Friday, August 24, 2012

महर्षि वाल्मीकि-2: सीता जी का पिता रावण! सीता जी का भाई राम!!


                 Maharshi Valmiki -2: Sita’s father Ravan! Sita’s brother Ram!!   
                          
  
              
महर्षि वाल्मीकि 7000 वर्षों के बाद भारत-यात्रा पर आए। उन्हें पता चला कि इस बीच रामायण-गायकों के गलत उच्चारण के कारण राम-कथा के कई गलत रूप भी प्रचलित हो गए हैं। विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जा रहा है कि सीता रावण की पुत्री थीऔर यह भी कि राम और सीता भाई बहन थे। वाल्मीकि जी को यह जान कर दुःख हुआ कि उनकी रामायण को काल्पनिक माना जा रहा है। पिछले अंक में आपने पढ़ा कि वाल्मीकि जी ने बताया कि उनका नाम वाल्मीकि नहीं रामकवि हैउनके शरीर पर दीमक लगने की कहानी झूठ है और यह भी कि उन्होने राम-राम का उल्टा जाप नहीं किया। अब आगे पढ़िए कि राम सीता के भाईबहन होने और सीता के रावण की पुत्री होने की कथाएँ कैसे बनी...       

कथा का भाग एक इस लिंक पर है :
महर्षि वाल्मीकि-1: शरीर पर दीमक और राम नाम का उल्टा जाप

भाग 1 से जारी...

आपने हमारी आंखे खोल दींरामकवि,” वाइस-चांसलर जी ने कहा, “हम समझ गए हैं कि आपके छात्रों की शरारतों के कारण ही आपका नाम वाल्मीकि यानी दीमक वाला पड़ा। किन्तु मेरा निवेदन है कि हम भारतवासी हज़ारों वर्षों से आपको वाल्मीकि नाम से ही जानते हैं। अगर अब हम अपनी भूल सुधार कर लें और आपको आपकी उपाधि ‘रामकवि’ या आपके असली नाम से भी पुकारने लगेंतो अब आपके नाम और कृति के विषय में और भ्रम फैल सकता है। मेरा निवेदन है कि आप हमें अनुमति दें कि हम भविष्य में भी आपके लिए वाल्मीकि नाम का ही उपयोग करते रहें। इस वाल्मीकि नाम में भी हमारे मन में आपके तप के प्रति श्रद्धा ही है।

जैसी आपकी इच्छाकुलपति,” वाल्मीकि जी ने कहा।
सभागार में तालियाँ बज उठीं। 

तभी प्रोफ॰ पाउला रिचमान* अपनी सीट से उठीं।
मैं हैरान हूँमैं अवाक हूँ। यह एक अकादमिक सम्मेलन है या रामानंद सागर के टीवी सीरियल रामायण का सैटनाटक की पोशाक पहने कोई कलाकार यहाँ आकर अपने को वाल्मीकि कहता हैचंद संवाद बोलता है और आप लोग उसे सच मान लेते हैं। रामानंद सागर की रामायण देखते समय लोग टीवी को मंदिर मान लेते थे। टीवी पर फूल और पैसे चढ़ाते थे। आजआप लोग एक बहुरूपिये को वाल्मीकि मान रहे है! नाटक के इस कलाकार के कहने से आप लोग वाल्मीकि रामायण को मूल रामायण मान रहे हैं! वाल्मीकि की रामायण मूल रामायण नहीं हैं। यह तो बस सैकड़ों रामायणों में से एक है। रामकथा कोई इतिहास  नहीं है। आप कहाँ हैं प्रोफेसर रोमिला थापरकहाँ हो रामानुजनआप लोग बोलते क्यों नहींआप दोनों ने तो इस विषय पर बहुत लिखा हैऔर बोला भी है।
                                      
प्रोफेसर रोमिला थापर उठीं : मैंने टीवी धारावाहिक रामायण के प्रसारण के समय भी कहा था कि टीवी सीरियल से रामकथा की विविधता नष्ट हो रही है। किन्तु टीवी के द्वारा समाज पर रामायण की एक कहानी विशेष को थोप दिया गया। दूरदर्शन पर रामायण धारावाहिक का प्रसारण आधुनिक भारत के इतिहास की एक चिंताजनक और खतरनाक घटना थी।”      

