मोदी शब्द का डी.एन.ए. टैस्ट
‘मोदी’ का सामान्य अर्थ है, दाल, चावल आदि बेचने वाला, पंसारी, परचूनिया, ग्रॉसर (grocer)। भंडारी या स्टोर-कीपर (storekeeper) को भी मोदी कह सकते हैं। और ‘मोदीख़ाना’ का अर्थ है मोदी की दुकान या भंडार, पंसारी की दुकान, जनरल स्टोर, राशन की दुकान, किराना स्टोर, रसद भंडार, आपूर्ति भंडार। नरेंद्र मोदी गुजरात के मोढ-घाञ्ची समाज से हैं जो परंपरागत रूप से वनस्पति तेल निकालने और बेचने का काम करते रहा है। यह एक ऐतिहासिक तथ्य है कि भारत में पीढ़ी-दर-पीढ़ी एक ही व्यवसाय में लगे रहने के कारण पारिवारिक व्यवसाय ही जातियों में बदल गए थे। मेरा विचार है कि मोदी जाति का नामकरण प्राचीन काल में मोठ बेचने के व्यवसाय से शुरू हुआ होगा (मोठ > मोठी > मोढी > मोदी)। इसे समझने के लिए आइये चलें लगभग 10,000 वर्ष पहले कि दुनिया में, जब हमारे भील-शिकारी-घुमंतू पुरखे वनों को छोड़ कर मानव सभ्यता के पहले गाँव बसाना चाह रहे थे। कंद-मूल–फल का संग्रह और शिकार छोड़ कर हमारे पुरखे कृषि करना चाह रहे थे, किन्तु उन्हें अब भी वन में उपजी वस्तुएँ ही खाने के लिए पसंद थीं। ऐसे में कुछ लोग वन से वन-उपज ला कर गाँव के लोगों को बेचते थे या उनका लेन-देन करते थे। वन-उपज बेचने या उसका लेन–देन करने वाले ही वणिक /वनिये /बनिये कहलाए होंगे (वन > वणिक > वाणिज > वनिय > बनिया। इन वणिकों में भी विभिन्न लोग वन से वस्तु-विशेष लाने में विशेषज्ञता रखने लगे होंगे। इसी वस्तु-विशेष में विशेषज्ञता के कारण बनिया जाति की उप-जातियाँ बनी होंगी, जैसे बांस वाला बांसल /बंसल, मधु वाला मधुकुल/ मुद्गल। वन से लाकर मोठ बेचने वाले या उसका लेनदेन करने वाले वनिये मोठी कहलाए होंगे, और फिर मोठी से मोढी और मोदी।
मोठ का नामकरण :- लेकिन मोठ का नाम मोठ क्यों पड़ा? प्राचीन काल में जब हमारे पुरखे नए–नए खाद्य पदार्थों की पहचान और उनका नामकरण कर रहे थे, उन्होने कंद-मूल-फल-अन्न का नामकारण उनके स्वाद, आकार या अन्य गुणों पर किया होगा। इस ब्लॉग में हम आम, मटर, pea, मूंग, मसूर, मोठ, टमाटर, चावल, नारियल, आदि के नामकरण की चर्चा कर चुके हैं; जैसे मधुर > मटुर > मटर। इसी क्रम जब मोठ के पौधे की खोज हुई तो पुरखों ने पाया कि यह मीठी फली मनुष्यों को भी पसंद है और पशुओं को भी। मिठास के कारण इसका नाम हुआ :- मिष्ठ > मोष्ठ > मोष्ठक (लुप्त संस्कृत) > मुकुष्ट (संस्कृत) > मोष्ठक > मोठिके > मोडिके (कन्नड़)। मोष्ठ > मोठ > मुट/ मठ (गुजराती)। मोठ को बिना पकाये खाया जा सकता है क्योंकि पानी में भीगने के कुछ ही देर में मोठ नरम और अंकुरित हो जाता है। अतः यह भारतीय मूल का पौधा मानव इतिहास में सबसे पहले उपयोग में लाये जाने वाले अन्न / दाल में से एक रहा होगा।
‘मोदी’ का सामान्य अर्थ है, दाल, चावल आदि बेचने वाला, पंसारी, परचूनिया, ग्रॉसर (grocer)। भंडारी या स्टोर-कीपर (storekeeper) को भी मोदी कह सकते हैं। और ‘मोदीख़ाना’ का अर्थ है मोदी की दुकान या भंडार, पंसारी की दुकान, जनरल स्टोर, राशन की दुकान, किराना स्टोर, रसद भंडार, आपूर्ति भंडार। नरेंद्र मोदी गुजरात के मोढ-घाञ्ची समाज से हैं जो परंपरागत रूप से वनस्पति तेल निकालने और बेचने का काम करते रहा है। यह एक ऐतिहासिक तथ्य है