Tuesday, May 13, 2014

यह मोदी शब्द कहाँ से आया? Etymology of Modi

मोदी का मतलब हैं मोठ दाल वाला 
Modi simply means seller of moth beans 



मोदी शब्द का डी.एन.ए. टैस्ट
मोदी का सामान्य अर्थ है, दाल, चावल आदि बेचने वाला, पंसारी, परचूनिया, ग्रॉसर (grocer)। भंडारी या स्टोर-कीपर (storekeeper) को भी मोदी कह सकते हैं। और मोदीख़ाना का अर्थ है मोदी की दुकान या भंडार, पंसारी की दुकान, जनरल स्टोर, राशन की दुकान, किराना स्टोर, रसद भंडार, आपूर्ति भंडार। नरेंद्र मोदी गुजरात के मोढ-घाञ्ची समाज से हैं जो परंपरागत रूप से वनस्पति तेल निकालने और बेचने का काम करते रहा है। यह एक ऐतिहासिक तथ्य है कि भारत में पीढ़ी-दर-पीढ़ी एक ही व्यवसाय में लगे रहने के कारण पारिवारिक व्यवसाय ही जातियों में बदल गए थे। मेरा विचार है कि मोदी जाति का नामकरण प्राचीन काल में मोठ बेचने के व्यवसाय से शुरू हुआ होगा (मोठ > मोठी > मोढी > मोदी)। इसे समझने के लिए आइये चलें लगभग 10,000 वर्ष पहले कि दुनिया में, जब हमारे भील-शिकारी-घुमंतू पुरखे वनों को छोड़ कर मानव सभ्यता के पहले गाँव बसाना चाह रहे थे। कंद-मूल–फल का संग्रह और शिकार छोड़ कर हमारे पुरखे कृषि करना चाह रहे थे, किन्तु उन्हें अब भी वन में उपजी वस्तुएँ ही खाने के लिए पसंद थीं। ऐसे में कुछ लोग वन से वन-उपज ला कर गाँव के लोगों को बेचते थे या उनका लेन-देन करते थे। वन-उपज बेचने या उसका लेन–देन करने वाले ही वणिक /वनिये /बनिये कहलाए होंगे (वन > वणिक > वाणिज > वनिय > बनिया। इन वणिकों में भी विभिन्न लोग वन से वस्तु-विशेष लाने में विशेषज्ञता रखने लगे होंगे। इसी वस्तु-विशेष में विशेषज्ञता के कारण बनिया जाति की उप-जातियाँ बनी होंगी, जैसे बांस वाला बांसल /बंसल, मधु वाला मधुकुल/ मुद्गल। वन से लाकर मोठ बेचने वाले या उसका लेनदेन करने वाले वनिये मोठी कहलाए होंगे, और फिर मोठी से मोढी और मोदी। 

मोठ का नामकरण :- लेकिन मोठ का नाम मोठ क्यों पड़ा? प्राचीन काल में जब हमारे पुरखे नए–नए खाद्य पदार्थों की पहचान और उनका नामकरण कर रहे थे, उन्होने कंद-मूल-फल-अन्न का नामकारण उनके स्वाद, आकार या अन्य गुणों पर किया होगा। इस ब्लॉग में हम आम, मटर, pea, मूंग, मसूर, मोठ, टमाटर, चावल, नारियल, आदि के नामकरण की चर्चा कर चुके हैं; जैसे मधुर > मटुर मटर। इसी क्रम जब मोठ के पौधे की खोज हुई तो पुरखों ने पाया कि यह मीठी फली मनुष्यों को भी पसंद है और पशुओं को भी। मिठास के कारण इसका नाम हुआ :- मिष्ठ > मोष्ठ > मोष्ठक (लुप्त संस्कृत) > मुकुष्ट  (संस्कृत) > मोष्ठक > मोठिके > मोडिके (कन्नड़)। मोष्ठ > मोठ > मुट/ मठ (गुजराती)। मोठ को बिना पकाये खाया जा सकता है क्योंकि पानी में भीगने के कुछ ही देर में मोठ नरम और अंकुरित हो जाता है। अतः यह भारतीय मूल का पौधा मानव इतिहास में सबसे पहले उपयोग में लाये जाने वाले अन्न / दाल में से एक रहा होगा। 

मोदी और मोदक -- कुछ विद्वानों का मत है कि मोदी शब्द मोदक (=लड्डू) से  बना, अतः मोदी हलवाई थे। किन्तु मुझे लगता है कि संसार का पहला मोदक बनाने के लिए मोष्ठक या मोठ का प्रयोग किया गया होगा। अतः मोठ से मोदक। यह कल्पना मोठ के इस गुण पर आधारित है की इसे बिना पकाये खा सकते हैं। कच्ची भीगी मोठ में कोई मीठा रस मिला कर संसार का पहला मोदक बना होगा। आज मोठ के तो नहीं किन्तु मूंग, उड़द और चने के मोदक काफी लोकप्रिय हैं।  अतः मोठ से मोदी, मोठ से मोदक; मोदक से मोदी नहीं।     

