tag:blogger.com,1999:blog-6576646577231843622.post5935599479055551245..comments2024-03-29T21:56:49.490+05:30Comments on DNA of Words शब्दों का डीएनए: महर्षि वाल्मीकि-2: सीता जी का पिता रावण! सीता जी का भाई राम!! राजेंद्र गुप्ता Rajendra Guptahttp://www.blogger.com/profile/01811091966460872948noreply@blogger.comBlogger27125tag:blogger.com,1999:blog-6576646577231843622.post-13554064682321486602016-09-11T11:15:34.774+05:302016-09-11T11:15:34.774+05:30प्रस्तोता -- योगेश कुमार रोहि ग्राम आजादपुर पत्राल...प्रस्तोता -- योगेश कुमार रोहि ग्राम आजादपुर पत्रालय पहाड़ीपुर जनपद अलीगढ़ उ०प्र०.....📝📝📝📝📝📝📝📝📝<br />➖➖➖➖➖➖➖➖➖<br />पेरियार ललई सिंह यादव जिन्होने सुप्रीम कोर्ट तक सच्ची रामायण के लिए अपनी क्षमता अकाट्य तर्कशील से विजय पञ्जीकृत करायी थी ! श्री राजेन्द्र यादव जिनके हंस को न पढ़ पाने वाला हिन्दी का मूर्धन्य विद्वान भी कुछ खोया महसूस करता हो को अस्तित्वविहीन साबित करने की क्षमता रखता है। <br★-Yadav Yogesh Kumar "Rohi"-★https://www.blogger.com/profile/06694003503401416133noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6576646577231843622.post-11035606821903087262016-09-11T11:08:27.392+05:302016-09-11T11:08:27.392+05:30~ शूद्र कौन थे ? ~
👔👘👖🎽👗👚👞👟👠👡👢💼👕.....~ शूद्र कौन थे ? ~<br /><br /><br />👔👘👖🎽👗👚👞👟👠👡👢💼👕...भारतीय इतिहास ही नहीं अपितु विश्व इतिहास का प्रथम अद्भुत् .....शोध....<br />विश्व सांस्कृतिक अन्वेषणों के पश्चात् एक तथ्य पूर्णतः प्रमाणित हुआ है जिस वर्ण व्यवस्था को मनु का विधान कह कर भारतीय संस्कृति के प्राणों में प्रतिष्ठित किया गया था... उसकी प्राचीनता भी पूर्णतः संदिग्ध ही है .मिथ्या वादीयों ने वर्ण व्यवस्था को ईश्वरीय ★-Yadav Yogesh Kumar "Rohi"-★https://www.blogger.com/profile/06694003503401416133noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6576646577231843622.post-71328599234741150292015-11-24T13:27:47.387+05:302015-11-24T13:27:47.387+05:30बहुत बहुत सुन्दर
बहुत बहुत सुन्दर<br /><br />MADAN chaturvedihttps://www.blogger.com/profile/02255868184271793678noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6576646577231843622.post-16202876732591873022013-08-03T18:11:04.880+05:302013-08-03T18:11:04.880+05:30sorry for late reply, I again see the same sort of...sorry for late reply, I again see the same sort of problem...looking at texts from one point of view and setting very simple correlations..(i)trying for direct parity between mythological accounts, on the one hand, and evolutionary issues on the other could be misleading...mythological delineations kud equally be on account of the cultural mixing... (2) regarding, setting of families in VIDHU. M. PARASHARYAhttps://www.blogger.com/profile/03338531522386925369noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6576646577231843622.post-38991301154621295362012-10-13T14:09:54.745+05:302012-10-13T14:09:54.745+05:30Like !Like !राजेंद्र गुप्ता Rajendra Guptahttps://www.blogger.com/profile/01811091966460872948noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6576646577231843622.post-31238490106376696512012-10-13T14:06:44.614+05:302012-10-13T14:06:44.614+05:30 on Facebook on 25 August 2012: Thanks Pooja. Tha... on Facebook on 25 August 2012: Thanks Pooja. Thanks also for sharing it with your friends.