कि भारत में पीढ़ी-दर-पीढ़ी एक ही व्यवसाय में लगे रहने के कारण पारिवारिक व्यवसाय ही जातियों में बदल गए थे। मेरा विचार है कि मोदी जाति का नामकरण प्राचीन काल में मोठ बेचने के व्यवसाय से शुरू हुआ होगा (मोठ > मोठी > मोढी > मोदी)। इसे समझने के लिए आइये चलें लगभग 10,000 वर्ष पहले कि दुनिया में, जब हमारे भील-शिकारी-घुमंतू पुरखे वनों को छोड़ कर मानव सभ्यता के पहले गाँव बसाना चाह रहे थे। कंद-मूल–फल का संग्रह और शिकार छोड़ कर हमारे पुरखे कृषि करना चाह रहे थे, किन्तु उन्हें अब भी वन में उपजी वस्तुएँ ही खाने के लिए पसंद थीं। ऐसे में कुछ लोग वन से वन-उपज ला कर गाँव के लोगों को बेचते थे या उनका लेन-देन करते थे। वन-उपज बेचने या उसका लेन–देन करने वाले ही वणिक /वनिये /बनिये कहलाए होंगे (वन > वणिक > वाणिज > वनिय > बनिया। इन वणिकों में भी विभिन्न लोग वन से वस्तु-विशेष लाने में विशेषज्ञता रखने लगे होंगे। इसी वस्तु-विशेष में विशेषज्ञता के कारण बनिया जाति की उप-जातियाँ बनी होंगी, जैसे बांस वाला बांसल /बंसल, मधु वाला मधुकुल/ मुद्गल। वन से लाकर मोठ बेचने वाले या उसका लेनदेन करने वाले वनिये मोठी कहलाए होंगे, और फिर मोठी से मोढी और मोदी।
मोठ का नामकरण :- लेकिन मोठ का नाम मोठ क्यों पड़ा? प्राचीन काल में जब हमारे पुरखे नए–नए खाद्य पदार्थों की पहचान और उनका नामकरण कर रहे थे, उन्होने कंद-मूल-फल-अन्न का नामकारण उनके स्वाद, आकार या अन्य गुणों पर किया होगा। इस ब्लॉग में हम आम, मटर, pea, मूंग, मसूर, मोठ, टमाटर, चावल, नारियल, आदि के नामकरण की चर्चा कर चुके हैं; जैसे मधुर > मटुर > मटर। इसी क्रम जब मोठ के पौधे की खोज हुई तो पुरखों ने पाया कि यह मीठी फली मनुष्यों को भी पसंद है और पशुओं को भी। मिठास के कारण इसका नाम हुआ :- मिष्ठ > मोष्ठ > मोष्ठक (लुप्त संस्कृत) > मुकुष्ट (संस्कृत) > मोष्ठक > मोठिके > मोडिके (कन्नड़)। मोष्ठ > मोठ > मुट/ मठ (गुजराती)। मोठ को बिना पकाये खाया जा सकता है क्योंकि पानी में भीगने के कुछ ही देर में मोठ नरम और अंकुरित हो जाता है। अतः यह भारतीय मूल का पौधा मानव इतिहास में सबसे पहले उपयोग में लाये जाने वाले अन्न / दाल में से एक रहा होगा।
मोदी और मोदक -- कुछ विद्वानों का मत है कि मोदी शब्द मोदक (=लड्डू) से बना, अतः मोदी हलवाई थे। किन्तु मुझे लगता है कि संसार का पहला मोदक बनाने के लिए मोष्ठक या मोठ का प्रयोग किया गया होगा। अतः मोठ से मोदक। यह कल्पना मोठ के इस गुण पर आधारित है की इसे बिना पकाये खा सकते हैं। कच्ची भीगी मोठ में कोई मीठा रस मिला कर संसार का पहला मोदक बना होगा। आज मोठ के तो नहीं किन्तु मूंग, उड़द और चने के मोदक काफी लोकप्रिय हैं। अतः मोठ से मोदी, मोठ से मोदक; मोदक से मोदी नहीं।
मोदी, मद्द, मद, ग्रॉसर
सभी जातियों में केवल बनिये या मोदी ही अपना
लेन-देन का हिसाब बही-खातों में रखते थे, इन बहियों में अन्य मोदियों से लेनदेन
का हिसाब विभिन्न कॉलम में लिखा जाता था। प्रत्येक मोदी का एक अलग कॉलम होता था।
यहीं से तालिका के कॉलम को मद (मोदी > मद) या मद्द (अरबी)
कहा जाने लगा होगा। समाज द्वारा कृषि अपनाने के बाद जिन बनियों ने केवल मोठ ही
नहीं अपितु सभी कृषि उत्पादों के लेन-देन का व्यवसाय किया वे कृषिर कहलाए होंगे और
