापक रूप से विस्तारित भूमि को देखा और वह उस पर मोहित हो गए। उन दोनों ने कुम्भ राशि में नदी के किनारे समुद्र मंथन में निकले अमृत कुम्भ की स्मृति में एक पर्व का आयोजन किया जिसमें अपना बलसामर्थ्य, ऊर्जादृढ़तासाहस, शक्तिक्षमता, आभाकान्ति, गौरवमहिमा स्थापित कर दिये। इसी कुम्भ पर्व में वसिष्ठ और अगस्त्य ऋषियों का जन्म हुआ। अतः वह कुम्भज कहलाए।

एक पौराणिक कथा का यह पुनर्पाठ आपको कैसा लगाकृपया बताइए।