राजेंद्र गुप्ता Rajendra Guptahttps://www.blogger.com/profile/01811091966460872948noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6576646577231843622.post-68602951369862339052012-10-13T14:05:38.697+05:302012-10-13T14:05:38.697+05:30 Thank you sir for posting it. I have been waiting... Thank you sir for posting it. I have been waiting for a long time for part 2.Pooja Jha Maity on Facebook on 24 Aug 2012noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6576646577231843622.post-81510800470577982982012-10-08T15:50:55.435+05:302012-10-08T15:50:55.435+05:30बहुत धन्यवाद और आभार। मुझे खुशी है कि आपको यह प्रय...बहुत धन्यवाद और आभार। मुझे खुशी है कि आपको यह प्रयास पसंद आया। राजेंद्र गुप्ता Rajendra Guptahttps://www.blogger.com/profile/01811091966460872948noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6576646577231843622.post-44857166212268211232012-10-08T15:48:35.577+05:302012-10-08T15:48:35.577+05:30आपने बिलकुल सही कहा: "तथ्यों की अनुपस्थिति मे...आपने बिलकुल सही कहा: "तथ्यों की अनुपस्थिति में बहुत संभावनायें बन जाती है." <br />धन्यवाद। राजेंद्र गुप्ता Rajendra Guptahttps://www.blogger.com/profile/01811091966460872948noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6576646577231843622.post-77099352434112527382012-10-07T11:51:01.167+05:302012-10-07T11:51:01.167+05:30आदरणीय राजेन्द्र जी,
आपका अत्यधिक श्रमसाध्य शोधपूर...आदरणीय राजेन्द्र जी,<br />आपका अत्यधिक श्रमसाध्य शोधपूर्ण आलेख उन सभी इतिहासकारों- प्रो.रिचमैन,रामानुजन एवं थापर के निर्मूल मतों का सशक्त एवं प्रभावी उत्तर है। जिन<br />घटनाओं के आधार पर प्राचीन बारतीय संस्कृति के दस्तावेज़ों को मिथक कह कर कपोल-कल्पित मानते हैं,उनके तथा विभिन्न रामायणों में प्रस्तुत विकृत<br />तथ्यों के निराकरण हेतु आपका वैज्ञानिक आधार पर किया गया शब्दरूप शोध तर्कसंगत है। काल के शकुन्तला बहादुरnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6576646577231843622.post-8210495448251345142012-10-07T09:12:20.373+05:302012-10-07T09:12:20.373+05:30आ. राजेन्द्र जी ,
तथ्यों की अनुपस्थिति में बहुत सं...आ. राजेन्द्र जी ,<br />तथ्यों की अनुपस्थिति में बहुत संभावनायें बन जाती है.<br />मेरा विचार था रावण को खलनायक सिद्ध करने के लिये भक्तों की अतिवादिता को हटा कर देखें तो (रावण के विनाश के लिये मंत्र-पूत जल की बात मानी जा सकती हैऔर ऋषि रक्त की बात अतिरंजना . रावण की अनुपस्थिति ?उसके पास आकाश-गमन के साधन थे. वह अपने राज्य और परिवार में कब आया-गया किसे पता !सीता का व्यक्तित्व ,द्योतित करता है वह किसी प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6576646577231843622.post-66029596594880838312012-10-06T12:34:34.543+05:302012-10-06T12:34:34.543+05:30आदरणीय प्रतिभा जी,
आपके दिये लिंक से आपका लेख &quo...आदरणीय प्रतिभा जी,<br />आपके दिये लिंक से आपका लेख "सीता रावण की पुत्री थीं" पढ़ा। बहुत रोचक लेख के लिए आभार। किन्तु, वाल्मीकि रामायण के अनुसार सीता जी रावण की पुत्री नहीं थी। आपने सीता जी के जन्म की कथा के लिए 'अद्भुत रामायण' को आधार बनाया है। विद्वानों के अनुसार 'अद्भुत रामायण' का रचनाकाल, 15वीं शताब्दी (ईस्वी) के बाद का है (फ़ादर बुल्के, रामकथा, पृ॰ 132-133)। यह राजेंद्र गुप्ता Rajendra Guptahttps://www.blogger.com/profile/01811091966460872948noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6576646577231843622.post-61399999708109264562012-10-06T05:47:17.201+05:302012-10-06T05:47:17.201+05:30शब्दों के अर्थों का अनर्थ भले ही हो गया हो पर कुछ ...शब्दों के अर्थों का अनर्थ भले ही हो गया हो पर कुछ आधारों पर सीता को रावण की पुत्री मानना असंभाव्य नहीं लगता <br />कृपया निम्नलिखित लिंक देखें -http://lambikavitayen5.blogspot.com/2010/02/blog-post_01.html.<br />आपका मत जानने की उत्सुकता रहेगी .