उससे ग्रॉसर (कृषिर > गृशिर >
ग्रोशर > ग्रॉसर (grocer)। तो इस
तरह मोदी लोग ग्रॉसर कहलाए होंगे। हिन्दी-अङ्ग्रेज़ी कोशों में मोदी का अर्थ ग्रॉसर ही है (शब्दकोश में
ग्रॉसर का उत्स ग्रोस (gross) या थोक व्यापार से बताया गया
है)।
घाञ्ची-मोढी
बाद में कुछ मोदियों या ग्रॉसरों ने केवल वनस्पति तेल निकालने और बेचने का काम
अपनाया। प्राचीन काल में, कोल्हू के आविष्कार से पहले, तेल निकालने के लिए तैलीय बीजों को घन या मुद्गर से पीटा जाता था, और उसकी पिट्ठी को निचोड़ कर तेल निकाला जाता था। अतः घन से पीट कर बीजों
से तेल निकालने वाले तेली घाञ्ची-मोदी (घन > घाञ्ची) कहलाये।
घन से पीट कर निकाला गया तेल ‘घानी तेल’ कहलाया। बाद में कोल्हू का आविष्कार होने पर मनुष्य ही उसमें पशु कि तरह
जुत कर तेल निकालता था। कोल्हू के मशीनीकृत होने के बाद भी कोल्हू से निकले तेल हो
घानी तेल ही कहते हैं और निकालने वाले को घाञ्ची।
भारत में जाति के ऊँच-नीच के क्रमिक वर्गीकरण का आधार उसका क्रमशः
बुद्धिजीवी, बलजीवी, व्यवसायजीवी और
श्रमजीवी होना था। यूँ तो घाञ्ची-तेली-मोदी की मूल जाति वन-उपज का व्यवसायी होने
के कारण बनिया थी, किन्तु तेल निकालने का श्रमसाध्य काम करने
के कारण वे निचले पायदान पर बनियों और शूद्रों के बीच की अन्य पिछड़ी जातियों में
चले गए होंगे।
मोदी
शब्द के उत्स पर एक मत यह भी :-
मोदी शब्द के उत्स पर अजित
वडनेकर जी के दो बहुत ही शोधपूर्ण लेख उनके ब्लॉग पर उपलब्ध हैं। (1. मोदी की जन्मकुंडली 2. मोदीख़ाना और मोदी)। उनका कहना है
कि भाषाविद् मोदी शब्द के उत्स पर एकमत नहीं है। मोदी शब्द का रिश्ता संस्कृत के
मोद (आनंद), मोदक (लड्डू) और यहाँ तक की हलवाई से भी जोड़ा
गया है। उनके अनुसार मोदी शब्द सेमेटिक धातु मीम-दाल-दाल (م د د ) यानी m-d-d या मद्द (=आपूर्ति, सहायता) पर आधारित है। अरबी में बहीखाते के
कालम को मद्द कहते हैं, जिससे हिन्दी का मद बना। अतः बही
खाता रखने वाले ही मोदी हुए। इस तरह वडनेकर जी का मानना है कि मोदी शब्द हिन्दी
में मध्यकालीन मुस्लिम दौर में सैन्य शब्दावली से आया है।
मैंगो पीपुल, आम आदमी, और कामन मैन Mango People, AAM AADAMI, and Common Man
शायद आपको यह पसंद आए
सरकार शब्द कहाँ से आया?
मैंगो पीपुल, आम आदमी, और कामन मैन Mango People, AAM AADAMI, and Common Man
इस ब्लॉग पर आकर डी एन ए रिपोर्ट पर सन्देह का तो प्रश्न ही उत्पन्न नहीं होता. लेकिन गुजरात में हूँ और जितना भी जाना है उसके आधार पर अपनी प्रतिक्रिया तो व्यक्त कर ही सकता हूँ.
ReplyDeleteगुजरात के विषय में यदि कहा जाए कि यहाँ की फ़िज़ाँ ही वणिकों की है तो अतिशयोक्ति न होगी. यहाँ व्यक्ति किसी भी जाति का कुलदीपक क्यों न हो, धन्धा (यहाँ का प्रचलित शन्द) वणिकों वाला ही करता है. ब्राह्मणों को भी व्यापार में संलिप्त देखा है.
मोठ या मोदक से यदि मोढी या मोदी शब्द की उत्पत्ति कही जाए तो यहाँ मेरे एक सहकर्मी हैं जो मोढ ब्राह्मण हैं. इसे कैसे व्याख्यायित करेंगे! प्रतीक्षा रहेगी मोढ ब्राह्मण के डी एन ए रिपोर्ट की!
क्षमा करें …मुझे ऐसा लगता है कि आपके मोढ ब्राह्मण वाले शब्द की उत्पत्ति के सवाल का जवाब जैविक डी. एन. ए से मिल सकता है!