अब प्रोफेसर रामानुजन ने मोर्चा सँभाला।
अगर हम एक मिनट के लिए मान भी लें कि साधु की पोशाक पहने हुए यह व्यक्ति वाल्मीकि ही हैतो फिर इससे यह सिद्ध नहीं होता कि वाल्मीकि रामायण ही मूल और असली रामायण है। हाँहम ऐसा कह सकते हैं कि हजारों रामकथाओं में से एक कथा वाल्मीकि ने भी लिखी थी। वैसे मैंने अपने लेख में ‘हज़ारों रामायण’ नहीं लिखा है। मैंने लिखा है कि संसार में रामायण की 300 कथाएँ प्रचलित हैंक्योंकि फ़ादर कामिल बुल्के ने रामकथा पर अपनी थीसिस में ऐसा ही लिखा था। असली-नकली रामायण पर मैं एक उदाहरण देता हूँ: प्राचीन यूनानी विद्वान अरस्तू ने एक बढ़ई से पूछा कि तुमने लकड़ी काटने वाली आरी कब ली थी। बढ़ई ने कहा यह आरी उसके पास 30 साल से है। कई बार मैं इसका हत्था बदल चुका हूँऔर कई बार इसकी लोहे की दांती भी। लेकिन यह आरी तो वही 30 साल पुरानी है। यही हाल रामायण का भी है। इसकी कथाएँ हज़ारों बार बदल चुकी हैं। अरस्तू के बढ़ई की आरी की तरह रामायण का कोई भाग असली नहीं है। ये सभी काल्पनिक कथाएँ हैं। उनकी कहानी बार-बार बदल चुकी है। इन सभी रामायणों में एक ही समानता है: सभी में मुख्य पात्रों के नाम रामसीताऔर रावण हैं। बौद्ध परंपरा में दशरथजातक नाम की एक रामकथा है। उसमें इसमे राम और सीता भाई बहन हैं। कन्नड़ लोक गायक तंबूरी दासय्या जो कथा गाते हैं, उसमे सीता रावण की पुत्री है। इस कथा में रावण को रावुलु कहते हैं। रावुलु आम खा कर गर्भवान हो जाता है। रावुलू को छींक आती है और नाक के रास्ते उसके गर्भ से सीता पैदा होती है। सच तो यह है कि कन्नड़ में सीता का अर्थ ही है "वह छींका"!  ये मिस्टर वाल्मीकिसीता और राम को पति-पत्नी बताते हैं। ये सीता को राजा जनक की पुत्री बताते हैं। अपनी रामायण को ही मूल रामायण बता रहे हैं। यह नहीं हो सकता। कौन जाने सीता किसकी पुत्री थीदशरथ कीजनक कीरावण की या किसी और की ? किसी एक कहानी का थोपा जाना हमें सहन नहीं होगा। हम लोग इस सम्मेलन में यही बात ज़ोर से कहने के लिए आए हैं कि रामायण की कोई मूल कथा है ही नहीं।

प्रोफेसर रिचमान और प्रोफेसर थापर ने प्रोफेसर रामानुजन का समर्थन किया।

वाल्मीकि जी अपनी सीट से उठे। 
महोदय मैं पूछना चाहता हूँ कि 300 रामकथाओं में से क्या कोई एक भी ऐसी है जिसके बारे में आप निर्विवाद रूप से यह कह सकें कि वह मेरी रामायण से पहले लिखी गई। प्रोफ. रामानुजन मेरी रामायण को मूल कथा नहीं मानना चाहते तो उनकी इच्छाकिन्तु वे एक ऐसी कहानी को मान्यता दे रहे हैंजिसमें रावण गर्भवती या गर्भवान हो कर नाक के रास्ते सीता को जन्म देता है! क्या आजकल पुरुष गर्भवान हो कर बच्चों को जन्म देने लगे हैं?”