मोदी, मद्द, मद, ग्रॉसर  


सभी जातियों में केवल बनिये या मोदी ही अपना लेन-देन का हिसाब बही-खातों में रखते थे, इन बहियों में अन्य मोदियों से लेनदेन का हिसाब विभिन्न कॉलम में लिखा जाता था। प्रत्येक मोदी का एक अलग कॉलम होता था। यहीं से तालिका के कॉलम को मद (मोदी > मद) या मद्द (अरबी) कहा जाने लगा होगा। समाज द्वारा कृषि अपनाने के बाद जिन बनियों ने केवल मोठ ही नहीं अपितु सभी कृषि उत्पादों के लेन-देन का व्यवसाय किया वे कृषिर कहलाए होंगे और उससे ग्रॉसर (कृषिर > गृशिर > ग्रोशर > ग्रॉसर (grocer)। तो इस तरह मोदी लोग ग्रॉसर कहलाए होंगे। हिन्दी-अङ्ग्रेज़ी कोशों  में मोदी का अर्थ ग्रॉसर ही है (शब्दकोश में ग्रॉसर का उत्स ग्रोस (gross) या थोक व्यापार से बताया गया है)। 

घाञ्ची-मोढी  
बाद में कुछ मोदियों या ग्रॉसरों ने केवल वनस्पति तेल निकालने और बेचने का काम अपनाया। प्राचीन काल में, कोल्हू के आविष्कार से पहले, तेल निकालने के लिए तैलीय बीजों को घन या मुद्गर से पीटा जाता था, और उसकी पिट्ठी को निचोड़ कर तेल निकाला जाता था। अतः घन से पीट कर बीजों से तेल निकालने वाले तेली घाञ्ची-मोदी (घन > घाञ्ची) कहलाये। घन से पीट कर निकाला गया तेल घानी तेल कहलाया। बाद में कोल्हू का आविष्कार होने पर मनुष्य ही उसमें पशु कि तरह जुत कर तेल निकालता था। कोल्हू के मशीनीकृत होने के बाद भी कोल्हू से निकले तेल हो घानी तेल ही कहते हैं और निकालने वाले को घाञ्ची।  भारत में जाति के ऊँच-नीच के क्रमिक वर्गीकरण का आधार उसका क्रमशः बुद्धिजीवी, बलजीवी, व्यवसायजीवी और श्रमजीवी होना था। यूँ तो घाञ्ची-तेली-मोदी की मूल जाति वन-उपज का व्यवसायी होने के कारण बनिया थी, किन्तु तेल निकालने का श्रमसाध्य काम करने के कारण वे निचले पायदान पर बनियों और शूद्रों के बीच की अन्य पिछड़ी जातियों में चले गए होंगे।     

मोदी शब्द के उत्स पर एक मत यह भी :- 

मोदी शब्द के उत्स पर अजित वडनेकर जी के दो बहुत ही शोधपूर्ण लेख उनके ब्लॉग पर उपलब्ध हैं। (1. मोदी की जन्मकुंडली 2. मोदीख़ाना और मोदी)। उनका कहना है कि भाषाविद् मोदी शब्द के उत्स पर एकमत नहीं है। मोदी शब्द का रिश्ता संस्कृत के मोद (आनंद), मोदक (लड्डू) और यहाँ तक की हलवाई से भी जोड़ा गया है। उनके अनुसार मोदी शब्द सेमेटिक धातु मीम-दाल-दाल (م د د ) यानी m-d-d  या मद्द (=आपूर्ति, सहायता) पर आधारित है। अरबी में बहीखाते के कालम को मद्द कहते हैं, जिससे हिन्दी का मद बना। अतः बही खाता रखने वाले ही मोदी हुए। इस तरह वडनेकर जी का मानना है कि मोदी शब्द हिन्दी में मध्यकालीन मुस्लिम दौर में सैन्य शब्दावली से आया है।  


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Friday, May 09, 2014

दामाद श्री, जमाई जी

समधी और दामाद शब्दों में भी पिता-पुत्र का रिश्ता !