Deleteसर्वप्रथम तो प्रभात जी यह एक प्रश्न नहीं, जिज्ञासा है वो भी आदरणीय राजेन्द्र जी को सम्बोधित! उत्तर भी उन्हीं से अपेक्षित है. शब्द की व्युत्पत्ति के लिये जीव विज्ञान पढने की इच्छा नहीं!
Deleteगुजराती विश्वकोश भगवदगोमंडल के अनुसार ब्राह्मण, बनिये, सुतार, और घाञ्ची जतियों के लोग, जो गुजरात में मोढेरा के मूल निवासी हैं, मोढ कहलाते हैं। " મોઢ = બ્રાહ્મણ, વાણિયા, સુતાર અને ઘાંચીની એક જ્ઞાતિ. તે મૂળ ચાણસ્મા તાલુકાના મોઢેરા ગામની છે. " (http://www.bhagvadgomandal.com/index.php?action=dictionary&sitem=%E0%AA%AE%E0%AB%8B%E0%AA%A2&type=1&page=0) । सोचना यह है कि मोढेरा से मोढ और मोदी शब्द बने या मोढ / मोदी से मोढेरा? वैसे मोदी गुजरात में ही नहीं अपितु कई अन्य प्रदेशों में भी रहते हैं, जैसे हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश, बिहार, झारखंड। सभी हिन्दी भाषी प्रदेशों में मोदी का अर्थ है : - दाल चावल बेचने वाला, पंसारी, परचूनिया। मोठ से मोदी की कल्पना इसी पंसारी वाले अर्थ पर आधारित है। मोढेरा, गुजरात के ब्राह्मण, बनिये, सुतार, और घांचियों के संबन्धों के बारे में मुझे इतनी ही जानकारी है कि नरेंद्र मोदी घाञ्ची-मोदी समुदाय से हैं। यह बनिया से पिछड़ी जाति में जाने का उदाहरण है। कहते हैं कि कभी जातियाँ कर्म पर आधारित थीं बाद में जन्म पर हो गईं। मैं प्रभात जी से सहमत हूँ कि मोढ-ब्राह्मण और मोढ-वणिक जातियों के सम्बन्धों की पक्की जानकारी जैविक डी एन ए से ही मिल सकती है।
Deletesir its very informative and sheds light on how in ancient india we were known by our professions .
ReplyDeleteThanks Renu ji
Deleteसर आभार! शब्दों के उद्विकास की कहानी का संग्रह कर एक पुस्तक जरुर उपलब्ध करवायें! आपका समसामयिक शब्दों के विश्लेषण करने का तरीका अत्यन्त प्रसंशनीय है.
ReplyDeleteशब्द का मूल मिलने के बाद अब देखना है ,आगे मोदी का अर्थ-विस्तार कहाँ तक जाता है !
ReplyDeleteआपने सही कहा। देखते हैं कि फिर से मूल अर्थ के संदर्भ में मोदी माने मिष्ठ हो जाए! या फिर कुछ और? :)
Deleteदाल चावल बेच कर लोगों को आनंदित करने वाले और खुद आनंद पाने वाले को भी मोदी ही कहेंगे ना। उम्मीद करते हैं कि मोदी जी भी देशवासियों को देर सवेर आनंदित ही करेंगे।
ReplyDeleteModh communities comprise people who use the name and originate from Modhera in Gujarat, India. In that state and in Rajasthan, there are many examples of Hindu communities who take their name from a town and thus there exist both Modh Brahmins and Modh Vaniks. Where two groups share a similar toponym, the Brahmin group often traditionally acted as priests for the other, although this was not always the case and sometimes there was no corresponding group at all or there were more than two.[1] In the case of Modhera, there is at least one other group - the Modh Ghanchis - and some journalists have suggested that they have adopted the name to signify that they have become prosperous. Mahatma Gandhi was Modh Bania
ReplyDeleteThanks Gondalia ji. Welcome to my blog. It is like the question which came first-- hen or egg? Did Modh people got their name from the town Modhera or that the town Modhera got its name because the Modh people started living there? I would suggest that the people who were dealing with Moshth मोष्ठ / Moth bean मोठ and other grocery items were called Modh/ Modhi/ Modi मोदी। Grocers are called Modi in many parts of India. The place where Modh/ Modhi/ Modi were concentrated was called Modhera. Later, all people of Modhera including the Brahmans were called Modh. A second theory about the town name Modhera would be to link it to similar sounding town names in other parts of India and elsewhere. The original town name could have been based on madhu मधु which got transformed to Madhura मधुरा > Mathura मथुरा > madura मडुरा / Madurai मदुरै > Mandore मंडोर > Mandu मांडू > Mandi मंडी। My the way there is a Modera in Odisha also.
Delete