प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6576646577231843622.post-17420177139554678212012-09-23T11:36:15.934+05:302012-09-23T11:36:15.934+05:30धन्यवाद ऋता जी। मुझे लगता है कि कहानियाँ काफी उलट ...धन्यवाद ऋता जी। मुझे लगता है कि कहानियाँ काफी उलट पुलट हो गईं हैं। अनेक अविश्वसनीय प्रसंग भरे हुए हैं। उन्हें समझ कर फिर लिखने की कोशिश में हूँ। धीरे-धीरे यहाँ साझा करता चलूँगा। राजेंद्र गुप्ता Rajendra Guptahttps://www.blogger.com/profile/01811091966460872948noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6576646577231843622.post-76791950451885355592012-09-22T22:00:05.053+05:302012-09-22T22:00:05.053+05:30यह बात सही है कि समान ध्वनि वाले शब्दों के अर्थ अल...यह बात सही है कि समान ध्वनि वाले शब्दों के अर्थ अलग अलग होते हैं, इस कारण रामायण की कहानी उलट पलट हो गई होगी-बहुत सहज तरीके से आपने इसे समझाया है...आभार|ऋता शेखर 'मधु'https://www.blogger.com/profile/00472342261746574536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6576646577231843622.post-90568206079669431082012-09-02T16:24:27.909+05:302012-09-02T16:24:27.909+05:30Vidya Bhushan! What a pleasant surprise! I am grat...Vidya Bhushan! What a pleasant surprise! I am grateful for your very insightful comments and feedback. In fact, I have planned a big book covering events right from the origin of human society in jungles, moving on to the evolution of ancient civilizations, and covering important events contained in the ancient stories that form parts of our inheritance and collective consciousness. However, राजेंद्र गुप्ता Rajendra Guptahttps://www.blogger.com/profile/01811091966460872948noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6576646577231843622.post-29511441624799539742012-09-02T15:21:22.009+05:302012-09-02T15:21:22.009+05:30I got to know about your Blog only today when I vi...I got to know about your Blog only today when I visited Umesh at his residence. Without getting into the formality of reiterating what so many others have said about the utility of the work you have started, I would state two or three points which struck me as soon as I finished reading the two parts : (1) Your narration is not longish and do not make an overt effort to shorten it even at the Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6576646577231843622.post-35939897314540587652012-08-31T14:34:05.046+05:302012-08-31T14:34:05.046+05:30धन्यवाद। आपने सही कहा: रामकथाएँ काल्पनिक हैं या सत...धन्यवाद। आपने सही कहा: रामकथाएँ काल्पनिक हैं या सत्य ? <br />सभी भक्तों के लिए सत्य, अधिकतर इतिहासज्ञों के लिए झूठ। सत्य मानने वालों की संख्या इतनी बड़ी है कि इस द्वंद ने आधुनिक भारत की राजनीति को भी प्रभावित किया है, और न्यायपालिका को भी। रामकथा पर आधारित दो मुकदमे अभी सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं। क्या ऐसा नहीं हो सकता कि प्राचीन भारत ने इतिहास को कभी गंभीरता से नहीं लिया हो। इस स्वभाव के कारण राजेंद्र गुप्ता Rajendra Guptahttps://www.blogger.com/profile/01811091966460872948noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6576646577231843622.post-83604610169649198412012-08-30T22:43:56.331+05:302012-08-30T22:43:56.331+05:30समय के प्रवाह के साथ-साथ भाषा भी अपनी आकृति और अर्...समय के प्रवाह के साथ-साथ भाषा भी अपनी आकृति और अर्थ में परिवर्तन को स्वीकार करती चलती है। कथ्य के साथ तथ्य भी बदल जाते हैं ...और सामने जो रूप प्रकट होता है वह सत्य नहीं ...आभास भर होता है। राम कथायें चाहे काल्पनिक हों या सत्य,सभी का उद्देश्य किसी आदर्श को स्थापित करना रहा है। समय-समय पर आदर्श भी बदलते हैं...