आजकल दामाद श्री की चर्चा है। दामाद पुत्री के पति को कहते हैं। यहाँ दामाद के साथ श्री आदरसूचक न हो कर व्यंग का पुट लिए है। कैसी सांस्कृतिक विडम्बना है कि कई बार मधुर संबंधो को बताने वाले शब्द भी व्यंग या गाली का रूप ले लेते हैं! इस तरह के शब्दों में दामाद ही नहीं, विवाह के कारण बनने वाले अन्य रिश्ता-सूचक शब्द भी हैं, जैसे सास, ससुर, और साला। साला तो गाली के रूप में प्रचलित है ही। माना जाता है कि दामाद शब्द फारसी से हिन्दी में आया। विद्वानों के अनुसार संस्कृत में दामाद के लिए जामातृ शब्द है जो बिगड़ कर हिन्दी में यामाता / जामाता, जमाई, जवाईं, ज्वाईं हो गया। जावई (मराठी) और जवें (गढ़वाली) भी इसी क्रम में आते हैं। जामातृ से ही फारसी का दामाद बना:- जामातृ > जामातर (अवेस्ता) > जामात > दामात > दामाद (फारसी) जो ईरान से लौट कर फिर भारतीय भाषाओं में उसी अर्थ में लौट आया। जामातृ से ही तुर्की में दामादर बना (जामातृ > दामातृ > दामातर > दामादर) और ग्रीक में जमितर (जामातृ > जामातिर > जमितर)। लेकिन प्रश्न है कि संस्कृत का जामातृ कहाँ से आया? श्री अजित वडनेकर के अनुसार एक मत यह भी है कि संस्कृत शब्द जामा (पुत्री) से ही जामाता / जामातृ बना। उनका कहना है कि जामा शब्द संस्कृत के जा = संतान और मा = निर्माण से मिल कर बना। अतः  जामा = सन्तान बनाने वाली; और जामा से जामाता। उनका अनुमान यह भी है कि संस्कृत शब्द जामा का तात्पर्य भोजन बनाने वाली यानी पत्नी से है क्योंकि जम् धातु का अर्थ भोजन है। 

हमने पहले चर्चा की है कि वैवाहिक बंधन से जुड़े अनेक शब्द बंध शब्द पर आधारित हैं (वेलेंटाइन, वेड्डिंग, वेलेंसी, बॉण्ड, हस्बेंड, पति, पत्नी, बींध और बींधनी)क्या दामाद और समधी शब्दों का इस नाता बंध शब्द से है? वास्तव में, समधी यानी दामाद का पिता, संस्कृत के सम्बन्धिन / सम्बन्धी का ही सरल रूप है। सम और बंधिन को मिला कर बने शब्द  सम्बन्धिन का अर्थ है आपस में बंधे हुए। कभी सम्बन्धिन शब्द विवाह से बने सभी रिश्तों के लिए था किन्तु अब इसके प्रचलित रूप समधी और समधिन क्रमशः पुत्री के ससुर और सास के लिए ही प्रयोग होते हैं। मालवा में दामाद के परिवार के प्रत्येक पुरुष को ब्याई और प्रत्येक स्त्री को ब्याण कहते हैं। समधी और दामाद में पिता पुत्र का नाता है परंतु भाषाविदों का कहना है समधी और दामाद शब्दों का आपस में कोई नाता नहीं है! भाषाविद् जामातृ और सम्बन्धिन शब्दों में भी कोई आपसी रिश्तेदारी नहीं मानते। लेकिन अगर हम संबन्धित शब्दों को जैविक डी.एन.ए. की तरह की परखेँ तो समधी और दामाद शब्द में भी पिता-पुत्र का संबंध उजागर होता है।  
सम्बन्धी > समधी > जमधी > जमती > जमता > जामाता > जामातृ
संयुक्त रूप में पति और पत्नी के लिए संस्कृत शब्द दम्पति भी सम्बन्धी का ही बिगड़ा रूप है:  
सम्बन्धी > जम्बन्धी > जम्बधी > जम्पति > दम्पति

आपको याद होगा कि हमने चर्चा की थी कि अङ्ग्रेज़ी का शब्द हस्बन्ड (husband) भी संस्कृत के सहबंध का ही सरल रूप है। शायद आज आप उस चर्चा को दोबारा पढ़ना चाहेंगे।  
Valentine, wedding, valency, bond, husband, PATI, PATNI, BEENDHand BEENDHANI वेलेंटाइन, वेड्डिंग, वेलेंसी, बॉण्ड, हस्बेंड, पति, पत्नी, बींध और बींधनी

चलते-चलते कुछ पाजी व्युत्पत्तियाँ 

  • "ससुराल में बैठकर जीमने वाला जीमता या जामाता ही कहलाएगा"। (सलिल वर्मा जी से साभार)
  • ससुराल प्रवास के दौरान अधिक खा कर सारा दिन जम्हाई लेने वाले को जमाई कहते हैं! 
  • ससुराल प्रवास में पत्नी बार-बार अङ्ग्रेज़ी में कहती है : "डैम'एड, बिहेव योरसेल्फ" (गंदे आदमी अपना व्यवहार ठीक रखो)। दामाद शब्द  पत्नी द्वारा बार-बार कहे गए डैम'एड का ही रूप है!   
  • ससुराल प्रवास में अगर ठीक खातिर न हो, तब गुस्से से फूँ-फाँ करने वाले को साले के बच्चे 'फूफा' कहते हैं!