सभा भवन में कुछ हलचल हुई।

वाल्मीकि जी कहते रहे, “कुश-लव गायकों की लंबी परंपरा में हज़ारों वर्षों से मेरी रामायण का गायन हो रहा है। इस बीच नई भाषाएँ और लोकबोलियाँ भी विकसित हुई होंगीऔर मेरी रामायण का उन नई बोलियों में भाष्यांतर भी हुआ होगा। इस बीच गायकों द्वारा गलत अनुवाद अथवा गलत उच्चारण से कथा में बदलाव आ गए हों तो क्या आश्चर्यमित्रो मैं उदाहरण देना चाहता हूँ।

"अगर प्रोफ. रामानुजन जो कन्नड लोक-कथा सुना रहे थे उस कथा में मीठे आम खा कर रावण का 'पेट भर गया' या 'पेट मोटा हो गया' तब क्या इसका मतलब यह लगाया जाए कि रावण गर्भवान हो गया? क्या 'पेट मोटा होना' का एक ही अर्थ होता है? 
"अगर गायक बोले रावण गर्ववान था, और कोई गर्ववान को गर्बवान या गर्भवान समझने की बेतुकी गलती कर दे तो किसका दोष है?  

कोई बताए कि संस्कृत शब्द ‘क्षति’ का क्या अर्थ है?”
क्षति का अर्थ है हानि-कारक।संस्कृत विभाग के मिश्रा जी ने कहा।
और जनन?”
जनन का अर्थ है जन्मपैदा या कारक”  
बिलकुल ठीक। इस तरह क्षति-जनन का अर्थ हुआ हानिकारक। क्षति-जन्य या क्षति-जनक के भी लगभग यही अर्थ हुए। मैंने रामायण में लिखा था कि रावण के अनेक सलाहकारों जैसे कि मारीच, माल्यवान, विभीषण, कुंभकरण और मंदोदिरी ने बार-बार रावण को चेताया था कि सीता का हरण रावण के लिए क्षति-जनन है / क्षति-जन्य है/ क्षति-जनक है। यानी सीता रावण के लिए हानिकारक है।
गाँव-गाँवनगर-नगर रामायण गाते हुए गायकों की एक टोली ने क्षति की जगह क्षुति या क्षौति बोलना शुरू कर दिया होगा। क्या आप जानते है संस्कृत शब्द क्षुति या क्षौति के अर्थमैं बताता हूँ। क्षुति या क्षौति का अर्थ है छींक। अतः क्षति-जन्य के स्थान पर क्षुति-जन्य बोलने से कथा ने रोचक मोड़ ले लिया प्रोफ. रामानुजन जी। मैंने लिखा था कि लंका में सीता की उपस्थिति रावण के लिए हानिकारक थी।  और आज सुन रहा हूँ कि लोक-गायक गा रहे हैं कि सीता रावण की छींक से पैदा हुई थी!!! 
कन्नड़ में सीता का अर्थ अगर 'वह छींका' है तो कोई आश्चर्य नहीं है। संस्कृत में छींक के लिए शब्द है क्षुति। लोक-भाषा के विकास में यह क्षुति कुछ इस तरह बिगड़ गया होगा: क्षुति > शुति > सुति > सितु > सिता > सीता।     

आप शब्दों से जैसा चाहेंअनेक प्रयोग कर सकते हैं। एक मात्रा बदलने से भी अर्थ बदलते जाएंगे।  

रावण ने सीता को जाना
रावण ने सीता को जना  
   
सीता रावण की मति में थी। 
सीता रावण की माटो (पेट) में थी। 

"आचार्यवर, इतनी बड़ी भूल को मान्यता दे करपूरी रामायण को ही काल्पनिक मान लेना कहाँ का न्याय हैअद्भुत बात है! उच्चारण में तो गलती हो सकती हैलेकिन समझ नहीं आता कि कोई यह समझने में कैसे गलती कर सकता है कि कोई पुरुष कैसे गर्भवतीमेरा मतलब गर्भवान हो सकता हैऔर उसकी छींक के रास्ते बच्चे का जन्म कैसे हो सकता हैगर्भाशय और नाक के बीच कोई रास्ता होता है क्या7000 वर्ष पूर्व राम के समय में भारत में शरीर विज्ञान का अच्छा ज्ञान था। कई बार गर्भ से शिशु का जन्म शल्यक्रिया द्वारा भी कराया जाता था। क्या भारत में आज शरीर विज्ञान की पुरानी जानकारी का भी अभाव हो गया है ?