इसलिये कथा भी बदलेगी। सच पूछो तो कथायें तो उस नये आदर्श को न्यायसंगत ठहराने का साधन हैं बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttps://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6576646577231843622.post-51795330133441351592012-08-30T10:07:45.844+05:302012-08-30T10:07:45.844+05:30धन्यवाद सत्यदेव जी। मैं तो बस अपने परिवेश और समाज ...धन्यवाद सत्यदेव जी। मैं तो बस अपने परिवेश और समाज की संस्कृति की निर्मिति को समझने का एक छोटा सा प्रयास कर रहा हूँ। जो कुछ समझ पा रहा हूँ, उसे इस ब्लॉग द्वारा सांझा कर रहा हूँ। किसी को भी सबक सिखाने का मेरा कोई इरादा नहीं है, क्योंकि मैं स्वयं ही नहीं जानता कि सच क्या है। आपको अच्छा लगा, मुझे प्रोत्साहन और और बल मिला। आभार। साथ बने रहिएगा। राजेंद्र गुप्ता Rajendra Guptahttps://www.blogger.com/profile/01811091966460872948noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6576646577231843622.post-41771336539503534752012-08-29T20:21:47.781+05:302012-08-29T20:21:47.781+05:30राजेंद्र जी ,
आपके इस प्रयास के लिए धन्यवाद
यह ब...राजेंद्र जी ,<br /> आपके इस प्रयास के लिए धन्यवाद <br />यह ब्लॉग उन लोगों के लिए ये सबक है जो तथ्यों के ज्ञान से वंचित होते हुए भी शेखी बघारते हैं <br />बहुत बहुत धन्यवाद satyadeohttps://www.blogger.com/profile/10477526477349873542noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6576646577231843622.post-27760337415981176762012-08-28T22:41:11.612+05:302012-08-28T22:41:11.612+05:30अरविंद जी, ब्लॉग को बोधगम्य बनाने के लिए आपने पते ...अरविंद जी, ब्लॉग को बोधगम्य बनाने के लिए आपने पते की बात कह दी है। मैं आभारी हूँ। सुझाव का पालन करने की पूरी कोशिश रहेगी। <br /><br />मैं आपकी इन दोनों धारणाओं से विनम्रतापूर्वक असहमत हूँ कि वाल्मीकि रामायण गौतम बुद्ध के बाद की है, या सीता रावण की पुत्री हैं। यहाँ विस्तार से इस पर चर्चा का औचित्य नहीं है, क्योंकि इन दोनों विषयों पर बहुत ही विस्तृत विश्लेषण उपलब्ध है (फादर क़ामिल बुल्के की थीसिस &राजेंद्र गुप्ता Rajendra Guptahttps://www.blogger.com/profile/01811091966460872948noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6576646577231843622.post-59683895728429574332012-08-28T19:45:41.731+05:302012-08-28T19:45:41.731+05:30वाल्मीकि रामायण गौतम बुद्ध के बाद की हैमौर सीता र...वाल्मीकि रामायण गौतम बुद्ध के बाद की हैमौर सीता रावण की पुत्री हैं यह अनेक रूपकों से और पूरे एक अध्याय से उद्घाटित है इस रामायण में .......<br />हर जन्म में रावण सीता का अभिलाषा रखता है मगर प्रवंचित रह जाता है -मुझे लगता है मिथकों और बिम्बों को अभिधा में नहीं लिया जाना चाहिए -प्रतीकात्मक अर्थों की निष्पत्ति ही बौद्धिकता का तकाजा है -<br />पोस्ट ब्लॉग विधा के अनुकूल नहीं है -इसे धारावाहिक करें Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6576646577231843622.post-47205545718434471802012-08-27T08:58:44.040+05:302012-08-27T08:58:44.040+05:30ब्लॉग पर आपका स्वागत। मुझे खुशी होती है जब आप जैसे...ब्लॉग पर आपका स्वागत। मुझे खुशी होती है जब आप जैसे सुधि पाठक पसंद करते हैं। पुरखों के साथ इस यात्रा में आप साथ रहिएगा। आभार। राजेंद्र गुप्ता Rajendra Guptahttps://www.blogger.com/profile/01811091966460872948noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6576646577231843622.post-82027068596472820732012-08-27T08:18:58.051+05:302012-08-27T08:18:58.051+05:30ऐसे तथ्य तो बहुत ही कम पढ़ने को मिलते हैं, ये तो ज...ऐसे तथ्य तो बहुत ही कम पढ़ने को मिलते हैं, ये तो जनमानस के लिये बहुत अच्छा है जो पढ़ना चाहते हैं ।विवेक रस्तोगीhttps://www.blogger.com/profile/01077993505906607655noreply@blogger.com