अब यह भी सोचने का विषय है कि रामायण गाते हुए उच्चारण कि किस गलती से सुनने वालों ने राम को सीता का भाई समझने की भारी गलती की होगी।  

संस्कृत में भाई के लिए शब्द हैं: भ्रातभ्राताभ्रातृभातृ और पति के लिए शब्द हैं: भर्ताभर्तृ। क्या इन शब्दों की ध्वनियाँ आपस में मिलती-जुलती नहीं हैं?
अगर रामायण गाने वाले ने बोला भर्ताऔर सुनने वाले ने सुना भ्राता!
गाने वाले ने बोला भर्तृसुनने वाले ने सुना भातृ! इस तरह पति को भाई समझने में कितनी देर लगेगीक्या मैंने कुछ गलत कहा?” वाल्मीकि जी पूछ रहे थे। 

उनका उत्तर संस्कृत के प्रख्यात शब्दकोशकार श्री वामन शिवराम आप्टे ने दिया। 
वाल्मीकि जी आप बिलकुल ठीक कह रहे है। मैं यहाँ आपकी बात में यह जोड़ना चाहता हूँ कि प्राचीन संस्कृत में बंधु शब्द भाई और पति दोनों के लिए प्रयोग होता था। कालिदास ने रघुवंश के 14वे सर्ग के 33 वें श्लोक में श्री राम को सीता का बंधु कहा है: ‘वैदेहि बंधोर्हृदयं विदद्रे
    
इसी तरह प्राचीन संस्कृत में भगिनी शब्द का अर्थ बहन और सौभाग्यवती स्त्रीदोनों हो सकता है।” 

साधुसाधु”  वाल्मीकि जी ने कहा। अब आप लोग समझ गए होंगे कि राम और सीता के भाई बहन होने की कहानी कैसे बनी होगी।”   

श्रोताओं में से एक हाथ उठा। 
"हाँ, कहिए" वाल्मीकि जी ने कहा। 
"हमारे राजस्थान में पति को बींध कहते हैं। बींध और बंधु की ध्वनियों में काफी समानता है।"     

बौद्ध-अध्ययन विभाग के प्रोफ. धम्मभिख्खु ने कहा: अब समझ आया की बौद्ध ग्रंथ दशरथ-जातक में राम-सीता के भाई बहन होने की कहानी का बीज कहाँ से आया!"     

वाइस-चांसलर महोदय काफी देर से चुप थे। उन्होने माइक सँभाला और घोषणा की: 
मैं सम्मेलन के आज पूर्व-निर्धारित सभी कार्यक्रम स्थगित करता हूँ। वाल्मीकि जी के सान्निध्य में यह चर्चा जारी रहेगी।

इतिहास विभाग के अनेक प्रोफेसरों ने उठ कर विरोध किया:  
हम यहाँ  प्रो. रामानुजन,  प्रो. पाउला रिचमानप्रोफेसर रोमिला थापर और प्रोफ. राम शरण शर्मा को सुनने आए हैंवाल्मीकि को नहीं। मिस्टर वाइस चांसलर आपका कदम असंविधानिक है। सम्मेलन पूर्व-निर्धारित कार्यक्रम से ही चलेगा। हमने आपको केवल उद्घाटन के लिए बुलाया था।"

इस बीच चाय का अवकाश हो चुका था। हॉल लगभग खाली हो गया था। पर वाल्मीकि जी चारों ओर से जिज्ञासुओं से घिरे हुए थे।
________________________________________________

नोट: इस काल्पनिक कहानी में प्रोफ. रामानुजन, प्रोफ. रिचमैन तथा प्रोफ. थापर के कथन उनके छपे हुए लेखों या पुस्तकों पर आधारित हैं। प्रिन्सिपल वामन आप्टे का कथन उनके शब्दकोश में दिये गए बंधु शब्द की परिभाषा पर आधारित है। 


पात्रों के अधिक परिचय के लिए निनलिखित लिंक देखिये:

प्रिन्सिपल वामन शिवराम आप्टे (1858-1892) 
प्रोफ. अट्टीपाट कृष्णस्वामी रामानुजन (1929-1993)
प्रोफ. रोमिला थापर (1931-)
प्रोफ. पाउला रिचमैन